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30 अगस्त, 2011

ऐसे हुई कोटा में ईद की घोषणा .................

दोस्तों कल ईद है पहले बिहार में चाँद दिखा फिर लखनऊ से चाँद दिखने की खबर आई लेकिन कोटा में बरसात होने के कारण चाँद दूर दूर तक दिख नहीं सका था और ईद की घोषणा तो चाँद देखने के बाद ही की जाने की शरियत है बस कोटा के लोगों के दिल थमे हुए थे और उन्हें शहर काजी अनवार अहमद के फेसले का इन्तिज़ार था .....में खुद भी शहर काजी अनवर अहमद का नजदीकी हूँ कोटा वक्फ कमेटी का नायब सदर और कानूनी सलाहकार के अलावा पत्रकारिता से जुडा हूँ इसीलिए मेरे फोन पर धन धनाधन घंटियाँ बजने लगी .हम खुद काजी साहब से चाँद दिखने की शहादत केसे लें और ईद केसे घोषित करें इसकी चर्चा में थे ...........इसी बीच मेरे पास बारां के वकील जनाब आफाक भाई का फोन आया उनका कहना था कोटा में तो चाँद नहीं दिखा लेकिन बूंदी में उनके रिश्तेदार ने चाँद देख लिया है इसकी खबर शहर काजी साहब कोटा को दी गयी ...शहर काजी कोटा ने बूंदी शहर काजी से राबता किया वहां चाँद दिखने की पुष्ठी हुई लेकिन चाँद दिखने की शरीयती साक्ष्य तो लेना थी ..शहर काजी साहब ने एक कार मंगवाई उसमे दो ज़िम्मेदार लोगों को चाँद देखने वालों से जिरह करने और उनकी गवाही लेने के लियें बूंदी भेजा गया बूंदी कोटा से चालीस किलोमीटर दूर दुसरा जिला है ....खेर ज़िम्मेदार लोग बूंदी पहुंचे इस दोरान कोटा के सभी लोगों के दिल थमे हुए थे क्योंकि कोटा में अनेकों बार चाँद की शहादत नहीं हाने पर ईद दुसरे दिन हुई है चाहे पुरे देश में कभी भी ईद मना ली जाए कुछ लोग एतेकाफ में बेठे थे जो मस्जिदों से उठना चाहते थे लेकिन ईद की घोषणा चाँद की शहादत पर होना थी .................बूंदी गए दोनों मोअज्जिज़ लोग शहादत लेकर वापस कोटा आये काज़ियात कार्यालय में इसे पेश किया गया शहर काजी ने फिर एक बार तस्दीक की और तस्दीक करने के बाद एक फरमान एक आदेश जारी कर कोटा में भी कल ईद की घोषणा करते हुए ईद की नमाज़ साढ़े नो बजे पढने की घोषणा की ..............ईद की घोषणा हो चुकी थी पटाखे फूट गए थे एलान होने लगा था इसी बीच मुबारक बाद के सिलसिले शुरू हो गये ..थोड़ी देर बाद कोटा के अनवरत ब्लोगर भाई दिनेश राय जी द्विवेदी का फोन आया उन्होंने ईद के बारे में पूंछा तो मेने सारी जानकारी दी उन्होंने सुझाव दिया के भाई ईद की इस घोषणा को कमसे कम ब्लॉग पर लिख कर लोगों तक पहुंचाएं मेने भाई दिनेश द्विवेदी जी को कल ईद पर आने की दावत दी ..दिनेश जी ने तपाक से जवाब दिया के मेरे तो बेटे और बेटी दोनों आधी रात को आ रहे है हमारी तो ईद उनसे ही होगी उनका कहना था के बच्चे राखी पर नहीं आये थे अब चार दिन कोटा में उनके साथ रहेंगे इसलियें हमारी तो चार दिन ही ईद रहेगी ..भाई दिनेश जी द्विवेदी जी की यह बात सुन कर में दुखी हो गया और में मेरी ईद के बारे में सोचने लगा क्योंकि मेरा इकलोता प्यारा बेटा शाहरुख कहां नोयडा अमिटी में बी टेक कम्प्यूटर साइंस में कर रहा है और छुट्टी नहीं होने के कारण उसे पहली बार हमसे अलग दूर ईद मनाना पढ़ रही है मेरी बस आँखे छलछला आयीं और भावुकता में बहकर एक बार फिर मेने अपने बच्चे शाहरुख को फोन कर ईद की मुबारक बाद दी जो दिल्ली में मेरी बहन केघर रोहिणी में ईद मनाने के लियें रास्ते में जा रहा था .........तो दोस्तों चाँद की शहादत से ईद की घोषणा और फिर ख़ुशी से उदासी के इस सफ़र की दास्ताँ आपके सामने पेश है सभी भाइयों को ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

23 अगस्त, 2011

जी हाँ में आज़ाद भारत का नेता हूँ .......

जी हाँ मेरे भारत वासियों
में आज़ाद भारत का नेता हूँ ।
जनता से सिर्फ और सर लेता ही लेता हूँ
कभी वोट लेता हूँ ..तो कभी ट्रांसफर कभी कोई काम कराने के पेसे लेता हूँ
संसद में में अगर पहुंचूं तो बस सवाल पूंछने के भी रूपये लेता हूँ
हां दोस्तों में भारत देश का नेता हूँ
में देश को देश की जनता को
सिर्फ और सिर्फ भ्रस्टाचार , बेईमानी , अनाचार ही देता हूँ
जी हाँ दोस्तों में आज़ाद भारत का नेता हूँ
में कहीं भी किसी भी पार्टी में रहूँ
सरकार किसी की भी हो
बस विपक्ष में रहूँ या सरकार में
आपसी सान्थ्गान्थ कर या तो संसद से वाक् आउट करता हूँ
या संसद ही नहीं जाता हूँ
अगर विश्वास मत के पक्ष में वोट डालना पढ़े
तो रिश्वत लेकर संसद में में कोई भी सरकार हो उसे बचाता हूँ
भ्रष्टाचार की जहां बात हो वहां खुद को गांधीवादी कहलवाता हूँ
संसद हो चाहे हो विधान सभा चाहे हो पंचायत
जब भी चुनाव होते हैं करोड़ों रूपये
पानी की तरह बहाता हूँ
वोट मांगने जाता हूँ तब जनता और वोटर होती है जनार्दन
और जब वोट लेकर नेता बन जाता हूँ
तो बस जनता अगर मिलने आये तो उसे पहचानने से इनकार कर भगाता हूँ
कोई खास जिद्दी मिलने वाला आ भी जाये तो रिश्वत नहीं देने पर
ऐसे आदमी को बिना काम किये नियमों का हवाला देकर टरकाता हूँ ।
अन्ना जेसे कोई ईमानदार आ भी जाएँ तो उन्हें भी
खुद की कुर्सी बचाने के लियें
कभी में उन्हें बेईमान कभी साम्प्रदायिक कभी हिन्दू विरोधी कभी मुस्लिम विरोधी कहकर
जनता को ऐसे लोगों के खिलाफ भड़काता हूँ
जी हाँ दोस्तों में आज़ाद भारत का नेता हूँ ।
देश को दीमक की तरह खा रहा हूँ
देश की योजनाये देश का बजट कमीशन खोरों के हवाले हैं
कभी में ऐ राजा तो कभी में कोमन वेल्थ का घोटालेबाज बन जाता हूँ
लेकिन मेरा आज तक कुछ बिगड़ा नहीं है
कभी बिगड़ेगा भी नहीं क्योंकि में आज़ाद देश का नेता हूँ
देश की भोली भली जनता को ऐसे ही बेवकूफ बनाता हूँ ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

20 अगस्त, 2011

हाँ में भारत की संसद हूँ ..मुझे शर्म आती है .............

हाँ में भारत की संसद हूँ .मुझे मेरी करतूतों पर कई बार शर्म आती है और इन दिनों तो में खुद अपनी करतूतों से शर्मसार हूँ .....मुझे मेरे देश मेरे भारत के लोगों ने उनकी हिफाजत ,सुरक्षा और कल्याण के लियें योजना बनाने के लिए चुना है ..मुझे गरीबी और भ्रष्टाचार दूर करने के लियें बनाया गया है लेकिन में इन सभी मामलों में नाकामयाब रही हूँ .मेरे ५४४ सदस्य है जो कभी भी किसी भी सेशन में कार्यकाल में उपस्थित नहीं रहे हैं ..जब भी किसी बिल को पास कराने या चर्चा के लियें मुझे इन लोगों की जरूरत पढ़ी तब यह लोग गायब मिले हैं कई लोग तो मेरे समक्ष रखे गये बिलों को खोल कर पढ़ भी नहीं पाए है कई ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने एक भी सवाल नहीं किया है ..सदस्य आते है बैठते हैं ....और सस्ता खाना खाकर मजे लेकर चले जाते हैं यह लोग मुफ्त में मेरे यहाँ उपस्थित नहीं होते है अपनी उपस्थिति के लियें यह ख़ासा भत्ता लेते हैं .आने जाने का किराया खर्चा लेते हैं ठहरने का खर्चा लेते हैं ........दोस्तों मेने जो देखा है वोह बताते हुए मुझे अफ़सोस है इन लालची सदस्यों ने केवल खुद की तनख्वाह बढाने के मामले और भत्ते बढाने के मामले के विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया है ..लेकिन आरक्षण मामला ..महिला बिल ...लोकपाल बिल कई वर्षों से अटका पढ़ा है ...दोस्तों मेने देखा है यहाँ रोज़ जूतम पैजार ..गली ग्लोंच चीख पुकार और हाथापाई होती है तब मुझे लगता है के यह संसद है या सब्जी मंडी..दोस्तों मुझे जीतने के लियें मेरा विश्वास मत प्राप्त कर वापस सत्ता पाने के लियें सांसदों को नर्सिंम्माराओ ने रिश्वत दी पकड़े गए मुकदमा चला कुछ नहीं हुआ ..संसद में मनमोहन सिंह ने विशवास मत जीतने के लियें सांसदों को रिश्वत की पेशकश की ..रिश्वत की राशि मेरे कक्ष में लहराई गयी उडाई गयी मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन नतीजे के नाम पर सिफर ........मेरे अन्दर बेठ कर हिन्दुस्तान टाइम्स के सम्पादक बी जी वर्गिस को गिरफ्तार बुलाया गया खुद को सुप्रीम कोर्ट से बढा समझा गया ....मुझ पर पाकिस्तानी हमला हुआ आतंकवादी अंदर घुसे उनके डर से कई सांसद तो कई दिनों तक मुझे शक्ल तक दिखाने नहीं आये ...दोस्तों मुझे यह कहते हुए भी शर्म आती है के मेरे सदस्य सांसद लोगों से सवाल पूंछने की भी रिश्वत लेते हैं में जनता के प्रति जवाबदार हूँ लेकिन जनता को कीड़ा मकोड़ा समझने लगी हूँ मेरे सद्सस्य जनता के बीच नहीं जाते हैं उन्हें उनकी करतूतों की सजा देने वाला कोई नहीं है उन्हें मेरे कानूनों ने प्रोटेक्शन दे रखा है न तो वोह गिरफ्तार होते हैं ना ही उन्हें सजा मिलती है किसी चोर को चोर कहो तो संसद की अवमानना की कार्यवाही का डर बता कर ब्लेकमेल किया जाता है .दोस्तों मेने अरबों खरबों रूपये के घोटाले झेले है मेने देखा है के जब भी मत विभाजन होता है तो कुछ लोग गिनती की गणित बिगाड़ने के लियें एक पक्ष से फायदा लेकर संसद से गायब हो जाते है वोह संसद में डट कर वोटिंग नहीं करते हैं ......दोस्तों किसी भी बिल पर अगर कोई भी सांसद बिना किसी युक्तियुक्त कारण के अनुपस्थित रहे तो उसे सजा देने का कोई प्रावधान नहीं है जान बुझ कर वोट का बहिष्कार करे तो उससे जनता को सवाल पूंछने और संसद को उसे सजा देने का कोई कानून नहीं है दोस्तों में ६२ साल की बूढी हो गयी हूँ लेकिन देश को कुछ सार्थक नहीं दे पायी हूँ सांसदों को सुधार नहीं पायी हूँ में जनता की तो सुनती नहीं खुद को जनता द्वारा चुन कर जनता के लाभ के लियें बनाई गयी हूँ लेकिन हठधर्मिता देखो के किसी भी मामले में में जनता को बाहर का आदमी कहकर उसकी बात नहीं सुनती हूँ में खुद मेरी करतूतों से शर्मसार हूँ ..परेशान हूँ मुझे माफ़ करो ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

09 अगस्त, 2011

त्याग तपस्या बलिदान की ट्रेनिंग है रोजा

त्याग तपस्या बलिदान की ट्रेनिंग है रोजा

दोस्तों इस्लाम के जाने और मानने वालों के लियें यह महीना त्याग ,तपस्या और इबादत का है ..और सभी मुस्लिम भाई इस इबादत में लगे हैं खुदा करे उनकी यह दुआ कुबूल हो .कई लोग हमारे देश में ऐसे भी हैं जो दुसरे मजहब से जुड़े होने के बाद भी इस महीने का सम्मान रखते हुए रोज़े रख रहे हैं ..इबादत का यह महीना ट्रेनिंग का महीना भी कहलाता है इसमें एक मुसलमान को गरीब की भूख ,प्यास का अहसास होता है एक अनुशासन सिखाया जाता है सुबह उठाना फिर दिन भर इबादत करना सभी इन्दिरियों को वश में रख कर तहज़ीब के दायरे में आदर्श इंसान बन कर रहने की सीख़ ही रोजा और रमजान है .तीस रोजों की श्रंखला को रमजान कहते हैं जबकि एक रोज़े को रोजा यानी अहद प्रण कहते हैं इस दिन मुसलमान एक विशेह्स वक्त पार सूरज उगने से पहले नियत करता है और फिर सूरज डूबने तक खुद को खुदा के बताये हुए रास्ते पार चलने वाला बना कर खुदा को समर्पित कर देता है ..आँख नाक , कण ,यानि सभी इन्द्रियों को वश में रख कर बुराई से बचता है और दिन भर अपने देनिक काम काज के साथ साथ खुदा की इबादत करता है पुरे तीस रोज़े रखने या इसके पूर्व चाँद दिखने के बाद फितरा जकात देकर गरीबों में समाजवाद का सिद्धांत लागू कर उनकी जरूरत के मुताबिक कपडे और नकदी वितरित किया जाता है और फिर सभी लोग अपनी इस इबादत को बखूबी पूरी होने पर या खुद के पास होने की ख़ुशी में खुशियाँ मनाते हैं जिसे ईद कहा जाता है इस दिन फ़ित्र निकाला जाता है इसलियें इसे इदुल्फित्र कहते हैं ...........रोज़े ली आठ किसमे होती हैं फ़र्जे मुअय्यन,फ्र्ज़े गेर मुअय्यन,वाजिब मुअय्यन, वाजिब गेर मुअय्यन ,सुन्नत ,नफिल, मकरूह , हराम ...साल भार में एक माह के रोज़े यानि रमजान माह के रोज़े रोज़े मुअय्यन हैं ....अगर मजबूरी की वजह से छूटे रोजों को रखे जा रहे हो तो वोह रोज़े गेर मुअय्यन हैं ....किसी मन्नत यानि किसी खास दिन खास ख्वाहिश पूरी होने पार रोज़े मने जाते हैं तब ऐसे रोज़े को वाजिब मुअय्यन कहते हैं ....आशुरे के दो रोज़े ,मुहर्रम के नवीं और दसवीं तारीख के दो रोज़े अर्फे का रोजा और हर महीने की तेरह ,चवदा , पन्द्राह रोज़ा रखना सुन्नत है ..सवाल के महीने के छ रोज़े , शबन के महीने की पन्द्रह तारीख का रोज़ा , जुमे के दिन का रोज़ा पीर के दिन का रोजा ..जुमेरात के दिन का रोजा मुस्तहब रोज़े हैं लेकिन सनीचर का रोजा और बिना शोहर यानि पति की अनुमति के राख गया न्फ्ली रोजा मकरूह हैं ...इसके आलावा दोनों ईद त्श्रीक के दिन के तीन रोज़ेजो हज की ग्यारवीं ,बाहरवीं ,तेरहवीं तारीख को होते हैं अगर रखे जाते हैं तो हराम हैं ......हमारे देश में रोज़े के नाम पार राजनीति भी शुरू हो गयी है सयासी लोग रोज़े अफ्तार के नाम पार लोगों को बुला कर मोलाना मोलवियों की खरीद फरोख्त कर अपने कार्यक्रम बनाते हैं और लुभावनी बातें कर मुसलमानों को इस दिन बहकाते हैं लेकिन आम रोज़ेदार मुसलमानों को इन सियासी लोगों के खेलों से दूर रहना चाहिए और इनकी मजलिस की भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए क्योंकि रोजा अफ्तार हलाल रोज़ी से हो यह ध्यान रखना जरूरी है सियासी रोज़े कोन अफ्तार करा रहा है इसका रुपया कहाँ से आ रहा है हलाल का है या हराम का है कह नहीं सकते लेकिन अगर मजबूरी हो तो खुद की खजूर जेब में रख कर साथ ले जाओ और रोजा अफ्तार उसी खजूर से करो ताकि गुनाह से बच सकों .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  

-- ब्लोगर मीट वीकली के माध्यम से भाई अनवर और प्रेरणा ने सभी ब्लोगर्स को एक माला में बाँध लिया है


              दोस्तों आप सभी जानते हैं के ब्लोगिंग की दुनिया में डोक्टर अनवर जमाल की क्या शख्सियत है ..वोह जो लिखते हैं दिल से लिखते हैं ..और लिखते हैं तो बस लिखते ही रहते हैं ..उनके लिखने के अपने अंदाज़ से ब्लोगिंग के कई महाराज उनसे कुछ दिन खफा जरुर रहे ..डोक्टर अनवर जमाल और कुछ लोगों के बीच तकरार रही लेकिन अब खुदा का शुक्र है के माहोल दोस्ताना है परिवाराना हैं और खुश गवार माहोल में ब्लोगिग्न चल रही है ..लेकिन दोस्तों डोक्टर अनवर जमाल ने इन दिनों जो कमाल क्या है उससे ब्लोगिंग के कई लोग जो दबे कुचले कोने में एक तरफ बेठे थे वोह अब सीना ताने खड़े हैं और उन्हें भाई अनवर जमाल ने ब्लोगिग्न की खबरें और खुद के कई ब्लॉग पर स्थान दिया है .साथ ब्लोगरों को अधिक से अधिक लोग पढ़ें इसके लियें भाई अनवर जमाल ने एक कमाल और क्या है ..इधर उधर बिखरे पड़े ब्लोगों को सजा संवार कर एक माला में गूँथ कर उन्होंने अपनी एक महिला ब्लोगर साथी प्रेरणा के साथ ब्लोगर मीट वीकली का प्रसारण शुरू कर दिया है ......भाई अनवर के इस सपने को साकार करने में बहन प्रेरणा अर्गल  ने पूरा सहयोग दिया है बंगाल की रहने वाली प्रेरणा जी सभी ब्लोगर्स के ब्लॉग समेटती हैं और फिर एक वीकली ब्लॉग मीट में हम जेसे लोगों के सामने परोस देती हैं .............दोस्तों भाई अनवर के इस प्रयास ने ब्लोगिग्न की दुनिया में खलबली मचा दी है ..जिस भाई अनवर की पोस्टों को निजी कारणों से एग्रीगेटरों से हटा दिया जाता था आज वोह खुद दुसरे लोगों की पोस्टों का प्रकाशन प्रचार प्रसार कर रहे हैं ..उनकी इसी महनत और लगन का नतीजा है के आज वोह प्रमुख ब्लोगरों में गिने जाने लगे हैं जो लोग उन्हें टिपण्णी देना तो दूर उनके ब्लॉग से खिसक लिया करते थे आज उनके ब्लॉग को वोह पूरा पढ़ कर टिप्पणिया देने के लियें मजबूर हो गए हैं ........भाई अनवर ने खुद तो बहतरीन ब्लोगिरी की ही है साथ ही अपने साथियों के साथ जो सहयोगी ब्लॉग बनाए हैं उसकी कामयाबी से सभी ब्लोगर्स हेरान हैं ..और आज हालात यह हैं के वोह दूसरों के ब्लॉग को वीकली ब्लोगर्स मीट में स्थान दे रहे हैं ...........भाई अनवर की इस कोशिश .इस कामयाम कोशिश और महनत से सभी ब्लोगर भाइयों को एक बात तो सीखने को मिली है के कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का ..दूसरी बात विकट परिस्थितयों में भी अगर कोई हिम्मत नहीं हरे और पत्थर से टकराने का उसमे होसला हो तो वोह जीतता और सिर्फ जीतता ही है ........भाई अनवर ने खुदी को इतना बुलंद किया है के हर ब्लोगर उनसे पूंछने लगा है के बता तेरी रजा क्या है ....भाई अनवर के ब्लॉग को जब एग्रीगेटरों से हटाया जाने लगा उनके ब्लॉग एक विशेष लोगों के बनाये गए कोकस की उपेक्षा के शिकार हुए तब भाई अनवर हिम्मत नहीं हारे और उन्होंने इस शेर को सही साबित कर दिखाया के ....नशेमन पर नशेमन इस क़दर तामीर करता जा के बिजलियाँ आप बेज़ार हो जाएँ गिरते गिरते और भाई अनवर ने कुछ ऐसी ही महनत की ऐसी ही हिम्मत दिखाई के उन्होंने छोटे ब्लोगर्स को एक साहस दिया , एक ताकत दी , मान सम्मान  और प्रतिष्ठा दी ..टिप्पणियों का कोकस खड़ा कर खुद अपने ही लोगों को टिपण्णी करने की परम्परा के शिकार जो अली बाबा चालीस चोर बने थे उन्हें गिरफ्त में लिया उन्हें  उनकी भूल का एहसास दिलाया और आज देखलो ब्लोगिग्न की दुनिया में फिर से भाईचारा सद्भाव और प्यार कायम है ..भाई अनवर का साथ दे रही हैं प्रेरणा अर्गल जो रोज़ मर्रा ब्लोगर मीट वीकली के लियें ब्लोगों को खुशबूदार फूलों की तरह चुनती है एक माला बनाती है और फिर ब्लोगिंग की दुनिया को प्यार दुलार और अपनेपन की खुशबु से महका देती है ..ब्लोगिंग के इस कामयाब सफ़र के लियें भाई अनवर और प्रेरणा बहन को बधाई .ब्लोगिंग के इस सिपाही का सेल्यूट है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

07 अगस्त, 2011

सुदामा कृष्णा की दोस्ती भुलाकर हम विदेशियों की दोस्ती की बात करते हैं और खुद को शर्मसार करते हैं

दोस्तों आज में हेरान और परेशान हूँ आज सुबह से सभी हैप्पी फ्रेंडशिप दे मना रहे है एक दुसरे को संदेश और झंसेबाज़ी दे रहे हैं मन में क्या है लेकिन सन्देश में एक दुसरे के लिए प्यार और दोस्ती की तड़प बता रहे हैं ..बच्चे हैं के शोक में एक दुसरे को फ्रेंडशिप बेंड बाँध रहे हैं ...........देश में अब विदेश की कई बातों का असर खूब आ गया है फ्रेंड शिप दोस्तों ने मनाया हो या ना मनाया हो लेकिन फ्रेंडशिप बेंड और फ्रेंडशिप गिफ्ट बनाने वालों के साथ साथ मोबाइल मेसेज कम्पनियों के मज़े हो गए हैं और आज के दिन उन्होंने करोड़ों करोड़ रूपये हमारे देश के भोले भाले जज्बाती लोगों से कमा लिए हैं .......दोस्तों फ्रेंड शिप दे जो यु के में १९३५ में एक अपराधी को जब वहां के पुलिस ने अगस्त के प्रथम शनिवार को म्रत्युदंड दिया तब उसके एक मित्र ने अपने म्र्तक दोस्त की याद में दुसरे दिन जज्बाती होकर आत्महत्या कर ली और जान दे डाली बस यु के के लोगों को एक दोस्त का दोस्त के लियें जान देने का यही अंदाज़ पसंद आया और जब से ही अगस्त महीने के पहले रविवार को फ्रेंडशिप दे मनाने की घोषणा कर दी ..आर एस एस और भाजपा के लोग जो स्वदेशी आन्दोलन की बात करते हैं गाँधीवादी लोग जो चरखे और खादी की बात करते हैं वोह सभी इस रंग में बस गए हैं ......दोस्तों में नहीं समझता इस दिन को हमारे लियें मनाना गर्व की बात हो लेकिन हाँ दोस्ती की मिसाल हमारे देश में क्रष्ण सुदामा और ना जाने कितने लोग रहे हैं हम हमारे देश में उन लोगों को याद  करके कभी भी उनके नाम पर कोई दिवस नहीं मनाते और इसीलियें हम हमारे देश हमारी संस्क्रती से दूर होते जा रहे हैं और नतीजे घर घर बिखरते परिवारों के रूप में देखने को मिल रहे हैं एक व्यक्ति सडक पर घायल पड़ा रहता है तड़प तड़प कर इलाज के आभाव में जान दे देता है लेकिन मानवता के नाते कोई उसे अस्पताल लेजाने की जुर्रत नहीं करता एक आदमी चाकू की नोक पर सरेआम एक लडकी को उठा कर लेजाता है उसके साथ बलात्कार करता है लेकिन उसे बचने के लियें कोई स्वदेशी नहीं आता .चलो तात्कालिक रूप से बचाना मुश्किल भी हो अगर तो उस अपराधी के पकड़े जाने  पर उसे सजा दिलवाने के लियें कोई भी खुलकर अदालत में ब्यान नहीं देता है ऐसे न जाने कितने किस्से हैं जो हम और हमारे देश वासी राष्ट्रहित में पूरा नहीं करते हैं लेकिन ऐसे दिवस जिसका हमारे देश हमारी संस्क्रती से कोई लेना देना नहीं है उसपर करोड़ों करोड़ रूपये और अपना बेशकीमती वक्त बर्बाद कर डालते हैं तो दोस्तों  नाराज़ ना होना अपना तो रोज़ ही फ्रेंडशिप दिवस है एक दिन तो दिवस वोह लोग मनाते हैं जो साल भर बेवफाई कर केवल एक दिन का दिखावा करते हैं हम और आप तो आजीवन  अटूट दोस्ती के रिश्ते में बंधे हैं इसलियें यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे दोस्तों ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान