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29 सितंबर, 2011

क्या यह विज्ञापन है

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दोस्तों, आज आपको एक हिंदी ब्लॉगर की कथनी और करनी के बारें में बता रहा हूँ. यह श्रीमान जी हिंदी को बहुत महत्व देते हैं. इनके दो ब्लॉग आज ब्लॉग जगत में काफी अच्छी साख रखते हैं. अपनी पोस्टों में हिंदी का पक्ष लेते हुए भी नजर आते हैं. लेकिन मैंने पिछले दिनों हिंदी प्रेमियों की जानकारी के लिए इनके एक ब्लॉग पर निम्नलिखित टिप्पणी छोड़ दी. जिससे फेसबुक के कुछ सदस्य भी अपनी प्रोफाइल में हिंदी को महत्व दे सके, क्योंकि उपरोक्त ब्लॉगर भी फेसबुक के सदस्य है. मेरा ऐसा मानना है कि-कई बार हिंदी प्रेमियों का जानकारी के अभाव में या अन्य किसी प्रकार की समस्या के चलते मज़बूरी में हिंदी को इतना महत्व नहीं दें पाते हैं, क्योंकि मैं खुद भी काफी चीजों को जानकारी के अभाव में कई कार्य हिंदी में नहीं कर पाता था. लेकिन जैसे-जैसे जानकारी होती गई. तब हिंदी का प्रयोग करता गया और दूसरे लोगों भी जानकारी देता हूँ.जिससे वो भी जानकारी का फायदा उठाये. लेकिन कुछ व्यक्ति एक ऐसा "मुखौटा" पहनकर रखते हैं. जिनको पहचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती हैं. आप आप स्वयं देखें कि-इन ऊँची साख रखने वाले ब्लॉगर के क्या विचार है उपरोक्त टिप्पणी पर. मैंने उनको जवाब भी दे दिया है. आप जवाब देकर मुझे मेरी गलतियों से भी अवगत करवाए. किसी ने कितना सही कहा कि-आज हिंदी की दुर्दशा खुद हिंदी के चाहने वालों के कारण ही है. मैं आपसे पूछता हूँ कि-क्या उपरोक्त टिप्पणी "विज्ञापन" के सभी मापदंड पूरे करती हैं. मुझे सिर्फ इतना पता है कि मेरे द्वारा दी गई उपरोक्त जानकारी से अनेकों फेसबुक के सदस्यों ने अपनी प्रोफाइल में अपना नाम हिंदी में लिख लिया है. अब इसको कोई "विज्ञापन' कहे या स्वयं का प्रचार कहे. बाकी आपकी टिप्पणियाँ मेरा मार्गदर्शन करेंगी.
नोट: मेरे विचार में एक "विज्ञापन" से विज्ञापनदाता को या किसी अन्य का हित होना चाहिए और जिस संदेश से सिर्फ देशहित होता हो. वो कभी विज्ञापन नहीं होता हैं...

24 सितंबर, 2011

अनपढ़ और गंवारों के समूह में शामिल होने का आमंत्रण पत्र

दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि "अनपढ़ और गँवार" लोगों का भी कोई ग्रुप इन्टरनेट की दुनिया पर भी हो सकता है? मैं आपका परिचय एक ऐसे ही ग्रुप से करवा रहा हूँ. जो हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु हिंदी प्रेमी ने बनाया है. जो अपना "नाम" करने पर विश्वास नहीं करता हैं बल्कि अच्छे "कर्म" करने के साथ ही देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर अपने आपको "अनपढ़ और गँवार" की संज्ञा से शोभित कर रहा है.अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा, तब आप इस लिंक पर "हम है अनपढ़ और गँवार जी" जाकर देख लो. वैसे अब तक इस समूह में कई बुध्दिजिवों के साथ कई डॉक्टर और वकील शामिल होकर अपने आपको फक्र से अनपढ़ कहलवाने में गर्व महसूस कर रहे हैं. क्या आप भी उसमें शामिल होना चाहेंगे?  फ़िलहाल इसके सदस्य बहुत कम है, मगर बहुत जल्द ही इसमें लोग शामिल होंगे. कृपया शामिल होने से पहले नियम और शर्तों को अवश्य पढ़ लेना आपके लिए हितकारी होगा.एक बार जरुर देखें.
"हम है अनपढ़ और गँवार जी" समूह का उद्देश्य-
इस ग्रुप में लगाईं फोटो मेरे पिता स्व.श्री राम स्वरूप जैन और मेरी माताश्री फूलवती जैन जी की है. जो अनपढ़ है. मगर उन्होंने अपने तीनों बेटों को कठिन परिश्रम करने के संस्कार दिए.जिससे इनके तीनों बेटे अपने थोड़ी-सी पढाई के बाबजूद कठिन परिश्रम के बल पर समाज में एक अच्छा स्थान रखते हैं. 
    इनके अनपढ़ और भोले-भाले होने के कारण इन्होने दिल्ली में आने के चार साल बाद ही अपनी बड़ी बेटी स्व. शकुन्तला जैन को दहेज लोभी सुसराल वालों के हाथों जनवरी,सन-1985 में गँवा दिया था और तब मेरे अनपढ़ माता-पिताश्री से दिल्ली पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों ने कोरे कागजों पर अंगूठे लगवाकर मन मर्जी का केस बना दिया. जिससे सुसराल वालों को कानूनरूपी कोई सजा नहीं मिल पाई. गरीबों के प्रति फैली अव्यवस्था और सरकारी नीतियों के कारण ही पता नहीं कब इनके सबसे छोटे बेटे रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा के सिर पर लेखन का क्या भुत सवार हुआ. फिर लेखन के द्वारा देश में फैली अव्यवस्था का विरोध करने लगा.     
हिंदी मैं नाम लिखने की भीख मांगता एक पत्रकार- 
मुझ "अनपढ़ और गँवार" नाचीज़(तुच्छ) इंसान को ग्रुप/समूह के कितने सदस्य अपनी प्रोफाइल में अपना नाम पहले देवनागरी हिंदी में लिखने के बाद ही अंग्रेजी लिखकर हिंदी रूपी भीख मेरी कटोरे में डालना चाहते है.किसी भी सदस्य को अपनी प्रोफाइल में नाम हिंदी में करने में परेशानी हो रही हो तब मैं उसकी मदद करने के लिए तैयार हूँ. लेकिन मुझे प्रोफाइल में देवनागरी "हिंदी" में नाम लिखकर "हिंदी" रूपी एक भीख जरुर दें. आप एक नाम दोंगे खुदा दस हजार नाम देगा. आपके हर सन्देश पर मेरा "पंसद" का बटन क्लिक होगा. दे दो मुझे दाता के नाम पे, मुझे हिंदी में अपना नाम दो, दे दो अह्ल्ला के नाम पे, अपने बच्चों के नाम पे, अपने माता-पिता के नाम पे. दे दो, दे दो मुझे हिंदी में अपना नाम दो. पूरा लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

13 सितंबर, 2011

जी हाँ ..में हिंदी यानी भारत माता की राष्ट्र भाषा हूँ ..

जी हाँ ..में हिंदी यानी भारत माता की राष्ट्र भाषा हूँ .....में संविधान की अनुसूची में शामिल हूँ .मुझे बोलना ..मुझे लिखना .मेरे साहित्य का प्रकाशन करना ..मेरे शब्दों में देश के सभी कानून कायदे प्रकाशित करना देश की सरकार की संवेधानिक ज़िम्मेदारी है .....आज़ादी से आज तक मुझे देश भर में लागू करवाने के लियें अरबों नहीं अरबों नहीं खरबों रूपये खर्च किये जा चुके हैं ...............लेकिन अफ़सोस में सिर्फ और सिर्फ सितम्बर महीने की १४ तारीख की एक यादगार बन गयी हूँ .मेरी भाषा में चलने वाले स्कूलों को सभी शिक्षाबोर्ड खासकर केन्द्रीय शिक्षा बोर्ड में उपेक्षित रखा गया है . विदेशी भाषा में गिटपिट करने वाले लोगों के बीच में अगर में फंस जाऊं तो मेरा ही नाम लेकर मेरी खिल्ली उडाई जाती है लोगों का उपहास और मजाक उढ़ाने पर मेरा नाम लेकर कहावत बनाई गयी है ..दोस्तों आपको तो सब पता है आप से क्या छुपाऊं जब किसी का मजाक उढ़ाया जाता है तो साफ तोर पर कहा जाता है के इसकी हिंदी हो गयी है .मेरे दुःख दर्द को न तो मेरे प्रधानमन्त्री ने समझा ना मेरे देश के राष्ट्रपति ने और नहीं सांसद विधायक मेरी तकलीफ समझ पाए हैं जनता का क्या कहें महाराष्ट्र में मुझे उपेक्षित किया है दक्षिण में अगर मुझे बोला जाये तो कोई बात नहीं करता बेल्लारी में अगर मुझे लागू करने की बात की जाए तो दंगे फसादात किये जाकर कत्ले आम हो जाते हैं .संविधान के रक्षकों की सांसदों वकीलों और जजों की बात करें तो वहां तो मेरा कोई वुजूद ही नहीं है ....मेरे देश मेरे भारत महान में सवा करोड़ लोग हैं और यकीन मानिये तीस करोड़ भी मुझे ठीक से बोलने और लिखने का दावा नहीं कर सकते हैं मेरा इस्तेमाल अगर केवल तीस करोड़ लोग करते हैं तो फिर में केसी राष्ट्रिय भाषा मेने देखा अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर देश में कथित योजनायें बनाकर अल्पसंख्यकों का जेसे शोषण हो रहा है धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का देश में जेसे ढिंढोरा पीट कर मनमानी की जा रही है गरीबी उन्मूलन का नारा देकर गरीबों पर जो अत्याचार क्या जा रहा है बस उसी तरह से देश में मेरे नाम पर राजनीति की जा रही है .अफ़सोस तो मुझे इस बात पर है के संसद में ५४४ सांसद और २७२ राज्यसभा सदस्यों में से गिनती के लोग हैं जो मुझे समझते हैं .सांसद में भाषण होता है तो अंग्रेजी में मशीने कन्वर्टर लगी हैं आम आदमी से हिंदी इस्तेमाल की बात की जाती है विधान में सातवीं अनुसूची की भाषा बना कर मेरा उपयोग आवश्यक किया जाता है लेकिन सांसद में न तो मेरी भाषा में शपथ ली जाती है और ना ही लिखा पढ़ी बात चीत की जाती है ..जितने भी लोग मेरे प्रचारक हैं सभी के बच्चे पैदा होते ही विदेशी भाषा अंग्रेजी के स्कूलों में पढने जाते हैं मेरी भाषा में चल रहे स्कुल बंद हों इसके लियें देश के सभी कोर्स की किताबें मेरी भाषा में छपवाना बंद कर दी गयीं है चाहे डॉक्टरी हो चाहे इंजीनियरिंग चाहे वैज्ञानिक हो चाहे कानून की पढाई..चाहे प्रबंधन की पढाई हो सभी तो विदेशी भाषा अंग्रेजी और अंग्रेजी में है फिर मुझे कोन और क्यूँ पसंद करेगा जब मुझे सांसद में बोलने के लियें पाबन्द नहीं किया जाता ..जब मुझे अदालतों में बोलने और लिखने के लियें पाबन्द नहीं किया जाता जब मुझे आधे से भी कम राज्यों और जिलों में बोला जाता है जब मेरे वित्तमंत्री ..कानून मंत्री ..मेरे देश को चलाने वाली सोनिया गाँधी मुझे नहीं समझती मुझे नहीं जानतीं मेरे देश के कोंग्रेस भाजपा या दुसरे कोई भी दल हो उनकी कार्यालय भाषा विदेशी अंग्रेजी है तो भाइयो क्यूँ मुझे हर साल यह दिवस बनाकर अपमानित करते हो या यूँ कहिये के कियूं मेरी हिंदी की और हिंदी करते हो ......अगर तुम्हे मुझसे प्यार हिया ....मुझे तुम इमानदारी से देश में लागू करना चाहते हो तो सबसे पहले देश में एक कानून हो जिसमें किसी भी चुनाव लड़ने वाले के लियें हिंदी जानना आवश्यक रखा जाए सभी प्रकार के चुनाव चाहे वोह लोकसभा हों .चाहे राज्यसभा ..चाहे विधानसभा चाहे पंच सरपंच चाहे पालिका चाहे कोलेज स्कूलों के चुनाव हों सभी के आवेदन पत्र हिंदी में हों और प्रत्याक्षी के द्वारा स्वयंम भरकर देना आवश्यक किया जाए सांसद और राज्यसभा .विधानसभाओं की भाषा केवल हिंदी हो और सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों की भाषा हिंदी की हो ....देश में केंद्र और राज्य सरकार से सम्बंधित विभागों में हिंदी का ही चलन हो और सभी कर्मचारियों अधिकारीयों के लियें पाबंदी हो के वोह हिंदी के जानकर होंगे सभी प्रतियोगी परीक्षाएं हिंदी भाषा में ही ली जाएँ तब कहीं में थोड़ी बहुत जी सकूंगी वरना मुझे सिसका सिसका कर राजनीती का शिकार न बनाओ यारों ॥ मेरे देश के नोजवानों .मेरे देश के नेताओं ..मेरे देश के अन्ना ..मेरे देश के अन्ना समर्थकों ...मेरे देश के कथित राष्ट्रवादी लोगों .पार्टियों क्या तुम ऐसा कर सकोगे नहीं ना इसिलियिएन में कहती हूँ के मुझे बख्शो मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो मेरे नाम पर हर साल करोड़ों रूपये बर्बाद कर गरीबों का गला मत काटो .......या तो मुझे इमादारी से लागू करो वरना दोहरा चरित्र निभाने वालों तुम चुल्लू भर पानी में ड़ूब मरो ....जय हिंदी .......जय भारत .......हम हिंदी है हिंदुस्तान हमारा क्योंकि सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा और सारे जहां से चोर बेईमान दगाबाज़ नेता हमारा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

12 सितंबर, 2011

गूगल, ऑरकुट और फेसबुक के दोस्तों, पाठकों, लेखकों और टिप्पणिकर्त्ताओं के नाम एक बहुमूल्य संदेश

दोस्तों, मैं हिंदी में लिखी या की हुई टिप्पणी जल्दी से पढ़ लेता हूँ और समझ भी जाता हूँ. अगर वहां पर कुछ लिखने का मन करता है. तब टिप्पणी भी करता हूँ और कई टिप्पणियों का प्रति उत्तर भी देता हूँ या "पसंद" का बटन दबाकर अपनी सहमति दर्ज करता हूँ. अगर मुझे आपकी बात समझ में ही नहीं आएगी. तब मैं क्या आपकी विचारधारा पर टिप्पणी करूँगा या "पसंद" का बटन दबाऊंगा? कई बार आपके सुन्दर कथनों और आपकी बहुत सुन्दर विचारधारा को अंग्रेजी में लिखे होने के कारण पढने व समझने से वंचित रह जाता हूँ. इससे मुझे बहुत पीड़ा होती है, फिर मुझे बहुत अफ़सोस होता है.अत: आपसे निवेदन है कि-आप अपना कमेंट्स हिंदी में ही लिखने का प्रयास करें.
 आइये दोस्तों, इस बार के "हिंदी दिवस" पर हम सब संकल्प लें कि-आगे से हम बात हिंदी में लिखेंगे/बोलेंगे/समझायेंगे और सभी को बताएँगे कि हम अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी (और क्षेत्रीय भाषाओँ) को एक दिन की भाषा नहीं मानते हैं. अब देखते हैं, यहाँ कितने व्यक्ति अपनी हिंदी में टिप्पणियाँ करते हैं? अगर आपको हिंदी लिखने में परेशानी होती हो तब आप यहाँ (http://www.google.co.in/transliterate) पर जाकर हिंदी में संदेश लिखें .फिर उसको वहाँ से कॉपी करें और यहाँ पर पेस्ट कर दें. आप ऊपर दिए लिंक पर जाकर रोमन लिपि में इंग्लिश लिखो और स्पेस दो.आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा.जैसे-dhanywad = धन्यवाद.
 
दोस्तों, आखिर हम कब तक सारे हिन्दुस्तानी एक दिन का "हिंदी दिवस" मानते रहेंगे? क्या हिंदी लिखने/बोलने/समझने वाले अनपढ़ होते हैं? क्या हिंदी लिखने से हमारी इज्जत कम होती हैं? अगर ऐसा है तब तो मैं अनपढ़, गंवार व अंगूठा छाप हूँ और मेरी पिछले 35 सालों में इतनी इज्जत कम हो चुकी है, क्योंकि इतने सालों तक मैंने सिर्फ हिंदी लिखने/ बोलने/ समझने के सिवाय कुछ किया ही नहीं है. अंग्रेजी में लिखी/कही बात मेरे लिए काला अक्षर भैंस के बराबर है.
आप सभी यहाँ पर पोस्ट और संदेश डालने वाले दोस्तों को एक विनम्र अनुरोध है.आप इसको स्वीकार करें या ना करें. यह सब आपके विवेक पर है और बाकी आपकी मर्जी. जो चाहे करें. आपका खुद का मंच या ब्लॉग है. ज्यादा से ज्यादा यह होगा. आप जो भी पोस्ट और संदेश अंग्रेजी में डालेंगे.उसको हम(अनपढ़,अंगूठा छाप) नहीं पढ़ पायेंगे. अगर आपका उद्देश्य भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपना संदेश पहुँचाने का है और आपके लिखें को ज्यादा व्यक्ति पढ़ें. तब हमारे सुझाव पर जरुर ध्यान देंगे. आपकी अगर दोनों भाषाओँ पर अच्छी पकड़ है. तब उसको ध्दिभाषीय में डाल दिया करें. अगर संभव हो तो हिंदी में डाल दिया करें या फिर ध्दिभाषीय में डाल दिया करें.मेरा विचार हैं कि अगर आपकी बात को समझने में किसी को कठिनाई होती है. तब आपको हमेशा उस भाषा का प्रयोग करना चाहिए जो दूसरों को आसानी से समझ आ जाये. बुरा ना माने. बात को समझे. जैसे- मुझे अंग्रेजी में लिखी बात को समझने में परेशानी होती है.
हिंदी भाषा के साथ ही देश और जनहित में महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. यहाँ पर क्लिक करके देखें कैसे नेत्रदान करना है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.
 अपने बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि-आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ . हम बस यह कहते कि-आप आये हो, एक दिन लौटना भी होगा.फिर क्यों नहीं? तुम ऐसा करों तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण तुम्हें पूरी दुनियां हमेशा याद रखें.धन-दौलत कमाना कोई बड़ी बात नहीं, पुण्य/कर्म कमाना ही बड़ी बात है.
दोस्तों! मैं शोषण की भट्टी में खुद को झोंककर समाचार प्राप्त करने के लिए जलता हूँ फिर उस पर अपने लिए और दूसरों के लिए महरम लगाने का एक बकवास से कार्य को लेखनी से अंजाम देता हूँ. आपका यह नाचीज़ दोस्त समाजहित में लेखन का कार्य करता है और कभी-कभी लेख की सच्चाई के लिए रंग-रूप बदलकर अनुभव प्राप्त करना पड़ता है. तब जाकर लेख का विषय पूरा होता है. पूरा लेख पढने के लिए यहाँ क्लिक करें

07 सितंबर, 2011

आतंकवाद रोकने के लियें देश में अलग से आतंकवाद निरोधक मंत्रालय स्थापित करना आवश्यक

दोस्तों देश में सभी सुरक्षा प्रयासों के बाद भी अगर आये दिन अचानक बम विस्फोट से निर्दोषों की म़ोत होने लगे और यह सिलसिला इतने शक्तिशाली परमानुधारक देश में रोज़ की घटना बन जाए तो फिर तो हमे नींद से जागना होगा देश के आतंकवाद कारण जानकार उसकी तह तक पहुंच कर या तो आतंकवाद पनपने के कारणों को बातचीत से खत्म करना होगा और जो लोग बातचीत की भाषा नहीं जानते हैं उन्हें हमारे देश में हो तो यहाँ और दुसरे देश में हों तो वहां खोज खोज कर मारना होगा ........दोस्तों हमारा देश और हमारे देश के लोग रोज़ रोज़ के इस युद्ध से तंग आ गये हैं पर्दे के पीछे रहकर निर्दोषों की हत्या एक जघन्य काण्ड है और यह माफ़ी के लायक नहीं .........हमारे देश में आतंकवाद और दूसरी खबरों की पूर्व सूचनाये एकत्रित करने के लियें कई जांच एजेंसिया कार्यरत हैं उनका कार्य घटनाओं को क्रियान्वित करने के प्रयासों को निष्फल करने के लियें सूचनाये एकत्रित करना और ऐसे लोगों को धर दबोचना है लेकिन आप और हम जानते हैं के यह एजेंसियां अब राजनितिक उतार चढाव और आन्दोलन कारियों उनके मुद्दों और उनके नतीजों पर भी आंकड़े और सूचनाये एकत्रित करने में लग गये हैं इनका उपयों राष्ट्र के लियें कम और देश की सत्ताधारी पार्टी के लियें अधिक होगया है एक तो इस राष्ट्रिय अपराध को सबसे पहले रोकना जरूरी है दुसरे हमारे देश में आतंकवाद क्या है .यह विभिन्न समाजों में अचानक क्यूँ पनप रहा है इसके कारण क्या है इसका निस्तारण केसे हो सकता है आतंकवाद से प्रभावित लोग कोन है उन्हें पुनर्वासित करने के लियें क्या योजना है आतंकवाद के दोषी लोगों को सज़ा दिलवाने के लियें सरकार और अधिकारीयों की क्या भूमिका है और आतंकवाद के लियें ज़िम्मेदार कारणों को केसे खत्म कर सकारात्मक माहोल बनाया जाए इन सभी प्रयासों के बाद भी अगर कोई समूह अपनी आतंकवादी हरकतों से बाज़ नहीं आता है तो उसे केसे जड मूल से नष्ट किया जाए ..अगर इसकी जड़े विदेश में हो तो वहां घुस कर आतंकवादियों को और आतंकवाद को पनाह देने वालों को केसे तबाह किया जाए इस पर विचार और कार्य के लियें देश में एक प्रथक से आतंकवाद मंत्रालय की स्थापना करना जरूरी हो गया हैं ...... हमारे कुरान में एक आयत सुरे तोबा है जिसको पढने के पहले बिस्मिला हिर्रहमा निर्राहीम नहीं पढ़ा जाता है यानी इस आयत को पढने के पहले खुदा का नाम नहीं लिया जाता है उसमे दुश्मन से केसे निपटना चाहिए उसका तरीका बताया गया है .श्री भगवत गीता में भी दुश्मन कोई भी हो उसका नरसंहार केसे किया जाए उस बारे आदेश दिया गया है ..तो दोस्तों हमारे नेताओं और अमेरिका के आगे नोकरों की तरह से घुग्घू बन कर रहने वाले लोगों को कुरान और गीता का पाठ पढ़ाया जाना जरूरी है अगर हमारा देश का दुश्मन किसी भी देश में जा कर छुपा हो और वोह देश हमे उस दुश्मन को ना दे तो उस देश से युद्ध करने उसे बर्बाद कर उस दुश्मन को सजा देने का कानून हमारे देश में पारित किया जाए और फिर इस काम में जो भी देश बाधा बने उसे भी दुश्मन मानकर खत्म कर दिया जाए ऐसा एलान हमे विश्व में करना होगा तब कहीं जाकर हमारे देश के लोग सुकून से जी सकेंगे हमारे देश के दुश्मन पाकिस्तान में छुपे हो हमे उनकी सारी करतूतों की जानकारी हो हमारे पास सबूत हों और हम अमेरिका से पूंछे के देख लोग उसे समझा लो और अमेरिका हमे समझाए के बातचीत से मामला सुलझा लोग और चुप बेठ जाए अगर ऐसा होता रहा तो फिर हमे ऐसे हमलों से सिर्फ भगवान खुदा ही बचा सकता है ..तो दोस्तों हमे मजबूत होना होगा हमें ताकतवर बन कर विश्वव्यापी एलान करना होगा के अगर हमारे देश के किसी भी दुश्मन को किसी भी दुसरे देश ने पनाह दी तो उस देश का नक्शा हम मिटा देंगे और ऐसे एक दो करिश्मे कर के हमे बताना भी होंगे तब कहीं हम सुरक्षित रह पाएंगे वरना अमेरिका के आगे घुटने देख कर हम अगर अमन और सुकून की भीख मांगेंगे तो हमे सिर्फ और सिर्फ ठोकरों के सिवा कुछ ना मिलेगा ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

06 सितंबर, 2011

ऐ मेरे देश के सांसदों थोड़ा शर्म करों क्या यही है संसद के विशेषाधिकार

दोस्तों जरा उठो और मेरे देश के इन बेशर्म सांसदों से जरा यह तो पूछ लो क्या संसद में रिश्वत लेकर वोट डालना ..रिश्वत लेकर सवाल पूंछना राष्ट्रहित से अलग हट कर संसद में अपनी पार्टी की गलत नीतियों की तरफ दुम हिलाना ....खर्राटें भरना या फिर बिना किसी वोट के संसद से बाई कोट कर देना ही तुम्हारा विशेषाधिकार हैं ...............दोस्तों मेरे देश के इन सांसदों को जेल में भरे पढ़े नेताओं के किस्से सुनाओ लालू का चारा ..अमरसिंह का संसद रिश्वत काण्ड ..झारखंड मुक्ति मोर्चा का रिश्वत काण्ड .संसद की जूतम पैजार ..रामजेठमलानी के फटेहाल कपड़े .....हर्षद मेहता का समर्थन .....क्या यही सब संसद का विशेषाधिकार है .दोस्तों अपने भी संसद देखी है आपने भी संसद पर हमले के वक्त संसद में दहाड़ने वाले इन लोगों की पतली दाल और दिल की धडकन देखी है हमारे देश में सर्वे करवा लो कुछ्द्र्जन सांसदों को अगर हम छोड़ दें तो सभी एक ही थाली के चाटते बट्टे हैं क्योंकि सो के लगभग जो सांसद देश का बन्टाधार कर रहे हैं उस मामले में यह लोग उनके खिलाफ जनहित में आवाज़ नहीं उठाते और जब जनता में इनकी छवि बिगडती है इनकी स्थिति बाहर बताई जाती है तो फिर यही लोग संसद के विशेषाधिकार के नाम पर खुन्नस खाकर जनता को सच बताने वालों को जेल डर दिखाते हैं अरे मेरे देश के सांसदों थोड़ा तो शर्म करो तुम सवा करोड़ लोगों की भावना से खेल रहे हो तुम में से कई ठीक लोग है तो कई कितने गंदे लोग है तुम भी तो जानते हो फिर क्यूँ ऐसे लोगों को संसद में आने से रोकने के लियें कानून नहीं बनवाते हो अगर ऐसा नहीं होता है और वेतन के मामले में तुम एक हो जाते हो जनता के हितों के मामले में धड़ों और पार्टियों में बंट जाते हो संसद में जनता के लियें जब कानून बन रहा हो तब तुम सो जाते हो .रिश्वत लेकर वोट डालते हो .रिश्वत लेकर सवाल पूंछते हो और वोह भी जनता के रुपयों पर जनता के टेक्स से दो करोड़ प्रतिवर्ष का खर्च लाखों का वेतन और दस रूपये का मुर्गा चिकन मटन खाते हो यानी हमारा खाते हो और हम पर ही गुर्राते हो जरा सुधरो अंतरात्मा को टटोलो राष्ट्रहित में इन सवालों का जवाब खोजो और जनता को कुछ करके दिखाओ जनता तो तुम्हे पलक पांवे बिछा कर कन्धों पर बिठाएगी और फिर कोई तुम्हारी तरफ ऊँगली भी उठाएगा तो जनता खुद ही उसकी ऊँगली काट देगी तो सांसदों जरा एक बार सिर्फ एक बार राष्ट्रहित और जनहित में तो सोचो यार तुम कहा गलत हो कहां तुम्हे सुधार करना है खुद ही समझ लोगे और संसद के विशेषाधिकार की बात करते हो तो जो आरोप तुम सांसदों पर लग रहे हैं जरा जन मत करा लो सवा करोड़ के सवा करोड़ को ही तुम्हे जेल भेजना होगा क्या कर सकोगे ऐसा सांसदों झूंठ मत बोलों खुदा के पास जाना है ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नल कटा आर एस एस का हाथ ..बिजली गुल आर एस एस का हाथ ..पेट में दर्द मुस्लिम तुष्टिकरण या फिर दाउद इब्राहिम का हाथ हां हाह

दोस्तों आज मेरे पडोस में रहने वाले एक कोंग्रेसी नेता द्वारा नल का बिल जमा नहीं कराने के कारण कनेक्शन काट दिया गया .मेने उससे कहा के यार तुम तो कोंग्रेसी कार्यकर्ता हो सरकार भी कोंग्रेस की है तुम्हारा कनेक्शन केसे कट सकता है जरा सोचो कहीं इसमें आर एस एस का हाथ तो नहीं ..........थोड़ी देर में एक पड़ोसी कोंग्रेसी नेता आया उससे उसने कहा के भाई आपने सिफारिश नहीं की और मेरा कनेक्शन कट गया कोंग्रेसी नेता का वही रता रटाया जवाब भाई मेने तो कोशिश की थी लेकिन आर एस एस की लोबी इतनी हावी थी के उन्होंने अपनी मनमानी कर ली .यह सुन कर में घर आया तो मेरी लाईट बंद थी ..मेने भी सोचा के इसमें भी आर एस एस का हाथ है .मेरे घर का पंखा खराब था काम करने वाली बाई की तबियत खराब होने से वोह नहीं आई थी मेने सोचा इसमें भी आर एस एस का हाथ है॥ ..दोस्तों हमारा देश भी अजीब है किसी भी घटना या कर्यक्रम के पीछे कोन हैं सभी को पहले से पता रहता है लेकिन कोई करता कुछ भी नहीं है .देश में कुछ भी होजाए पाकिस्तानी साज़िश है ..बम फटे दाउद का हाथ है , किसी भी आतंकवादी घटना में मुस्लिम आतंकवादी घटना का हाथ है किसी भी आर एस एस वाले के लियें यह कह भर देना आसान होता है ...............अब दस्तूर बदल गया है अन्ना आन्दोलन करें तो आर एस एस .रामदेव काले धन की बात करें तो आर एस एस ..बम फटे तो आर एस एस कोई भी घटना हो तो आर एस एस .भाई इस देश को कोन समझाये कोई भी संगठन ओई भी पार्टी कोई भी धर्म कोई भी जाती कोई भी समुदाय पूरा का पूरा खराब नहीं होता है किसी दल की संगठन से जुड़े किसी एक व्यक्ति की काली करतूत हो तो उसके लियें सारे धर्म सारे समुदाय को ज़िम्मेदार नहीं ठराया जा सकता लेकिन आजकल सरकार के खिलाफ कोई भी आन्दोलन हो कोई भी पर्दाफाश हो बस एक रटा रटाया आरोप इसके पीछे आर एस एस और साम्प्रदायिक ताकतों का हाथ है ..मुसलमानों को हिफाजत की बात हो तो आर एस एस कहती है के कोंग्रेस की तुष्टिकरण है इस आरोप प्रत्यारोप में जनता का बुरा हाल है देश के हालात फटेहाल हैं और नेता हैं के फाइव स्टार होटलों में अपने बंगलों में सर्व दलीय बैठकों के नाम पर मजे कर रहे हैं एक दुसरे से गले मिल रहे हैं और जनता को आरोप प्रत्यारोप लगा कर उल्लू बना रहे हैं भाई में तो सोचता हूँ देश में जो कुछ भी हो रहा है उसमे कोंग्रेस के हिसाब से तो आर एस एस और हिन्दू आतंकवादियों का हाथ है और भाजपा आर आर एस के हिसाब से कोंग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की निति ..अफज़ल गुरु को फंसी नहीं देने की नियत .दाउद इब्राहीम ..छोटा शकील और पाकिस्तान की आई एस आई का हाथ है कभी कभी सी आई ऐ का भी हाथ हो जाता है तो भाई देश में कोई भी आरोपी नहीं सब बहर वालों के हाथ हैं ऐसे में देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए क्योंकि शर्म तो इनको किसी भी कीमत पर आती नहीं .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

04 सितंबर, 2011

अन्ना ने सरकारी जासूसी के सभी प्रयास निष्फल कर दिए है

अन्ना ने सरकारी जासूसी के सभी प्रयास निष्फल कर दिए है अब सरकार अन्ना की जासूसी को लेकर पशोपेश में हैं ....सरकार ने घोषणा की थी की ख़ुफ़िया रिपोर्टों के आधार पर अन्ना की जान को खतरा है इसलियें उन्हें जेड सुरक्षा दी जान चाहिए अन्ना समर्थकों को डर था की अन्ना निति की हर बात अब यह सुरक्षा कर्मी सरकार तक पहुंचाते रहेंगे और सरकार वक्त से पेहले ही सतर्क होकर अन्ना की हर चाल को पूर्व सतरक्त्ता निति के तहत विफल कर देंगे ....पहला सवाल अन्ना से सिर्फ सरकार और सर्कार के कुछ मंत्री नाराज़ हैं जिनकी गिनती उँगलियों पर है फिर उनकी जानको खतरा इन लोगों के अलावा और किस से हो सकता है .ख़ुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट अगर है तो वोह ऐसे प्रयास कर्ताओं का खुलासा जनता के सामने करे उन्हें पकड़ने का प्रयास करे दूर रहकर अन्ना की सुरक्षा करे लेकिन जासूसी मंज़ूर नहीं .........शायद इसीलियें अन्ना ने काफी सोच कर सरकार को जवाब दिया है के उन्हें सुरक्षा नहीं चाहिए वोह देश के लियें अगर मर भी जाएँ तो उन्हें चिंता नहीं है ...इस तरह से अन्ना ने सरकार के जासूसी फार्मूले की हवा निकाल दी है ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हमारे देश के कुछ पदों पर बेठे लोग खुद को भगवान समझने लगे हैं

दोस्तों विश्व में जो भी जन्मा इंसान है वोह भगवान नहीं है और सच यह है के भगवान से गलतियाँ नहीं होतीं लेकिन इंसान गलतियों का पुतला होता है और इंसान से अगर गलती हो तो उसकी गलती सद्भाविक है या जानबूझ कर की गयी गलती है इसका पता लगाकर दोषी व्यक्ति को सज़ा देने से ही समाज में इमानदारी और सुरक्षा का संतुलन बन सकेगा .लेकिन दोस्तों विश्व की धरती पर एक हमारा देश हमारा हिंदुस्तान ऐसा है जहां कुछ ख़ास पदों पर बेठे लोगों ने खुद को भगवान समझ लिया है इन इंसानों ने सोच लिया है के वोह तो भगवान है और वोह गलती नहीं करते अगर गलतियाँ वोह कर भी ले तो यह तो उनका हक है और इसीलियें इसके लियें ना तो उनके खिलाफ जांच हो सकती है और ना ही इसका उन्हें दंड दिया जाना चाहिए .....तानाशाही और साम्न्त्वदिता का यह बुखार किसी एक को नहीं प्रधानमन्त्री जी ..राष्ट्रपति जी ..जज साहिबान .सी वी सी के आयुक्त ..सांसद महोदय ..मंत्री महोदय ..अधिकारी महोदय सहित कई पदों पर बेठे लोग खुद को खुदा समझ बेठे हैं और वोह खुद की करतूतों की जांच के बारे में सहमत नहीं हो रहे हैं ......हमारे देश में यह लोग जनता के रूपये से अपने चड्डी से लेकर खाने के सामन खरीदते हैं इनके घर का खर्चा एशो आराम जनता के पेसे से आता हैं इनको पद पर बिठाने के पहले इन्हें सपथ दिलवाई जाती है और यह लोग इसी शपथ को तोड़ कर जब अपराध करते हैं तो इनका कोई कुछ नहीं बिगड़ सके इसलियें इनके खिलाफ बन्ने वाले कानूनों का यह विरोध करते हैं ........दोस्तों आप सभी जानते हैं अन्ना की भ्रष्ट लोगों को सजा दिलवाने की लड़ाई अभी सिर्फ शुरू हुई है और सरकार और चोर लोगों ने अपनी कलाई करतूतें शुरू कर दी हैं .....देश में आई पी सी और दुसरे कई कानून बने है जिसमे आम आदमी द्वारा किये गए अपराध के लियें उन्हें सजा देने का प्रावधान है और इन्हीं कानूनों में सभी दुसरे प्रभावशाली लोगों को भी दंडित करने का प्रावधान है लेकिन उन्हें विशेष दर्जा देकर उनके खिलाफ कार्यवाही के पहले सरकार से इजाजत जरूरी बताई है और देश के लाखों ऐसे मामले है के सरकार ने बेईमान भ्रष्ट लोगों के खिलाफ प्रमाणित अपराध होने के बाद भी उक्द्मे की अनुमति नहीं दी है ऐसे में अगर यह शर्त हटा कर आम आदमी को सीधे किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति चाहे वोह आम आदमी हो चाहे वोह प्रधानमन्त्री राष्ट्रपति या जज हो उसके खिलाफ परिवाद पेश कर कार्यवाही का मोका दिया जाए तो सभी लोगों में कानून का डर रहेगा और वोह भी अपना कम जनहित में ठीक तरह से करेंगे वरना पकड़े जाने पर उन्हें दंडित और लज्जित तो होना ही पढ़ेगा ....अब रहा सवाल झूंठे परिवाद पेश करने का तो हर मुकदमे में प्रसंज्ञान ,,चार्ज की स्टेज पर सुनवाई होती है अगर सबूत नहीं होंगे तो ऐसे लोग बरी हो जायेंगे और बरी होने पर मेलिशियास प्रोसिक्यूशन और मानहानि सहित क्षतिपूर्ति मामलों में ऐसे झूंठे परिवाद पेश करने वाले को भी दंडित करवाया जा सकेगा तो फिर यह पहल आज ही कर सभी कानूनों में कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा पेश करने के पहले सरकार या अधिकारी से स्वीक्रति की पाबंदी है या कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा पेश करने के पहले जो प्रोटेक्शन एक्ट बनाया गया है उस क्लोज़ को अगर हटा दिया जाए तो देश आज से ही स्वर्ग हो जाएगा आखिर यह कोनसा कानून है के देश की सवा करोड़ जनता में से कुछ ऊँचे पदों पर बेठे लोग उस कानून से मुक्त हो ऐसे कानून तो सिर्फ गुलामी और समंवादिता वाले जालिमों द्वारा ही बनाये जाते हैं ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

03 सितंबर, 2011

आज़ादी की दूसरी लड़ाई में काले अँगरेज़ बाधक बन रहे हैं

जी हाँ दोस्तों एक आज़ादी की लड़ाई सभी ने मिलकर अंग्रेजों को भगाने के लियें लड़ी थी धरने दिए ..प्रदर्शन किये .गोलियां खायीं ..जेल में गए और फिर कहीं जाकर यह आज़ादी हमे मिली है लेकिन आज जब भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे नेताओं खासकर सत्तापक्ष के लोगों से जनता मुक्ति मांग रही है देश से भ्रष्टाचार और कालाबाजारी के खिलाफ आवाज़ उठा कर काले धन को बाहर निकालने की बात कर रही है तब सत्ता पक्ष के लोग वही सब कुछ कर रहे है जो अंग्रेजों ने आज़ादी का आन्दोलन दबाने के लियें क्या ,,,,सत्ता पक्ष ने पहले काले धन के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले बाबा रामदेव को आना से लडाया फिर डिवाइड एंड रुल की निति पर सत्तापक्ष ने बाबा रामदेव से समझोता कर गले लगाया उन्हें रामलीला मैदान बेठने की जगह दी जब बात बिगड़ गयी तो फिर उनकी जलियावाला बाग़ जेसी गत बनाई गयी .उनके खिलाफ अचानक सत्तापक्ष ने सारी जांचें शुरू कर दी .इस जीत से सत्तापक्ष का सीना फुल गया और उसने समझा भ्रष्टाचार के खिलाफ जो भी बात करे उसे भ्रस्थ बताओ जेल में डालो ..अन्ना के साथ भी ऐसा ही बर्ताव किया गया पहले अन्ना को डराया धमकाया फिर गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया लेकिन जब जनता की आवाज़ उठी तो सरकार दो कदम पीछे हटी और अन्ना और उनके समर्थकों के आगे अंग्रेजों की तरह नतमस्तक हो गयी सारे देश ने देखा के समझोते हुए दलालों को भेजा गया आन्दोलन के जो समर्थक थे उनकी हिट लिस्ट बनाई गयी और उन्हें सबक सिखाने उन्हें जेल का दरवाज़ा दिखाने के प्रयास तेज़ हो गये ..आन्दोलन के जो गद्दार बने सरकार का जिसने समर्थन किया उन्हें पुरस्कर्त करने की तय्यारी की गयी .............आज बाबा रामदेव के खिलाफ नोटिस उनके खिलाफ जांच अचानक उनके द्वारा काले धन के खिलाफ आवाज़ उठाने का नतीजा है वरना इसी सत्ता के लियें यह बाबा रामदेव भगवान थे ..अन्ना और उनके समर्थकों को सत्तापक्ष ने माथे पर बिठाया और फिर अचानक दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया .ताज्जुब तो यह है के सत्तापक्ष ने वोह अंग्रेजों की निति अपनाई जिसमे वोह डिवाइड एंड रुल की निति से देश को गुलाम बनाये रहे लेकिन अभी इन काले अंग्रेजों की सभी नीतिया फेल हो गयीं साम्प्रदायिकता ..अआर एस एस ..विपक्षी आन्दोलन कहकर आन्दोलन को दबाया बदनाम किया लेकिन वाह देश जिंदाबाद रहा और जनता जीत गयी घोषणा हो गयी लेकिन सत्तापक्ष तो काली अँगरेज़ है उसने केजरीवाल को सताया ..बाबा को उठाया ..अन्ना को भ्रष्ट कहा और किरण बेदी ..ओम,पूरी सहित प्रशांत भारद्वाज को जेल भेजने की धमकिया देकर कार्यवाहियां शुरू की इतना बखेड़ा होने के बाद भी सत्ता पक्ष को पछतावा नहीं है वोह अपनी गलतियाँ सुधारना नहीं चाहती है और एक रावण की तरह हरकतें कर रही है लेकिन उन्हें पता नहीं के दस सर वाले रावण का अंत करने के लियें अब राम का जन्म हो गया है और देश की सुक्ख शांति इमानदारी का जो हरण इस सरकार ने किया है उसे छुडाने के लियें अन्ना रामबाण और हनुमानों की वानर सेना को लेकर आ गये है फिर कुम्भ कारन हो चाहे शूर्पनखा हो चाहे रावण हो सभी को धाराशायी होना ही होगा इसलियें कहते हैं के वन्दे मातरम ..इन्कलाब जिंदाबाद .मेरा देश महान है मेरे देश की भोली भली जनता जब सडको पर आती है तो फिर यह मेरे देश की तरह ही महान हैं .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान