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31 मई, 2011

भ्रष्ट हैं वोह लोग जो लोकपाल बिल से बच रहे हैं

जो लोग देश की जनता की खून पसीने की कमाई के टेक्स से वेतन,भत्ते,सुविधाएं,सुख,रियायतें प्राप्त करते हैं क्या उन्हें देश के प्रति जवाबदर होने के लियें लोकपाल बिल की परिधि में नहीं आना चाहिए फिर चाहे वोह प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति,सुप्रीमकोर्ट या निचली अदालत के जज क्यूँ ना हों समाजसेवक  और पत्रकार,डोक्टर,स्कुल सस्ते भूखंड लेने वाले क्यूँ ना हों ..क्या आप सहमत हैं तो बताओ क्या होना चाहिए ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 


जो लोग देश की जनता की खून पसीने की कमाई के टेक्स से वेतन,भत्ते,सुविधाएं,सुख,रियायतें प्राप्त करते हैं क्या उन्हें देश के प्रति जवाबदर होने के लियें लोकपाल बिल की परिधि में नहीं आना चाहिए फिर चाहे वोह प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति,सुप्रीमकोर्ट या निचली अदालत के जज क्यूँ ना हों समाजसेवक  और पत्रकार,डोक्टर,स्कुल सस्ते भूखंड लेने वाले क्यूँ ना हों ..क्या आप सहमत हैं तो बताओ क्या होना चाहिए ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान


भाई कृष्ण कुमार यादव ने ब्लोगिग्न को नये आयाम दिए हैं

 
 
जी हाँ दोस्तों सरकारी जिम्मेदारियों के साथ साथ लेखनी में जोर आजमाईश करने  वाले भाई कृष्ण कुमार यादव ने ब्लोगिग्न को नये आयाम दिए हैं इनकी ब्लोगिग्न सेवा लेखन सभी के लियें सराहनीय रहा है कुछ इनकी ब्लोगिग्न और जीवन शेली के बारे में इनकी ही जुबानी सुन डालिए .....      सम्प्रति भारत सरकार में निदेशक.प्रशासन के साथ हिंदी साहित्य में भी दखलंदाजी. जवाहर नवोदय विद्यालय-आज़मगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1999 में राजनीति-शास्त्र में परास्नातक. समकालीन हिंदी साहित्य में नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, आजकल, वर्तमान साहित्य, उत्तर प्रदेश, अकार, लोकायत, गोलकोण्डा दर्पण, उन्नयन, दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत, आज, द सण्डे इण्डियन, इण्डिया न्यूज,शुक्रवार, अक्षर पर्व, युग तेवर, मधुमती, गोलकोंडा दर्पण, इन्द्रप्रस्थ भारती, शेष, अक्सर, आधारशिला इत्यादि सहित 250 से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं व सृजनगाथा, अनुभूति, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, रचनाकार, लिटरेचर इंडिया, हिंदीनेस्ट, कलायन इत्यादि वेब-पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाओं का प्रकाशन. आकाशवाणी पर कविताओं के प्रसारण के साथ तीन दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित काव्य-संकलनों में कवितायेँ प्रकाशित. एक काव्यसंकलन "अभिलाषा" सहित दो निबंध-संकलन "अभिव्यक्तियों के बहाने" तथा "अनुभूतियाँ और विमर्श" एवं संपादित कृति "क्रांति-यज्ञ" का प्रकाशन. व्यक्तित्व-कृतित्व पर "बाल साहित्य समीक्षा(कानपुर)" व "गुफ्तगू(इलाहाबाद)" पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी.शोधार्थियों हेतु व्यक्तित्व-कृतित्व पर इलाहाबाद से "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" (सं0- दुर्गाचरण मिश्र) प्रकाशित.       की गयी हैं   कृष्ण   कुमार यादव के ब्लॉग माँ ....युवामन .....शब्द्वार....शब्द्वार.......हिंदी साहित्य मंच ..उत्सव के रंग ... ...........डाकिया डाक लाया ... शब्द सर्जन की और ..........         हिंदी साहित्य मंच .....सप्तरंगी प्रेम ...............................  आजमगढ़ ब्लोगर एसोसिएशन ....बाल दुनिया प्रमुख सांझा और निजी ब्लॉग हैं जिनपर कृष्ण कुमार जी कभी रासलीला करते हैं तो कभी दुनियादारी सिखाते हैं कभी हंसाते हैं तो कभी रुलाते हैं तो कभी गम्भीर हो जाते हैं इनकी लेखनी हर रंग में रंगी होने से इन्हें अगर इन्द्रधनुषीय लेखक कह दिया जाए तो झूंठ नहीं होगा ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

लोकतंत्र में लोकपाल बिल का तमाशा ...........

दोस्तों यह मेरा हिन्दुस्तान ..मेरा भारत महान हैं ..यहाँ भारत में रहना होगा तो वन्देमातरम कहना होगा के विवाद पर सेकड़ों जाने चली जाती हैं यहाँ अरबों खरबों के भ्रष्टाचार होते हैं ..यहाँ एक ऐ एस आई के पुत्र जो अब मंत्री हैं उनकी बेठने की कुर्सी की कीमत दो करोड़ रूपये होती हैं ..प्रधानमन्त्री सांसदों को खरीद कर  अपनी कुर्सी बचाते हैं .. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से लेकर निचली कोर्टों में क्या हो रहा है देश जानता है कोनसा ऐसा महकमा है जहां देश गर्व से कह सकता हो के यहाँ हम भ्रस्ताचार मुक्त हैं कुल मिलकर प्रधानमन्त्री हो ,मंत्री हो .अदालतें हों जो भी हों सभी जगह भ्रस्ताचार आम बात है इसके स्पष्ट प्रमाण भी मिल चुके हैं ......एक ऐसा देश जहाना भ्रस्ताचार कोड़ में खाज बनकर दीमक की तरह से देश और जनता को खा रहा है इस देश में जहाँ जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन हो वहां भ्रष्ट लोगों को अंकुश लगाने के लियें हमे हमारे देशवासियों को सालों महीनों कानून बनाने में लग रहे हैं .........एक अन्ना भूख हडताल करते हैं कमेटी बनती है और फिर हाँ ..ना का खेल चलता है अन्ना से बाबा रामदेव को दूर कर भ्रस्ताचार के खिलाफ लड़ाई की ताकत को कम करने का प्रयास होता हैं प्रधानमत्री जो और जज साहब के लियें कहा जाता है यह दायरे से बाहर होंगे ..भाई दायरे से बहर क्यूँ होंगे क्यूँ इन लोगों को देश के कानून से अलग रख कर निरंकुश बनाया जाए क्यूँ इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाए आखिर क्यूँ इस देश में यह सब हो रहा है .......
मेरे देशवासियों क्या आप जानते हैं के देश में जो कोई भी देश की जनता का पैसा वेतन के रूप में लेता हो ,सरकार की सुविधा भोगता हो ,सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त करता हो ,,रियायती दर पर भूखंड या फिर कोई और सुविधाएँ लेता हो वोह जनता का नोकर होता है और जनता के प्रति उसका दायित्व होता है फिर अगर वोह भ्रष्टाचार फेलाए तो क्या उसे इसकी छुट दी जा सकती है ..आप बताये एक प्रधानमन्त्री देश की जनता के रुपयों से सुख सुविधाएँ भोगे , वेतन प्राप्त करे , एक संसद एक अधिकारी एक कर्मचारी एक रियायती दर पर भूखंड प्राप्त करने वाला समाजसेवक ,सरकार से मदद लेने वाला समाज सेवक अगर यह कहे के में यह करूं वोह करूं मेरी मर्ज़ी तो क्या मजाक नहीं लगता एक लोकपाल बिल के लियें इतने दिन मशक्क़त की क्या ज़रूरत है अरे भाई ...................जो भी सरकार से सुख सुविधा ,वेतन,रियायतें और अन्य सुविधाएं प्राप्त कर रहा है उसे तो जनता के साथ विश्वासघात करने पर भ्रस्ताचार करने पर इस दायरे में आना ही होगा  खाए भी हमारा और गुर्राए भी हम पर ऐसे प्रधानमन्त्री ऐसे सांसद ऐसे अधिकारी ऐसे समाज सेवक हमे नहीं चाहिए सब जानते हैं देश और देश के कानून से बढ़ा कोई भी नहीं है फिर क्यूँ प्रधानमन्त्री जी और जज लोग सभी खुद आगे आकर लोकपाल बिल के दायरे में खुद को लेने की पेशकश नहीं करते हैं आगे रहकर इस बिल में खुद बेईमान साबित होने पर दंड के प्रावधान क्यूँ नहीं चुनते हैं बात साफ़ है इन लोगों के दिल में चोर है और यह चाहते हैं के हम बेईमानी भी करे और दंड से भी बचे रहे तो भाई इस लोकपाल बिल की जरूरत क्या है ...हाँ अगर देश का हर व्यक्ति जो जनता के खजाने यानि सरकार से वेतन,सुख सुविधाए,रियायतें प्राप्त कर रहा है उसे तो इस दायरे में रहना ही चाहिए फिर वोह चाहे प्रधानमन्त्री जी हो चाहे जज साहब चाहे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हो चाहे एक रियायती दर पर भूखंड लेकर समाज सेवा करने वाला कोई व्यक्ति हो चाहे फिर राष्ट्रपति हो सभी को इस दायरे में लेना होगा तब देश में मामूली सा बदलाव भ्रस्ताचार से बचाव हो सकेगा वरना अन्ना हो चाहे रामदेव हो सब अपनी अपनी गोटियाँ सकेंगे और मज़े करेंगे केवल एक घंटे में बनाया जाने वाला लोक बिल इतने सालों में भी नहीं बन सका यह राष्ट्रीय शर्म की बात है इस मामले में राष्ट्रीयता की बात करने वाले स्व्यम्न्भू राष्ट्रभक्त आन्दोलन कर इसे क्यूँ नहीं मनवाते सोचने की बात है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

30 मई, 2011

क्या पत्रकारिता ऐसी ही होती है ....

क्या पत्रकारिता ऐसी ही होती है ....जी हाँ आज की पत्रकारिता को देख कर तो यही सब सवाल मेरे और शायद आपके भी मन में खड़े हो जाते हैं ..........कल ३० मई पत्रकारिता दिवस था सोचा के देश के समाचार पत्रों और मीडिया ,,इलेक्ट्रोनिक मिडिया में पत्रकारिता आर बहुत कुछ सिखने और पढने को मिलेगा लेकिन इलेक्ट्रोनिक मीडिया को तो फुर्सत ही नहीं थी .मेने सोचा अपन ही पत्रकारिता के हाल चाल देखें यकीन मानिये मेने मेरी वक्त की पत्रकारिता और आज की चाटुकार पत्रकारिता के हालात जब देखे तो मेरा सर शर्म से झुक गया ..हर अख़बार हर चेनल दुनिया का सबसे तेज़ अख़बार तेज़ चेनल है जो खबरें अख़बार और टी वी को देना चाहिए उसके अलावा चापलूसी भडवागिरी की खबरें आम नज़र आ रही थी ..सरकार करोड़ों करोड़ रूपये के बेकार से विज्ञापन जो अनावश्यक थे इसलियें दे रही है के उसे चेनल और अख़बार में अपनी भ्रस्ताचार सम्बन्धित खबरों को रोकना है ...पार्टियां क्या कर रही हैं ..जनता के साथ केसे विश्वासघात है इससे अख़बारों और मिडिया को क्या लेना देना ..जो पत्रकार कुछ लिखना चाहते हैं कुछ दिखाना चाहते हैं मालिक वर्ग विज्ञापन के आगे ऐसी खबरों को खत्म कर रहे हैं ..हर व्यापारी कहता है के भाई अच्छे व्यापार और सुरक्षित व्यापार का एक तरीका है के एक रुपया कमाओ तो पच्चीस पेसे अख़बार और मीडिया को दो खुद भी सुरक्षित और मीडिया पेरों में कुत्ते की तरह से लोटता नज़र आयेगा जनता लुट की खबर अगर छपवाना भी चाहे तो नहीं छपेगी एक पान वाले की खबर होगी तो बढ़ा चढा कर होगी और एक बढ़े संस्थान की खबर होगी तो उसका नाम गायब होगा केवल एक संस्थान पर आयकर विभाग का छपा पढ़ा खबर प्रकाशित की जायेगी ..बहतरीन सम्पादक और पत्रकार अख़बारों के मेले और ठेले में नमक और दुसरे सामन बेचते नज़र आते हैं पत्रकारिता की संस्थाएं इस पत्रकारिता दिवस पर कोई कार्यक्रम रख कर पत्रकारिता के जमीर को जगाना नहीं चाहती अब भाई ऐसी लूटपाट और चाटुकारिता पत्रकारिता में अगर यह  सब है तो में पत्रकारिता छोड़ कर अगर दलाली शुरू कर दूँ तो क्या बुराई है इसलिए विश्व पत्रकारिता दिवस कल आया और चला गया किसी को क्या लेना देना ....देश में सुचना प्रसारण मंत्रालय है ..राज्यों में जनसम्पर्क मंत्री हैं पत्रकारिता के जिला.राज्य और केंद्र स्तर पर निदेशालय हैं अरबों रूपये का बजट है लेकिन सरकार और प्रेस कोंसिल भी इस तरफ ध्यान नहीं देती है तो हम और आप इस बारे में सोच कर क्यूँ किसी के बुरे बने यार ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

'' ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रति-पल मन में उपजता है...'' ___ जेन्नी शबनम

                     '' ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रति-पल मन में उपजता है...'' ___ जेन्नी शबनम       जी हाँ डोक्टर शबनम अपने इसी अंदाज़ में लम्हों के सफर के साथ आप और हमारे बीच बहतरीन रचनाएँ बनत रही है ................बहन डोक्टर जेन्नी शबनम नै दिल्ली से भागलपुर यानी बिहार  और दिल्ली तक का सफर तय कर आई हैं और अलग अलग राज्यों के लोगों के साथ ..अलग अलग हालातों को देखने के बाद उनकी मन की अभिव्यक्ति का जो सफर चला है उसकी जो उड़ान हुई है इन सब को अल्फाजों में ढाल कर बहन शबनम ने ब्लॉग की दुनिया को खुबुरत अल्फाजों से तर बतर कर दिया है ...............जनवरी २००९ में जब बहन जेन्नी शबनम ने मुनासिब नहीं है मेरा होना ..पहली रचना हिंदी और अंग्रेजी में ब्लॉग लम्हों का सफर पर लिखी तो बस फिर यह लिखती ही रहीं और आज पुरे ढाई साल के लगभग वक्त गुजरने के साथ साथ इनके अल्फाजों की धार पेनी होती जा रही है और इनके अलफ़ाज़ लोगों के जमीर को झकझोर रहे हैं ...ओशो और अमरता प्रतीतं का साहित्य पसंद करने वाली बहन शबनम साहित्य प्रेमी संघ में भी सांझा ब्लोगर हैं ...इनके हर लम्हों के सफर में ऐसा लगता है के जिंदगी की आस और जिंदगी की सांस है ऐसी रचनाकार को बधाई ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान         

बहन संगीता जी ऐसे ही पाठकों की हर दिल अज़ीज़ बनी रहें

पोस्‍ट-ग्रेज्‍युएट डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्‍योतिष को .. अपने बारे में कुछ खास नहीं बताने को अभी तक .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. बस सकारात्‍मक सोंच रखती हूं .. सकारात्‍मक काम करती हूं .. हर जगह सकारात्‍मक सोंच देखना चाहती हूं .. आकाश को छूने के सपने हैं मेरे .. और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हूं .. सफलता का इंतजार है।
ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. जो शिक्षा मुझे मेरे पिताजी ने दी है .   जी हाँ यह सब बहन संगीता जी का कहना है जिनकी रीडर संख्या एक हजार होने पर बधाई मुबारकबाद बहन संगीता जी ऐसे ही पाठकों की हर दिल अज़ीज़ बनी रहें .....आमीन ..भाई ललित शर्मा ने ब्लोग्वार्ता के जरिये जब यह जानकारी दी तो मेरा भी संगीता जी को बधाई देने का मन किया और मेने इस तरह से उन्हें बधाई दे डाली ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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28 मई, 2011

आंधी के एक बवंडर ने ..नफरत के बवंडर को प्यार में बदल दिया ........

आंधी के एक बवंडर ने ..नफरत के बवंडर को प्यार में बदल दिया ........जी हाँ दोस्तों यह कोई फ़िल्मी दास्ताँ नहीं हमारे बिल्लू बार्बर की सच्ची कहानी है ....२२ मई की रात मेरे दफ्तर में मेरे बिल्लू बार्बर जिनके आगे में अक्सर सर झुका कर कटिंग करवाता हूँ और इधर उधर के खट्टे मीठे अनुभव सुनता हूँ उनकी पत्नी के साथ खतरनाक अंदाज़ में आये ..और दोनों पति पत्नी की तू तू में में के बाद उनके प्यार का मोह भंग हो गया था वोह चाहते थे के अब इस बुडापे में वोह कानूनी रूप से अलग अलग हो जाये .....
मेने उनकी तकरार को खत्म करने और उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की ,बहुत समझाया लेकिन बिल्लू बार्बर तो मान गए उनकी पत्नी मानने को तय्यार नहीं थी जिद पर अड़ी थीं ..हमे तो कानूनी रूप से अलग होना है ..मेने कहा के सुबह में इन्दोर जा रहा हूँ तुम अगर कोई लिखा पड़ी करवाना चाहो तो मेरे साथी वकील साहब को में कह देता हूँ वोह करवा देंगे ...लेकिन बिल्लू बार्बर थे के जिद पर अड़ गए कहने लगे के भाईजान जब आप आओगे तब ही हम लिखा पड़ी आपसे करवाएंगे मेने कहा में तो २८ को आउंगा ..दोनों तब तक इन्तिज़ार के लियें तय्यार हो गये ..बिना किसी बात पर तू तू में में के बाद बात इतनी खतरनाक अलगाव पर पहुंचेगी यही सोच कर में अफ़सोस में था खेर में आज सुबह सवेरे जब इन्दोर से आया तो मेरा मन करा के ..पहले कटिंग करवाऊं और फिर देखते हैं बिल्लू बार्बर और उनकी पत्नी का क्या होता है ....
खेर में जेसे ही उनके घर पहुंचा घर इसलियें के घर के निचे ही उनकी दूकान है ..वहां नजारा ही कुछ अलग था मकान का छप्पर टूटा था और छत पर आर सी सी का काम चल रहा था बिल्लू बार्बर और उनकी पत्नी दोड़ दोड़ कर कम कर रहे थे मजदूर छत डालने का काम कर रहे थे मिक्सर में गिट्टी सीमेंट रेत की मिलावट हो रही थी ..खेर बिल्लू बार्बर और उनकी पत्नी ने कुर्सी लगाई पानी पिलाया चाय बनाई में चुप था लेकिन बिल्लू बार्बर ने हंसते हुए कहा के तुम्हारी भाभी का बवंडर तो आंधी के बवंडर में नफरत से प्यार में बदल गया और में और तुम्हारी भाभी आज नई जिंदगी लेकर तुम्हारे सामने खड़े हैं ....
बिल्लू बार्बर ने बताया के जिस दिन आप इन्दोर गए उसी दिन रात को हम इस कमरे में अलग अलग सोये थे कमरे पर पक्की छत नहीं थी . छत के स्थान पर सीमेंट की चद्दर लोहे के एंगल गाड कर ढकान  कर रखा था ..लेकिन उस रात ऐसा आंधी का बवंडर आया के बस छत उढ़ गयी और लोहे के गर्डर टूट कर निचे गिरने लगे मोत के खोफ से दोनों पति पत्नी ने एक दुसरे को बाहों में भरकर एक कोने में समेट लिया और करीब दस मिनट तक  ऐसे ही खोफ्नाक माहोल में टूट कर बिखरती लोहे की एंग्लों और टूटती इंटों से बचते रहे खेर आंधी का यह खतरनाक बवंडर तो थम गया लेकिन इस बवंडर ने पति पत्नी के बीच जो नफरत का बवंडर बना था उसे प्यार में बदल दिया था और दोनों के अलग होने के इरादों पर इस प्यार ने पानी फेर दिया था .....बिल्लुय बार्बर की पत्नी जब नाश्ता लायी तो मेने कहा के भाभी में आ गया हूँ लाओ अब क्या लिखा पढ़ी करना तो भाभी एक सोलाह साल की अल्हड जवान लडकी की तरह शरमाई इठलाई और बात गयी रात गयी मुस्कुराती हुई चली गयी ...में सोचता रहा के एक बवंडर जो तबाही का कारण भी बना है लेकिन कुदरत के खेल निराले हैं कुदरत ने इस एक बवंडर से दो नफरत करने लगे दिलों को फिर से जोड़ कर लेला मजनू के प्यार में बदल दिया ..शायद खुदा..इश्वर..अल्लाह  इसी का नाम है जो असम्ब्भव को संभव बना देता है ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

20 मई, 2011

वकील भारतीय नागरिक नहीं होते .....

  जी हाँ दोस्तों ...वकील भारतीय नागरिक नहीं होते .....यह सब इसलियें है क्योंकि वोह वकील हैं और बार कोंसिल ऑफ़ इण्डिया के सदस्य हैं ,,यह अजीबो गरीब फेसला देश की किसी अदालत का नहीं सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत राजस्थान में नियुक्त इस अधिनियम के तहत एक अपील सुचना अधिकारी  ने यह फेसला दिया है ...........
रावतभाटा चित्तोड़ राजस्थान के एक वकील साहब ने एक विभाग से सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत सुचना मांगी उन्हें सुचना अधीनस्थ विभाग के अधिकारी ने नहीं दी और फिर जब इन वकील साहब ने इस मामले की प्रथम अपील जयपुर स्थित विभागीय अपील अधिकारी  के पास की यह अधिकारी जनाब राजस्थान प्रशासनिक सेवा के है ..इन्हें अपने अधिकारी होने का नशा इस कदर चढा के सुचना उपलब्ध कराने का जब इन जबाब को कोई बहाना नहीं मिला तो इन जनाब ने कलम उठाई और लिख डाला के सुचना मांगने वाल वकील है और वकील बार कोंसिल के सदस्य होते हैं जो भारतीय नागरिक की श्रेणी में नहीं आते और इसीलियें भारतीय नागरिक वकील साहब के नहीं होने के कारण यह सूचनाएं वकील साहब को उपलब्ध नहीं करायी जा सकती ...दोस्तों इस अजीबोगरीब आदेश को पढने के बाद रावतभाटा सहित राजस्थान के वकील सदमे में हैं और उन्होंने खुद के भारतीय नहीं होने की घोषणा के मामले में इन अधिकारी महोदय की शिकायत बार कोंसिल ऑफ़ राजस्थान को की है और रावतभाटा के वकील इस मामले को लेकर अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर हडताल पर भी है है ना मजेदार बात अधिकारी की नज़र में वकील भारत के नागरिक नहीं होते ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

18 मई, 2011

देश भर में विधिक सहायता और साहित्यिक काम में जुटे हैं भाई दिनेश द्विवेदी उनकी आज वैवाहिक वर्षगांठ है





देश भर में विधिक सहायता और साहित्यिक काम में जुटे हैं, भाई दिनेश द्विवेदी, उनकी आज वैवाहिक वर्षगांठ है , जी हाँ दोस्तों ,बारां राजस्थान में एक गाँव में जन्मे,, भाई दिनेश राय जी द्विवेदी में ,उनके पिता टीचरजी के संस्कार हैं, और इसीलियें सहजता और सरलता उनमे कूट कूट कर भरी है ......भाई दिनेश जी पढने के लियें कोटा आये और कोटा के ही होकर रह गये ..इन्होने कोटा में विधि स्नातक किया और यहाँ पहले साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ कर खूब लिखा,फिर पत्रकारिता की ,और फिर लाल सलाम के साथ, इन्साफ की लड़ाई में जुट गए ...........भाई दिनेश जी खुश किस्मत हैं ,के आज के दिन ही हमारी भाभीजी से उनका विवाह हुआ ..एक सीधी साधी पंडितानी जी, जो हर कदम पर भाई दिनेश जी के साथ लगी रही और यही कारण है के  भाई दिनेश जी की आज की,जुडी कामयाबियों में हमारी भाभी जी का भी बराबर का योगदान है, आज का खुशनसीब दिन ,,जिस दिन उनका विवाह हुआ था उन्हें मुबारक हो ...............
भाई दिनेश जी की ब्लोगिंग की बुलंदिया क्या है, यह मुझे बताने की जरा भी जरूरत नहीं है,आज हमारीवाणी एग्रीगेटर के वोह सम्पादक मंडल में है, देश और विदेश के सभी हिंदी ब्लोगर उन्हें जानते हैं, उनका सहज सादा और दिल की गहराइयों को छूने वाला लेखन, जब लोग पढ़ते हैं तो बस, उस पर नाजाने कितनी दाद उन्हें मिलती है .............भाई दिनेश जी द्विवेदी का तीसरा खम्बा .......क्राइम एंड पनिशमेंट ..इन्डियन लीगल न्यूज़ ............माय हाडोती ..अनवरत  के अलावा दर्जनों सांझे ब्लॉग हैं लेकिन तीसरा खम्बा  और अदालत पर भाई दिनेश जी एक वकील ब्लोगर के नाते जो खिदमत अंजाम दे रहे हैं उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता वोह देश भर में विधिक साक्षरता की अलख जगा रहे हैं एक सम्पूर्ण ब्लोगर भाई दिनेश जी अपने संस्कारों और विचारों के कारण, अधिकतम ब्लोगर्स के दिलों में बसे है, वोह बात और है, के उनकी साफ़ गोई ,कुछ लोगों की नाराजगी का कारण बन जाती है ,लेकिन वोह जो देखते हैं, जो सच समझते हैं, कहते हैं, लेकिन  दिल से वोह मोम की तरह मुलायम हैं,,,,भाई दिनेश जी को आज उनकी वैवाहिक वर्ष्गांठ के अवसर पर एक छोटे भाई की हार्दिक बधाई ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान