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30 मार्च, 2011

आज मिलिए हिंदी ब्लॉगजगत के सबसे जोशीले ब्लोगर से

akhtarkhan3 हिंदी ब्लॉगजगत कि एक बात मुझे बहुत पसंद  और वो है अपने साथियों के ब्लॉग पे नियमित तौर पे आना जाना और टिप्पणी करना. लेकिन मुझे यह बात कभी पसंद नहीं आयी कि टिप्पणी अधिकतर उन्ही ब्लोगर के लेख़ पे करना जिन ब्लोगर को हम जानते हैं या जिनसे वापस  टिप्पणी मिलने कि आशा हो. यह काम हम जा बूझ  के नहीं करते बल्कि जाने अनजाने मैं सबका  देखा देखी इसकी आदत सी पड़ जाती है. और फिर इस चक्कर से हम कभी नहीं निकल पाते. हमें पता  ही नहीं चलता कि कब कौन सा नया ब्लोगर इस ब्लॉगजगत मैं आया और क्या लिख रहा है. 
बहुत दिनों से एक ब्लोगर जनाब अख्तर खान "अकेला" जी को पढता हूँ. एक साल पहले जब मैं  इस हिंदी  ब्लॉगजगत मैं आया तो यही समझ मैं आता था जिसके पास १००-२०० टिप्पणी हैं वो बड़ा ब्लोगर है और अच्छा लिखता भी है,जिसके पास कोई टिप्पणी नहीं वो अच्छा नहीं लिखता. मैंने भी इसी तराजू से जनाब अख्तर खान अकेला का वज़न करने कि भूल कर डाली. और नतीजे मैं ३-४ महीने उनके अच्छे लेखों को नहीं पढ़ा. धीरे धीरे पता  चलने लगा, जनाब अख्तर खान साहब, को ब्लॉग बना लेना सही से नहीं आता, टिप्पणी कहां और कैसे कि जाए, इस ब्लॉगजगत का क्या दस्तूर है, यह भी नहीं मालूम. उनको तो केवल बेहतरीन लिखना और पोस्ट कर देना भर ही आता है. 
एक दिन जब अख्तर साहब का लेख "में हिन्दुस्तान हूँ…में मुसलमान हूँ…कहां हिन्दू कहां मुस्लमान " अमन के पैग़ाम के लिए मिला , तो मुझे उनके विचार बहुत पसंद आये और मुझे यकीन हो गया कि इनको पहचानने में मैं ग़लती कर गया. 
sadafakhtar जनाब अख्तर खान साहब पेशे से वकील, उर्दू, हिन्दी एवं पत्रकारिता में स्नातकोत्तर, विधि स्नातक, ह्यूमन रिलीफ सोसायटी का महासचिव हैं . लेकिन मेरी नज़र मैं इनकी पहचान केवल इनकी बेहतरीन और इमानदार लेखनी है. किसी से नाराज़गी ना होने के बावजूद किसी ख़ास समूह से जुड़े ना होने के कारण , इनके लेखों को टिप्पणी कम ही मिल पाती है लेकिन जो एक बार इनको पढ़ लेता है , दूसरी बार तलाशता हुआ जाता है. बस मेरी ही तरह हिंदी टाइपिंग मैं ग़लतियाँ ,टाइपिंग का तजुर्बा ना होने के कारण अक्सर हो जाया करती है.
अख्तर खान साहब एक सीधी तबियत के इंसान हैं और जो कुछ लिखते हैं अपने ब्लॉग पे वही उनकी सही पहचान भी है. उनके ब्लॉग से ही पता  लगता है वो अपने परिवार और अपने देश, अपने वतन से भी बहुत प्यार करते हैं. 
अक्सर बा सलाहियत लोगों के बारे मैं बहुत सी ऐसी बातें भी मशहूर हो जाती हैं जिनका यह पता   भी नहीं चलता कि सच है या झूट. वैसे तो अख्तर साहब शायर भी हैं और "अकेला" उनका तखल्लुस है लेकिन सुना है जब साल भर से बेहतरीन लिखने के बावजूद लोगों ने टिप्पणी कम लिखी तो उन्होंने ने अपने नाम  के आगे "अकेला" लगा लिया.
यह वो शख्स है जिसने ब्लॉगजगत के दस्तूर  को अकेला बदल डाला. कोई टिप्पणी करे ना करे इनकी लेखनी और जोश मैं कोई अंतर नहीं आया और आज हर एक ब्लोगर इनको नाम से भी जानता है और इनकी लेखनी कि ताक़त को भी मानता है. और टिप्पणी कम होने के बाद भी इनके ब्लॉग के पाठक किसी भी अधिक टिप्पणी वाले ब्लॉग से ज्यादा हैं.
जिन्होंने इनको नहीं पढ़ा है ,उनसे यह अवश्य कहूँगा, एक बार अख्तर  साहब को अवश्य पढ़ें ,आप इनके लेख और कविताओं को किसी १००-१५० टिप्पणी वाले ब्लोगर से कम नहीं पाएंगे.

क्या रुपया ही भगवान हे इन दिनों इंसान के लियें

क्या रुपया ही भगवान हे इन दिनों इंसान के लियें .................क्या यह गाँधी की तस्वीर एक बेबस गरीब मजलूम के लियें रिश्वत की मजबूरी बन कर; मजबूरी का नाम  महात्मा गाँधी ;कहावत बन गयी हे , क्या इसीलियें कवि शायर कहते हें के ना बाप बढ़ा ना भय्या सबसे बढ़ा रुपय्या ............... यह पैसा बोलता हे ......  एक सवाल जिसका जवाब मेरे पास तो नहीं हे अगर आपके पास हो तो प्लीज़ जवाब बताएं . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

29 मार्च, 2011

जिस राजस्थान को खून से सींचा हे आज इस राजस्थान का स्थापना दिवस हे

जिस राजस्थान को खून से सींचा हे आज इस राजस्थान का स्थापना दिवस हे लेकिन अफ़सोस के यह दिवस आज तो क्रिकेट की भेंट चढ़ गया दुसरे सरकार ने इस दिन को अब गम्भीरता से लेना छोड़ कर केवल रस्म निभाने तक ही सिमित कर दिया हे एक छोटी गोष्ठी एक प्रदर्शनी और अख़बार में छोटी सी खबर बस हो गया राजस्थान स्थापना दिवस . 
दोस्तों राजाओं का यह स्थान जहां २२ रियासतों ने अपना खून बहाया हे आज़ादी की लढाई में अंग्रेजों के आगे कुछ्ने घुटने टेके तो कुछ ने जान गंवाई हे कहते हें के राजस्थान में जिस राजा के पास बेहिसाब सम्पत्ति और अपने दुर्ग भवन हें वोह कहीं ना कहीं अंग्रेजों की गुलामी में थे लेकिन टोंक और आदिवासी क्षेत्रों सहित कई ऐसी जगह भी हें जहां आज ना तो दुर्ग हे ना किला हे और ना ही वहां के नवाब राजा बहुत अधिक सम्पन्न हे ऐसे में यही वोह लोग थे जो अंग्रेजों के खिलाफ थे और इसीलियें इन्होने मरते दम तक गुलामी स्वीकार नहीं की और गरीब बने रहे . 
आज कहने को तो राजस्थान स्थापना दिवस हे लेकिन सभी राजा महाराजा जो अंग्रेजों के रक्षक और आज़ादी के भक्षक थे वोह सभी अपने अपने इतिहास रुपयों से लिखवाकर आज महान बन गये हें लेकिन कर्नल तोड़ और दुसरे इतिहासकारों ने राजस्थान के इन दलालों की पोल खोल कर रख दी हे कोटा पर अंग्रेजों को भगा कर जनता ने कब्जा किया मेहराब खा और लाला हर दयाल का इतिहास कोटा में सिर्फ इसीलियें गम कर दिया गया के कहीं इस इतिहास से राजाओं की देश के साथ गद्दारी और अंग्रेजों की गुलामी के किस्से आम ना हो जाएँ यहाँ मेहराब खान शहीद के मजार पर फुल चढाने पर पहरे इसलियें लगा दिए जाते हें के कहीं मेहराब खान के नाम से राजा रजवाड़ों की अन्रेजों की दलाली और देश से गद्दारी का इतिहास ना खुल जाये ऐसे हजारों किस्से  हे जो राजस्थान की कोख में छुपे हें हें .
३० मार्च १९४९ को देश के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जब राजस्थान के २२ रियासतों को मिलाकर एक राजस्थान की घोषणा करके गये तो सबसे पहले कोटा रियासत ने राजस्थान में शामिल होने की पहल कर राजस्थान की स्थापना की बुनियाद में अपनी भूमिका निभाई और इसीलियें राजस्थान की पहली राजधानी कोटा को बनाया गया कोटा के दरबार को यहाँ का राज्यपाल बनाया गया , राजस्थान की स्थापना में टोंक रियासत ने अपना सब कुछ राजस्थान सरकार को समर्पित कर दिया और खुद फकीर हो गये , राजस्थान की इस लड़ाई में अंग्रेजों ने यहाँ की जनता पर काफी ज़ुल्म भी ढहाए हें यहाँ  बांसवाड़ा में १५०० आदिवासियों ,सिरोही में २५०० लोगों का सामूहिक नरसंघार किया गया लेकिन राजस्थान की स्थापना पर इन सामूहिक नरसंहारों और आज़ादी के शहीदों को याद तक नहीं किया जाता हे केवल कंगूरे बने राजा महाराजा जो आज भी कानून को अपनी जेब में रख आकर राजा महाराजा बने हें सियासत और सम्मान उन लोगों के इर्द गिर्द ही घूमता हे ऐसे में राजस्थान दिवस काहे का हालत यह हें के ७२ साल बाद भी राजस्थान की अपनी भाषा राजस्थान को मान्यता दिलवाने के लियें यहाँ जनता को संघर्ष करना पढ़ रहा हे . खेर इस दिवस पर राजस्थान की स्थापना  की नीव की ईंट बने  शहीदों को नमन श्रद्धांजली और जो गद्दार आज मजे कर रहे हे उनके चेहरे जनता के सामने आयें इसी उम्मीद के साथ जय राजस्थान ......... . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हमारी वाणी को टिप्स देंगे मासूम भाई

मासूम भाई वेसे तो ब्लोगिंग की दुनिया के बुनियाद रखने वालों में से हें और यह शख्सियत किसी पहचान की मोहताज नहीं हे लेकिन हाल ही में जब लोगों को पता चला के मासूम भिया अब हमरीवानी से जुड़ गए हें तो लेखकों और ब्लोगर्स की ख़ुशी का ठिकाना न रहा कारण साफ़ हे के अब हमारिवानी के तेवर मीठे और सुरीले होंगे सजी संवरी हमारी वाणी सभी लोगों में प्यार और सद्भाव बातेंगी अभी भिया दिनेश जी शाहनवाज़ जे खुशदीप जी और सक्सेना जी ने यह कमान सम्भाली थी हमारीवानी को इन सभी भाइयों ने अपने खून से सींचा हे कड़ी महनत लगन और पसीने से उसे संवारा हे उसे हम लोगों की वाणी बनाया हे लेकिन अब एक से भले दो दो से भले तीन की तर्ज़ पर मासूम भाई के आने से समझो हमारी वाणी में चार चाँद लग गये . मासूम भाई के लियें कुछ भी लिखना सूरज को दिए की रौशनी दिखने के समान हे में स्वयम भी इन जनाब का निजी तोर पर हजारों बार शुक्रगुजार रहा हूँ आगे  भी में इन्हें तकलीफें देता रहूँगा .
ब्लोगिं की दुनिया में प्यार बाँटने वाले मासूम भाई पहले बेन्कर्स थे और वहां से रिटायर होकर ब्लोगिंग की दुनिया के साथ साथ पत्रकारिता की दुनिया में ब्यूरो चीफ बन कर जोर आज़माइश कर रहे हें , लोगन की मदद करना लोगों में प्यार बांटना इनका स्वभाव हे यह कहते हें के कलम एक ऐसी ताकत हे इसका जनहित में इस्तेमाल कर अमन का पैगाम पहुंचाया जाये और इसीलियें इन्होने अमन का पैगाम भी पहुंचाया सभी ब्लोगर भाइयों को भाईचारे और सद्भावना के लेख लिखें के लियें प्रेरित कर ब्लोगिंग को एक नई दिशा दी . शांति संदेश ,हक बातिल , बेजुबान इस्लाम मुस्लमान ,ब्लोग्संसार सहित कई ऐसे खुबसूरत ब्लॉग हें जिन्हें शीशे के आयने में मासूम भाई ने सजाया हे संवारा हे और ब्लोगिग्न की दुनिया के पत्थरों को तराशकर चमकदार हिरा बना आडिय हे इसलियें भाई मासूम आपको सलाम ह्मरिवानी को सलाम भाई दिनेश जी द्विवेदी , भाई शाहनवाज़ को सलाम , भाई के पी सक्सेना जी भाई खुशदीप जी और सभी टीम मेम्बरों को सलाम एकता में बल हे संगम में खूबसूरती हे उदारता में मिठास हे और अमन के पैगाम में प्यार  की खुशबु हे इसलियें ब्लोगर्स के खुशबूदार फूलों को एक हमारी वाणी के गुलदस्ते में सजाने वालों को इसकी खुसबू लेने वालों को इसकी खुशबु दूर दराज़ तक पहुँचाने वालों को तहे दिल से नमन . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

28 मार्च, 2011

ऐ धरती माँ ..................

ऐ धरती माँ 
में भी तेरा लाल हूँ 
माँ की कोख से 
तो जन्मा हूँ 
बस 
बचपन से 
तेरे आँचल से लिपट कर 
तुझ में मिलकर खेला हूँ 
तेरी हिफाजत के लियें 
बंदूक मेने उठाई हे 
कई बार मेने 
तेरी हिफाजत करते 
चोट भी खाई हे 
मेरे बुजुर्गों ने 
तेरी आन बान शान के लियें 
अपनी जान गंवाई हे 
ऐ धरती माँ 
तू ही बता 
क्या यह सच हे 
कुछ लोग हें 
जो खुद को 
तेरा अपना खास बेटा कहते हें 
यह वोह लोग हें 
जो तेरी सुख शांति एकता अखंडता का 
सोदा करते हें 
यह कहते हें 
के तेरी वोह दोगले इंसान ही 
असली सन्तान हे 
और हमें कहते हें 
के तुम माँ के बेटे नहीं 
तुम तो सोतेली सन्तान हो 
ऐ धरती माँ 
तू ही बता 
एक धरती एक देश एक योजना एक कानून 
फिर हमारे साथ दोहरा सुलूक 
तो क्या 
हम मानलें 
के हम 
तेरी सोतेली सन्तान हें 
देख माँ 
में तुझे बता दूँ 
जब हम बीमार होते हें 
जब हमारे पास पानी नहीं होता हे 
तब हम 
तेरी इस मिटटी को 
अपने चेहरे और हाथ पर 
तेहम्मुम यानी वुजू कर लेते हें 
इसी मिटटी को रगड़ कर 
खुद को पाक कर लेते हें 
और तेरी ही आँचल पर 
बेठ कर 
अपनी नमाज़ पढ़ लेते हें 
ऐ धरती माँ 
मरते हें जब हम 
तब भी तेरी ही गोद में 
हम खुद को छुपा कर सुला देते हें 
तुझ से इतना प्यार 
तुझ पर इतना अटूट विशवास 
तो फिर यह 
दुसरे लोग जो 
तुझे लुटते हें तेरी धरती पर माँ बहनों की अस्मत लुटते हें 
निर्दोषों का कत्ल करते हें 
विश्वास घात ,भ्रष्टाचार करते हें 
ना तुझ में मिलते हें ना तेरी गोद में सोते हें 
फिर तू ही बता 
यह लोग 
केसे और केसे 
तेरी सन्तान हो सकते हे ..तेरी सन्तान हो सकते हें ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पीराने पीर दस्तगीर या गोस पाक की फातिहा का महीना हे

दोस्तों हमारा देश गंगा जमनी संस्क्रती की बेमिसाल संस्क्रति हे इसीलियें सभी को एक दुसरे के धर्म के बारे में जानकारियाँ होना चाहिए ताके एक दुसरे से मिलकर सभी देशवासी आपस में प्रेम सद्भावना और भाईचारे का हाथ बढ़ाएं .
अभी मुसलमानों के लियें फातिहा ख्वानी का महीना ग्यारवीं के नयाज़ का महीना चल रहा हे इस महीने को आम तोर पर ग्यारवीं के महीने के नाम से ही जाना जाने लगा हे वेसे इस्लाम में इस महीने को रबीउल सानी का महीना कहते हें जो रबीउल अव्वल के बाद आता हे , दोस्तों इस महीने में पीराने पीर दस्तगीर या गोस पाक अब्दुल कादर जिलानी को भी याद किया जाता हे और उनकी याद में ही फातिहा का दोर चलाया जाता हे , इस्लामिक इतिहास के अनुसार लगभग सातवीं सदी में इराक के बगदाद के पास एक गाव जिलानी में अब्दुल कादर जिलानी ने जन्म लिया और इन्होने माँ के पेट में ही कुरान शरीफ हिफ्ज़ कर लिया यानि माँ के पेट में ही इनकी इस्लामिक तालीम पूरी हो चुकी थी और इसीलियें यह जन्म से ही बालपन में सत्य ,अह्निसा और इमानदारी का पाठ पढाने निकल चले थे इनकी इस शोहरत को देख कर सभी पीरों ने इन्हें अपना पीर यानि पिराने पीर दस्तगीर मान लिया था , एक बार बालपन में जब इनकी माँ ने इन्हें इनके कम्बल और कमरी में पढाई के खर्चे के लियें दीनारें सीकर काफिले के साथ भेजा तो रास्ते में काफिले को लुटेरों ने लुट लिया सभी की तलाशी लेकर उनके सामान लुट लिए तब यह खुद  लुटेरों के सरदार के पास गए और उन्होंने कहा के मुझे भी मेरी माँ ने कमरी और कम्बल में दीनारें सीकर दी हें लुटेरों के सरदार ने तलाशी ली और दीनारें देखकर कहा के तुम तो यह बचा सकते थे फिर खुद क्यूँ यह राज़ बताया तब या गोज़ पाक ने कहा के यह मेरी माँ और इस्लाम की शिक्षा हे के जाना चली जाये लेकिन सच नहीं जाना चाहिए बस उस लुटेरों के कबीलों ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया . 
पिराने पीर दस्तगीर गरीबों के हमदर्द और इनको खुदा ने इल्म बख्शा था के यह अपनी ठोकर से मुर्दों को ज़िंदा कर दिया करते थे यह बारह माह रोज़े रखा करते थे और इबादत ऐसी के रात को इशां की नमाज़ के वुजू से सुबह फज्र की नमाज़ पढ़ लिया करते  थे इनकी इसी इबादत पाकीजगी की वजह थी के हर रोज़ रोज़े अफ्तार के वक्त बादशाह, अमीर  और गरीब इनके आगे लज्जतदार पकवान सजा कर रखते थे लेकिन यह सिर्फ किसी गरीब की दी हुई पिन खजूर से रोजा अफ्तारते थे एक दिन एक बादशाह ने झल्लाकर उनसे इस उपेक्षा का कारण  जानना चाहा तो या  गोस पाक ने एक हाथ में बादशाह की रोटी और एक हाथ में गरीब की रोटी लेकर उसे जोर से रस निकलने के लियें दबा दिया तब बादशाह की रोटी में से तो खून रिसने लगा और गरीब की रोटी से पानी बह रहा था बस बादशाह समझ गया और उस दिन से उसने गरीबों पर ज़ुल्म करना बंद कर दिया ऐसे पाक गोस पाक की याद में इस माह को पर्यायवाची के रूप में ग्यारहवीं के महीने के नाम से भी जाना जाता हे इस महीने में सभी लोग फातिहा दिलाकर गरीबों को अच्छा खाना बना कर खिलते हें वोह बात और हे के इस रिवाज को इस फातिहा को अमीरों ने इन दिनों आपस में एक दुसरे अमीर और रिश्तेदारों को दावत देने और खाना खिलाने का फेशन बना लिया हे लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे हें जो इन दिनों में केवल गरीबों को ही दावत देकर खाना खिलाते हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

26 मार्च, 2011

कल्पना में तुम नहीं तो

कल्पना में तुम नहीं तों, क्या लिखूं श्रृंगार पर,
नफरतों में घिर गया हूँ, क्या लिखूं में प्यार पर.
एक पत्थर में हृदय को ढूँढना भी, भूल ही है,
अब जो पत्थर भी मिलेंगे, मन लेंगे फूल ही हैं,
पत्थरों के फूल हो तो, क्या लिखूं में खार पर.
कल्पना में तुम नहीं तो, क्या लिखूं श्रृंगार पर,
...................................................................
हम हमारे मान की परवाह ही करते रहे,
वो हमारे मान को अभिमान से दलते रहे,
तोड़ डाले स्वप्न सारे, क्या लिखूं इकरार पर,
कल्पना में तुम नहीं तो, क्या लिखूं श्रृंगार पर,
...................................................................
जब उम्मीदें ही हो तो, क्या भरोसा हम करें,
हो चुकी कोढ़ तन को, कब तलक मलहम करें,
एक झूठी आस लेकर, क्या लिखूं घर बार पर,
कल्पना में तुम नहीं तो, क्या लिखूं श्रृंगार पर,
.................................................................
प्रदीप पांचाल कोटा

22 मार्च, 2011

एक इमाम,एक निजाम तभी ख़ुशी का हे पैगाम ..................

दोस्तों कुरान ,गीता बाइबिल सभी धर्मग्रंथों में लिखा हे के अगर आपका एक इमाम ,एक निजाम ,एक प्रबंधन होगा  और उसके बनाये गये कानून पर सभी चलेंगे तो बस समाज में खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी और जो भी इस निजाम के खिलाफ अपने कई इमाम कई निजाम बनाएगा वोह बर्बादी की तरफ डूबता जाएगा और आज यही सब कुछ हो रहा हे . 
आगामी २६ मार्च को बोहरा समाज के सय्याद्ना साहब का सोवां जन्म दिन हे इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बोहरा समाज की खुशहाली , अपनापन , सद्चरित्रता और व्यापारिक कामयाबी देख कर इस समाज की एकता अखंडता और खुशहाली पर रिसर्च करने को मन करा सोचा कुछ मुट्ठीभर लोग जहां हे वहां खुशहाल सुखी और समर्द्ध हे पढाई  में अव्वल हे तो व्यापर में अव्वल मेहनत में अव्वल और अपने खुदा के प्रति समर्पित हें इस समाज में अपराध और बेकारी दो चीजें ला पता हे सभी लोग बेकारी और अपराध से दूर हे समाजवाद का सिद्धांत ऐसा के एक दुसरा एक दुसरे को समाज में स्थापित करने के लियें मदद गार हे  ,  इसकी तह में जाने पर बस एक ही सच सामने आया और वोह था एक इमाम एक निजाम एक प्रबन्धन मेने देखा समझा के बोहरा समाज ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर केवल एक धर्मगुरु सय्य्दना साहब को मान्यता दी हे और विश्व स्तर पर जो स्यय्द्ना साहब ने कह दिया सभी समाज के लोगों के लियें वोह कानून हे अतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश स्तर से लेकर जिला और ताल्लुक्का स्तर तक केवल स्य्य्दना साहब का हुक्म उनका कानून जो उन्होंने कुरान में  से निकाला हे  वही चलता  हे और हर समाज का व्यक्ति इस कानून इस आदेश को मानने के लियें बाध्य हे दुसरे इमाम के प्रति समाज का समर्पण ही उनके बनाये गये हर कानून हर आदेश को स्वत्त ही मान्यता दे देता हे और आज फितरा  जकात के अलावा वार्षिक मदद से यह निजाम विश्व स्तर पर नम्बर वन पर चल रहा हे बोहरा समाज के लोगों को सीख़ दी गयी हें  के वोह नोजवानी से लेकर बुढ़ापे तक फ़ालतू बेठ कर  में वक्त न गवाएं केवल इबादत सेवा और व्यापार अपनी दुनिया बस यहीं तक सिमित रखने की सीख़ इन्हें दी जाती हे और इसीलियें  सभी समाजों में एकता अखंडता और एक इमाम के आदेश निर्देशों की पालना में यह एक पहला विकसित और एक खुशहाल समाज हे . इसी तर्ज़ पर मामूली सा चलने वाला सिक्ख समाज हे जो थोड़ा बहुत मुकाबले में खुशहाल हे .
दूसरी तरफ हम मुस्लिम समाज को देखें हिन्दू समाज को देखें इन दोनों समाज में एक तो इमाम ही इमाम हे मुसलमानों में ७३ फ़िर्के और इन फिरकों के हजारों इमाम फ़ालतू बेठ कर एक दुसरे की बुराइयां करने  में वक्त बर्बाद करना जाति उपजाति का इस्लाम के खिलाफ भेदभाव अमीरी गरीबी का भेदभाव शराब जुआं  ब्याज चंदा खोरी  और इमामों में राजनितिक पद पाने की पद लोलुपता ने इस समाज को विखंडित कर के रख दिया हे आज कानून एक हे इमाम एक होना चाहिए ऐसा संदेश हे उसके प्रति समर्पण का आदेश हे लेकिन इस कानून के विखंडित हो जाने से देश भर में और विश्व भर में मुस्लिम समाज किस दोर से गुजर रहा हे सब देखने की बात हे , इसी तरह से इस देश में हिन्दू भाइयों को ही लो वहां भी वही जाती उपजाति का भेदभाव विभिन्न पन्थ विभिन्न धर्मगुरु चंदे की दुकाने और धर्म और धर्म गुरु के निर्देशों के प्रति समर्पण का अभाव धर्मगुरुओं में राजनितिक पद लोलुपता बस इसीलियें इतने बढ़े समाज का हाल हम देख रहे हे तो दोस्तों कोई आये ऐसा बदलाव जिसमें इन दो बढ़े समाजों में भी धर्म और आस्था के कानून के तहत एक इमाम एक निजाम एक प्रबन्धन का सिद्धांत लागू हो और यह समाज खुशहाल होकर विकास एकता अखंडता की राह पर चलें ताके हमारा यह देश भी एक बार फिर सोने की चिड़िया बन सके ..................................... . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

20 मार्च, 2011

डॉक्टर अनवर की धमाकेदार की वापसी शायद जल्दी होगी

डॉक्टर अनवर जमाल भाई ब्लॉग की दुनिया से मध्यान्तर कर एक दम ला पता हो गये लेकिन उनके यूँ अचानक गायब हो जाने से ब्लोगिंग की दुनिया ही खामोश हो गयी हे और ब्लोगिंग की दुनिया को उनकी कमी अखरने लगी हे इसलियें सभी कहते हे ऐ भाई तुम खान भी हो जिस काम में भी लगे हो जल्दी फिर से इस दुनिया में चले आओ आ रहे हो ना . दोस्तों अनवर भाई जो ब्लोगिंग का कुछ तो हुनर रखते हें इसलियें  ब्लोगिंग की दुनिया में वोह ऐ इ आई ओ यु याने अंग्रेजी के वोविल्स हें जिनके बगेर विश्व में कोई भी जानदार या बेजान चीज़ का नाम  नहीं बनता हे इसलियें ब्लॉग से यूँ व्लोगिंग की दुनिया के वोविल्स का अचानक चला जाना ब्लोगिंग को बेजान कर गया हे अब तो शायद जो भी काम थे जो भी रुके हुए मामले थे वोह सब डॉक्टर साहब ने कर डाले होंगे पढना लिखना वायरस मारना दिखाना छुपाना मरम्मत करना आराम करना या जो भी कुछ हे वोह सब कल चुके होंगे . इसीलियें भाई अनवर अब तो वापस से चले आओ हम जानते हें भाई अनवर की वापसी यूँ सादगी से नहीं होगी कुछ ना कुछ धमाके से होगी इसलियें भाई दिल थाम के बेठे हें और इन्तिज़ार में हें अनवर भाई की वापसी के , आ रहे हो न अनवर भाई . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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19 मार्च, 2011

ब्लोगर ललित शर्मा के यहाँ आयकर विभाग का छापा

दोस्तों घर की बात हे घर में ही रहना चाहिए किसी को पता नहीं चलना चाहिए थोड़ा कान इधर लाओ एक ख़ास खबर ब्ताताता हूँ वोह अपने घुमक्कड़ हर दिल अज़ीज़ ब्लोगर हें ना अरे वाही भाई ललित शर्मा जो बंदूक ताने कभी रंग बिरंगे कभीर मुछों से डराते हुए इस्मार्ट पर्सनाल्टी लिएँ ब्लॉग की दुनिया मने धूम मचा रहे हें हां व्ही ललित जी कल रात उनके घर को आयकर विभाग के अधिकारीयों ने सील कर लिया और कला धन उनके पास होने सुचना पर तलाशी शुरू कर दी . 
भाई डॉक्टर अनवर जमाल को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने ब्लोगर भाईचारे के नाते उन्हें बचाने के लियें अदालत चला रहे तीसरे खम्भे के अनवरत दिनेश जी द्विवेदी को सुचना दी जाने का कोई साधन नहीं था क्या किया जाए उन्होंने योग गुरु बाबा रामदेव को कहा और हाल ही में जो हेलिकोप्टर उन्हें भेंट किया हे उसे भेजा गया में और शालिनी कोशिक जी रश्मि प्रभा से इजाजत लेकर जब वहा पहुंच तो पावला जी और खुशदीप जी सहगल सहित सेकड़ों ब्लोगर वहां पहले से ही मोजूद थे कुछ लोग भाई ललित जी की तरफ थे तो कुछ उनके खिलाफ खेमे बंदी कर रहे थे खेर जाते ही दिनेश राय जी द्विवेदी ने आयकर विभाग वालों को अड़े हाथों लिया और कहा के तलाशी रोक दो तुम ललित जी शर्मा के घर की तलाशी विना वारंट के नहीं ले सकते हो इस दोरान मुबई से एस एम मासूम साहब भी अआग्ये एक छत्तीस गढ़ के लाल बत्ती बाले बत्ती हे जो ललित जी दोस्त हे वोह भी वहीँ मोजूद थे लेकिन आयकर विबाग के अधिकारी किसी की सुनवाई नहीं कर रहे थे द्विवेदी जी और मेने फिर आयकर विभाग वालों से कानूनी बात तलाशी वारंट के बारे में पूंछा तो उन्होंने कहा के घोडा व्यापारी हसन अली पकड़ा गया हे और हमें किसी ब्लोगर ने सुचना दी हे के भाई ललित जी ठाठ से रहते हें घूमते फिरते हें मज़े करते हैं इनकी तिजोरियां माल से भरी हे इसलियें इनके पास काला धन हे , हमारा फिर वाही सवाल पहले तलाशी वारंट बताओ फिर तलाशी लो खेर आयकर विभाग के अधिकारी वारंट ढूंढने लगे वारंट ओत वोह दिल्ली ही भूल आये थे हमने बिना वारंट के तलाशी रुकवा दी एक अधिकारी हमारे ही हेलिकोप्टर से भाई अनवर जमाल को लेकर दिल्ली जाने लगे लेकिन जमला भिया ने कहा के में तो छुट्टी पर हूँ और ऐसी हालत में में भाई ललित शर्मा को अकेला छोड़ कर नहीं जाऊँगा खेर हरीश जी ब्लोगर शिखा कोशिक जी को लेकर दिल्ली पहुंचे वारंट आया फिर तलाशी शुरू , भाई ललित जी की सिफारिश करने वालों के फोन घन घना रहे थे प्रधानमंत्री से लेकर संतरी तक चाहता था ललित जी शर्मा छुट जाए उनका कहना था के जब हम लोग भी चोर हे तो फिर ललित जी का क्या दोष हे एक ललित जी शर्मा थे जिनके चेहरे पर जरा भी तनाव नहीं था खेर हमने सोचा बहादुर पंडित हें किसी भी समस्या से डरते नहीं भगवान पर भरोसा करते हें इसलियें ऐसा हो रहा हे , ललित जी का पह अलोकर खुला उसमें दो किलो प्यास , एक किलो लहसुन निकला साथ में दिनेश जी और पावला जी की कुछ तस्वीरें थी गीता थी कुरान और बाइबिल थे , दुसरा लोकर खोला गया उसमें हाल ही में जो चवन्निया पाबन्द की गयी हे सो से भी अधिक वोह चवन्नियां पढ़ी थी इस लोकर में भी कुछ नहीं मिला लेकिन एक नक्शा मिला जिसके आधार पर सभी आयकर विभाग वालों ने जगह तलाशी चलते गये चलते गए तो यह तो खुश दीप जी का बेडरूम निकला वहां के पी सक्सेना और शाहनवाज़ के कुछ सीक्रेट एक बसते में बंद थे खेर फिर ललित जी शर्मा के घर का रुख किया तो सब होली की मस्ती में मशगुल थे भंग की पकोडिया  खाई जा रही थीं तारकेश्वर गिरी इधर उधर छुप रहे थे क्योंकि दो प्याजें उन्होंने अपनी जेब में छुपा ली थीं .
अब सभी लोग थक चुके थे आयकर विभाग वाले तलाशी में जो माल मिला था वोह सुचना देने वाले को दस प्रतिशत देने के लियें ढूंढ़ रहे थे उन्होंने जेसे ही खुश दीप जी को देखा उनको पुकारा और तिन प्याज़े पञ्च लस्सन उन्हें थमा दिए बोला यह आपका दस प्रतिशत सुचना देने का हिस्सा हे चुप चाप रख लो घर का भेदी लंका ढाए वाली कहावत देख कर हमने कहा यह किया घर को ही लगी हे आग घर के चिराग से तो ललित जी ने हमारा मुंह बंद कर दिया थोड़ी देर में सभी आयकर अधिकारी जा चुके थे रात ललित जी के यहाँ ही सभी ब्लोगर ठहरे सुबह सारे अख़बारों और टी वी चेनलों पर खबर थी  लोग ललित शर्मा जी को बधाईयाँ दे रहे थे कई बेंक मेनेजर लोन दें के लियें लाइन लगा कर खड़े थे कई रिश्तेदार जो भिया ललित जी को नाकारा समझते थे हाथ में माला लिए खड़े थे हर कोई उनका दोस्त रिश्तेदार बनना चाहता था बच्चों के रिश्ते धडा धड़ी से आने लगे थे यह सब तमाशा देख खुश दीप जी ने कहा के भाई ललित पावला जी की सलाह पर मेने यह आयकर विभाग का छपा डलवाया हे और देखों इससे तुम्हारा मान सम्मान कितना बढ़ गया हे बस फिर किया था सभी ब्लोगर खुशदीप जी के पीछे पढ़ गये के प्लीज़ मेरे यहाँ भी आयकर विभाग का छापा पढवा दो ना और इस भीढ़ को देख कर खुश दीप जी को कहना पढ़ा के जाओ पहले लाइन में जाकर लगो तुम्हारा नम्बर आएगा जब बात करेंगे ........... बुरा न मनो होली हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

18 मार्च, 2011

aese mnaynge blogrs holi

होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया

होली के रंगा रंग कार्यक्रम की शुरुआत कल यहाँ हुई एक छोटे से कुए में बुरा ना मानो होली हे के नारे के साथ यह कार्यक्रम शुरू हुआ इस कार्यक्रम के पूर्व अंधे कुए को जब देखा तो किसी ने जले हटाने की बात कही कुए में थोड़ा बहुत कीचड़ था इसलियें साफ करना मुनासिब नहीं समझा उसी में गुलाल मिला दिया और खाने का इन्तिज़ाम भी वहीं कर दिया . 
खाने की शुरुआत में सबसे पहले भाई उड़नतश्तरी ब्लोगर का इन्तिज़ार था खेर वोह आये उन्होंने अपनी उड़ने वाली तश्तरी ली और ब्लॉग ४ वार्ता के लियें भाई ललित जी शर्मा के पास चले गये लाली जी शर्मा तो ठहरे घुमक्कड़ भाई वोह इधर उधर घूम रहे थे के कुंवर जी ने उन्हें घेर लिया बस भाई ललित जी साइड में हो गये और वकील दिनेश राय जी द्विवेदी की अदालत की बात करने लगे ब्लोगरों का होली कुआ था इसलियें इस कुए को तीसरे खम्बे की खड़े रहने की जरूरत थी सो इस तीसरे खम्बे पर यह कुआ खड़ा रहा . हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की बात चली तो सब इधर उधर बगलें झाँक रहे थे के बहन शालिनी कोशिक एडवोकेट दोध कर आयीं और ब्लोगिंग के महिला अत्याचारों को खत्म करवा कर उनकी हुकूमत कायम करने के लियें श्रीमती वन्दना गुप्ता और रश्मि प्रभा से गुपचुप बातें करने लगीं इस बीच ब्लोगर होली मिलन का खाना कम पढ़ गया था बस में अख्तर खान अकेला बावर्ची बन कर खाना बनाने लगा इसी बीच पी एस पावला जी ने एक सुझाव दिया के बाई जहां इतना कर रहे हो वहां कुछ साल गिराहें और शादी की साल गिरहें हें उन्हें भी निपटा डालो पावला जी हाकम हे स्टील के आदमी हे सो उनकी बात टाल कर हम मुसीबत में नहीं पढना चाहते थे इसीलियें चुपचाप बर्थ डे केक बनाने में लग गये . 
अतुल श्रीवास्तव जी खाना खत्म हो जाने के कारण मुकेश जी सिन्हा के साथ प्रेषण घूम रहे थे कुए के लियें सीडिया मंगा रहे थे लेकिन ब्लोगिंग की होली का कुआ था यहाँ आदमी आता तो अपनी मर्जी से हें लेकिन जाता भाई ब्लोगरों की मर्जी से हे सो वोह नाकाम नज़र आ रहे थे इसी बीच के पी सक्सेना साहब ने तीसरी आँख दिखाई तो एक कोने में एक प्लेट में समोसा दिखा वोह आगे बढ़ते के मदन गोपाल गर्ग ने प्लेट झपट ली इस घटना  को देख कर भाई हरीश भट्ट आशुतोष और अनामिका को देख कर दायें बिखेर रहे थे ,मुकेश सिन्हा हकीम युनुस खान से ब्लोगर्स की टिप्पणियों से पेट में दर्द ना हो इसकी दवा लिखवाना चाह रहे थे के अचानक अंधे कुए में रौशनी जगमगा गयी हमने देखा के आखिर यह किसका जमाल हे तो देखा तो भाई हाकिम साहब के सामने एक डोक्टर की रौशनी का जमाल थे किसी ने कहा के यह चमक अनवर जमाल की हे सब बा अदब बा मुलायेज़ा हो गये और सलीम भाई और अनवर भाई साथ बेठ कर ब्लोगिंग पर चर्चा करने लगे ब्लोगिं का भविष्य देखने के लियें पामिस्ट भी वहां मोजूद थे और डॉक्टर अशोक जी पामिस्ट डोक्टर राजेंदर तेला जी का हाथ निरंतर देख रहे थे यह नजारा देख कर में सोच रहा था के यह हिंदी ब्लॉग फोरम इंटर नेशनल बन गया हे . 
      होली की इस हुडदंग में एक बार फिर गरम पूरी बन कर आई भगदड़ मची और फिर पूरी खत्म अली सोहराब ने सोहराब जी ने सुचना के अधिकार के तहत हसन साहब के साथ ब्लोगिंग खाने पीने का हिसाब किताब मांग लिया , बस खुशदीप जी ने कहा केसा हिसाब जो भी था हमारा अपना था इसलियें इसका हिसाब महक ,पूजा और फिरदोस से पूंछो ,अतुल कनक जी थे वोह जब अपनी कविता कह रहे थे तो डोक्टर रुप्चंदर शाश्त्री जी इस मामले को गम्भीरता से देख रहे थे सुनने का तो सवाल इसलियें नहीं था के खाने में जो मिर्चियाँ तरहीं उसका धुंआ कानों और ना जाने कहाँ कहाँ से निकल रहा था . 
इसी बीच अस्त व्यस्त ब्लोगिंग की इस पार्टी को सजाने संवारने का काम भाई शाह नवाज़ करने लगे और लोग इनसे डरने लगे इनके हाथ में केंची थी दुसरे हाथ में खुद का दामन था सब इनके इस हाल को देख कर अंधे कुए में बनाये गये दुसरे हाल में घुस गये वहां तारेक्श्वर गिरी बादाम की गिरी अकेले खा रहे थे और दूसरी तरफ संजय सेन सागर में नहा रहे थे जाकिर अली रजनीश के ध्यान में मगन थे तो उपदेश सक्सेना जी ब्लोगिंग के हालत पर उद्प्देश सुना रहे थे .हरीश जी इन सब को देख कर भूख से कुलबुला रहे थे इसलियें वोह तुरंत अपना लेब्तोब खोल कर खाना बाचने लगे .उनकी इस हालत पर आज समाज ने कहा यही हे आज का समाज झना लोग एकत्रित हें और ब्लोगिंग हो रही हे . 
डोक्टर निरुपमा वर्मा ने दिलबाग विर्क से कहा के हम तो आपको देख कर ब्लोगरों की बरता न मानो इस होली में बाग़ बाग़ हो गये इस बात चीत को सलीम खान सुन रहे थे और लखनऊ ब्लोगर एसोसिएशन को गुपचुप खाना खिला रहे थे एक जीशान जेडी थे जिन्हें अफसाना तनवीर ब्लोगिंग के होली के इन हालातों पर अफसाना सुना रही थीं .मीनाक्षी पन्त ,सुरेश भट्ट मिल कर अपने अपने पांतों के बारे इमं सोच कर सुरेश भट जी के साथ तंदूर की भट्टी जला रहे थे जिसे फूंक से भाई ललित जी शर्मा बुझा रहे थे ,मार्कंड दावे , नील प्रदीप आपस में कोई बात कर रहे थे के बीच में साधना वेध ने वेध बन कर एक ब्लोगिंग दवा लिख डाली जिसे लेने दी पी मिश्रा और मनोज और अनुरण लेने जाने की कोशिशों का ताना बाना बुन रहे थे के जसवंत धरु ने उन्हें रास्ते में ही धर लिया निरुपमा वर्मा जी ने जब वोह देखा तो उन्होंने भूखे पेट अन्ताक्षरी शुरू की और प्रतिभा ने इस प्रतिभा पर उन्हें इरफ़ान से एक रोटी छीन कर देने की कोशिश की तो के एस कन्हय्या नाराज़ हो गये एक दुसरे की शिकायत हुई सब झूंठ बोल रहे थे तो इंजिनियर ने सत्यम शिवम का संदेश दिया मिथलेश दुबे ने कवि सुधीर गुप्ता पन्त से कविता कहने को कहा तो उन्होंने लिखी लिखाई कविता ब्लॉग पर दे डाली . गजेंदर सिंह जी अपने गज को लेकर ब्लोगर होली मिलन समारोह स्थल के कुए में थे लेकिन अरविन्द शुक्ल ने स्वराज करुण की बात की तो बहन शिखा कोशिक ने हस्तक्षेप किया और डॉक्टर अजमल खान ने भूखे पेट भजन करने के लिए सभी ब्लोगरों को गोलियां खिलायीं ,गगन शर्मा ने गगन की तरफ रंग बिरंगे इंद्र धनुष की तरफ देखा तो एक महर दिख रही थी ,जनोक्ति ने लोक्संघर्ष की बात की तो एल के गांधी जी हंसने लगे बस फिर क्या थी सभी के चेहरों पर से हंसी गायब गुस्सा दिखने लगा सब अपने अपने गुट बनाने लगे एक दुसरे को टिप्पणियों का दुःख दर्द सुनाने लगे पहले तो भाई डंडा लखनवी ने डंडा दिखाया लेकिन मास्टर जी का डंडा छोटा था इसलियें पाठ काम नहीं आया और इसी बीच एक मासूम सा आदमी एस एम मासूम सभी के बीच एक देवता बन कर अमन का पैगाम लाया इस पैगाम को देख कर दुसरे भाई जिन्होंने हिन्दुस्तान का दर्द देखा था सहा था वोह प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के साथ हो लिए और सभी को साथ जोड़ने के लियें आल इण्डिया ब्लोगर एसोसिएशन का खुशनुमा पैगाम दिया सभी ने महिला वर्ष होने से महिलाओं को आदरणीय होने का पैगाम दिया बस फिर किया था सबकी खबर ले सबकी खबर दे के नारे के साथ एक खुबसुरत ब्लॉग ब्लॉग की खबरें सबके सामने था सभी ब्लोगर इतिहास देख रहे थे और सोच रहे थे हमारी नादानी ही थी जो ब्लोग्वानी बंद हुई हमारी कमजोरी थी जो चिट्ठाजगत पाबन्द हुआ अब हमारी वाणी हे जो सिर्फ और सिर्फ हमारी वाणी हे यह ना तेरी हे ना मेरी हे यह तो बस ब्लोगर्स की अपनी हमारी हे , एक दम ब्लोगिंग के इस अंधे कुए में एक नई रौशनी दिखी और खाना बन कर आ गया डोक्टर अनवर जमाल थे के हाथ में खाना लिए भाई दिनेश द्विवेदी जी को परोसे  जा रहे थे और भाई दिनेश द्विवेदी जी थे के उनसे एक एक लड्डू लिए बढ़े आराम से मुस्कुराते हुए खाए जा रहे थे थोड़ी देर में खाने का दोर खत्म हुआ मिलने मिलाने और गुलाल रंग लगाने का दोर शुरू हुआ तो सभी ने पानी बर्बाद ना हो इसलियें केवल तिलक लगाकर तिलक होली मनाई और जब सभी भाइयों ने पीछे मूढ़ कर देखा तो एक सपना जो सुबह देखा था सच होते हुए देखा भाई शाहनवाज़ और दिनेश द्विवेदी जी अनवर जमाल से गले मिल मिल कर आपसी गिले शिकवे अपने आंसुओं में बहा रहे थे ब्लोगिंग की इस दुनिया का इस काल्पनिक होली मिलन समारोह का यह हाल देख कर मेरा मन करा यह हाल तो सभी ब्लोगर भाइयों को सुनाया जाए सभी को पढाया जाए वेसे तो बुरा ना मानो होली हे और फिर अगर कोई बुरा मानता हे तो माने क्योंकि फिर भी तो बुरा ना मानों तो होली हे बस ऐसी खुशनुमा होली का सपना पूरा हो एकता अखंडता धर्मनिरपेक्षता वक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रा सुरक्षा मान सम्मान लिंग जाती धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हमारे देश के संविधान की भावना के नारे के साथ मेरी ब्लोगिंग की दुनिया बने यही होलिका से मेरी दुआ हे मेरी दुआ हे ,.......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
होली के खुशनुमा रंगों में डूबेगी ब्लोगिंग की दुनिया

17 मार्च, 2011

विक्लिंक्स या एक जासूसी की शुरुआत

विक्लिंक्स या एक जासूसी की शुरुआत हे इस मामले में देश की सरकार और जनता को गम्भीरता से सोचने की जरूरत हे जो बात हमारे देश की जनता को पता नहीं अगर वही बात हमें विदेशी लोगों से पता चले तो या तो हमारे अपने मिडिया कर्मी बिके हुए हें या फिर कमज़ोर हें . 
जी हाँ दोस्तों कभी भी अगर कोई बात मेरे इस देश में हुई हे तो हमें बाहर के ही लोगों ने सूचित किया हे इन दिनों विश्व में विक्लिंक्स वेबसाईट का खुलासा हे और यह खुलासा सीधे साइड मेरे इस देश की जासूसी की पोल खोल रहा हे जो मेरे देश की सरकार इसके लियें खुली छुट देकर देश और देश वासियों की सुरक्षा के लियें खतरा पैदा कर रहे हें . 
हमारे देश में देश का कोई व्यक्ति अगर कुछ खबरे लेना चाहता हे सुचना के अधिकार के तहत सूचनाएं मग्नता हे तो सीधा जवाब होता हे के इस जवाब से देश की सुरक्षा को खतरा हे इसलियें यह सुचना दिया जाना सम्भव नहीं हे हमारी रक्षा प्रणाली , सुरक्षा प्रणाली. वैज्ञानिक प्रणाली सब कुछ विदेशों को पता हे लेकिन हमारे देश की इस जनता को जानने का हक नहीं अगर देश के लोग कोई सच नहीं जान सकते तो विदेश के लोगों को यह सच केसे पता चल जाता हे और अगर पता चलता हे तो फिर इन सुचना दाताओं की नादानी पर उनके खिलाफ कार्यवाही क्यूँ नहीं होती यह एक वाल हे हाल ही में विक्लिंक्स ने देश की सुरक्षा और आंतरिक मामलों को लेकर कई खुलासे किये हें हम हमारे देश के लोगों पर तो भरोसा नहीं करते लेकिन एक विदेशी जासूस की बात पर बिना अजांचे परखे विशवास कर बैठते हैं और बस संसद हो चाहे सडक हो आपस में लड़ बैठते हें दोस्तों दिखने में तो यह एक मामूली बात हे लेकिन जरा सोचो विचार करो हमारे देश की जानकारी अगर विदेशियों के पास हे और वोह ऐसी जानकारी हे के हमें सुचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा सकती तो फिर बताओ इस देश का गुप्त सच कोन बाहर पहुंचा रहा हे कोन अधिकारी हे जो इस सच को पचा नहीं पा रहा हे यह एक ऐसा सवाल हे जिस पर विचार करना होगा और विक्लिंक्स के सभी सच के खुलासे के बाद किसके खिलाफ क्या कार्यवाही हो वोह बाद की बात हे लेकिन पहली कार्यवाही उन लोगों की खोज होना चाहिए जिनकी लापरवाही से विदेशी जासूसों को इस देश में सुचना एकत्रित करने का मोका मिल रहा हे और मेरे इस देश को विदेशी जासूसी से बचाने के लियें अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करना चाहिए. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

होली के रंग हजार

होली के रंग हजार  नहीं लाख नहीं करोड़ों करोड़ होते हें आप भाइयों और बहनों की जिंदगी होली के इन खुबसुरत रंगों से सजी और संवरी हे और खुदा करे जिन लोगों की जिंदगी के रंग में जरा भी भंग पढ़ा हे उनकी जिंदगी फिर से खुशियों के रंग से भर जाए लेकिन इस त्यौहार को भी मिलावट की नजर लग गयी हे रंगों की इस दुनिया को मिलावट की दुनिया बनाने वाले एक व्यापारी का कोटा में वाट लगाई गयी हे . 
दोस्तों कोटा में एक व्यापारी उद्ध्योग के नाम पर कोटा स्टोन का चुरा मिला कर गुलाल बना रहा था जो लोगों की खाल चेहरे बिगाड़ने के लियें काफी हे यहाँ रसद अधिकारी ने जब एक सुचना पर छापा मारा तो वहां करीब सो क्विंटल कच्चा पाउडर और रंग बरामद किया गया पच्चीस पेसे प्रति किलो बनने वाले इस गुलाल को यह जनाब सरे राजस्थान में दस रूपये किलों में बेच चुके थे इनके रजिस्टर से पता चला के कुछ दिनों में ही दस लाख रूपये का जहर यह जनता में बेच चुके हें अब पुलिस और रसद अधिकारी जी इस पशोपेश में हें के इन जनाब के खिलाफ मुकदमा कोंसे कानून और धरा में किया जाए क्योंकि जो कानून कहता हे वोह तो यह करते नही राजनितिक पहुंच होने के कर्ण रस्मन कार्यवाही केसे हो अखबारों में खबर केसे बने और नतीजा ढ़ाक के तीन पात निकल कर मामला की रफा दफा किया जाए . 
तो दोस्तों यह तो एक सच्चाई हे हमारे देश में इन दिनों नकली सामानों की बिक्री नकली चेहरों की सजावट नकली अभिनय नकली रिश्तों की भरमार हे और इसी लियें सब कुछ बिगड़ता जा रहा हे जबकि होली के रंग खुबसुरत रंग लोगों के दिलों में नई उमंग नया प्यार अपनापन पैदा करते हें और इस होली को भी हम ऐसे ही नये दोर के साथ आदर्श आधुनिक होली बना कर मिसाल कायम करे सभी ब्लोगर भाई बहनों में अगर किसी तरह के कोई गिले शिकवे हों तो एक बार हाँ एक बार इस अवसर पर भुला कर गले लगे एक दुसरे को प्यार करे अपनापन दें बस देखो होली का यह रंग कितना खुबसूरत हो जाएगा तो दोस्तों पहल मेरी तरफ से हे निश्चित तोर पर इंसान गलतियों का पुतला होता हे और ब्लोगर की दुनिया में शायद सबसे गलत कोई हे तो वोह में नम्बर वन हूँ इसलियें भाइयों बहनों में सभी से हाथ जोड़ कर अपनी गलतियों के लियें माफ़ी मांगना चाहता हूँ और चाहता हूँ के आप भाई बहने मुझे मेरी सभी गलतियों के लियें मुझे माफ़ करें तो एक बार फिर रंगों की खूबसूरती बिखेर कर अपनेपन का अहसास दिलाने वाली होली और बुराइयों को जला देने वाली इस होली पर अपनी बुराइयों को जलाकर राख कर दें बुराई के रावण को ख़ाक कर दें और अच्छाई के प्रति  एक विश्वास एक सद्विश्वास को सभी के बीच बिखेर कर खुशियाँ और प्यार की खुशबु बिखेर दें में जानता हूँ यह मेरे लियें छोटा मुंह बढ़ी बात हे लेकिन क्या करें में ऐसा ही हूँ ........................ . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक वायरस इंसान तो क्या ....... जी हाँ मशीन को भी ........बना देता हे

एक वायरस इंसान तो क्या ....... जी हाँ मशीन को भी ........बना देता हे यह बात फिल्म स्टार नाना पाटेकर के उस फिल्म डायलोग से सीधा समझा जा सकता हे जिसमें उन्होंने एक मच्छर आदमी को क्या बना सकता हे वोह बताया हे . 

जी हाँ दोस्तों इंसान तो क्या एक बेजान सी मशीन एक विचार भी अब वायरस से सुरक्षित नहीं हे हमारे कम्प्यूटर को ही लो एक वायरस घुस गया बेचारे कम्प्यूटर के जानकारों ने तिन दिनों तक वायरस की तलाश की लेकिन वायरस था के मिलने का नाम ही नही ले रहा था सोफ्टवेयर से हार्डवेयर में प्रवेश कर गया था इधर वायरस के कम्प्यूटर में आजान से हम बेबस और परेशान थे अपने भाइयों से अपने मार्गदर्शकों से बेबाकी से मिल नहीं पा रहे थे जेसे लोग अख़बार मांग के पढ़ते हें वेसी स्थिति हमारी थी और हम गुपचुप तो कभी किसी के लेब्तोप या कम्प्यूटर से अपना दिल भला रहे थे लेकिन अपना अपना होता हे इसलियें बस अपने कम्प्यूटर के वायरस के खत्म होने तक कसमसा रहे थे और आज दोस्तों आप सभी की दुआ से मेरा यह कम्प्यूटर एक बार फिर वायरस मुक्त हो गया हे . 

मेरा कम्प्यूटर तो वायरस मुक्त हो गया हे लेकिन कितने दिन ऐसा रहेगा कह नहीं सकता क्योंकि आजकल तो वायरस जी का जमाना हे मेने सोचा एक बेजान चीज़ को भी वायरस ............ बना देता हे तो फिर इंसान और इंसान की फितरत तो क्या चीज़ हे और आज ब्लोगिंग की दुनिया में जो भी लिखा जा रहा हे जो भी पढ़ा जा रहा हे शायद वोह वायरस से मुक्त तो नहीं हे सब अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग लिए चल रहे हें एक ब्लोगर दुसरे ब्लोगर से नान्राज़ हे तो एक ब्लोगर दुसरे ब्लोगर की खिल्ली उढ़ा रहा हे कुछ गिनती के ऐसे चमकते हीरे हें जो शायद गुड नाईट लगाकर साथ चलते हें इसलियें वायरस उन तक नहीं पहुंच पा रहा हे और आज ब्लोगिंग की दुनिया की कुछ हस्तिया ऐसी भी  हें जो पूरी तरह से वायरस मुक्त हैं और ब्लोगिंग की दुनिया में वोह हर दिल अज़ीज़ बने हें हमारे यहाँ ब्लोगिंग की दुनिया में अच्छा लिखें वालों की कमी नहीं हे लेकिन अच्छा पढने वाले अच्छा देखने वालों की शायद कमी होती जा रही हे और अब इस वायरस को ढूंढ़ कर हमे सबको  मरना होगा और भाईचारे सद्भावना के वायरस से इस ब्लोगिंग की दुनिया को महकाना होगा चमकाना होगा और रंगों की इस होली के त्यौहार को खुबसुरत रंगीन बनाने के लियें खतरनाक वायरसों से खुद को बचाने के लियें अब खुद के दिमाग में एंटी वायरस डलवाना होगा क्या हम ऐसा कर सकेंगे अगर हां तो भैया मेने तो एंटी वायरस डलवा लिया हे मेरे ब्लॉग गुरुओं के तो पहले से ही एंटी वायरस दल हे और जो साथी हें जो टिप्पणीकार जो फोलोव्र्स हें ज़ाहिर हे उनके भी एंटीवायरस दला ही होगा इसलियें भाइयों एंटी वायरस जन्दाबाद करने की शुरुआत हो गयी हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

15 मार्च, 2011

शाहजिल की शादी हो गयी

शाहजिल जो इश्बा का भाई हे वोह वेसे तो भुत खराब बच्चा हे लेकिन फिर भी उसे एक टोंक की लडकी से प्यार हो गया था इसलियें वोह बालपन में ही शादी की जिद करने लगा उसकी शादी नहीं करवाना थी वोह भी शादी के बारे में नहीं समझता था इसलियें हमें मिलकर एक प्लान बनाया और उस प्लान में शाहजिल को दूल्हा बनाकर घोड़ी पर बिठाया बाजे मंगवाए और एक मूर्ति को कपड़े पहना कर दुल्हन बनाई फ़िल्मी अंदाज़ में शादी करवाई तब खिन शाहजिल बेचारा चुप हुआ अब वोह बहुत खुश हे और खुद को दुल्हा समझ रहा हे हे ना मजेदार बात ऐसे हुई शाहजिल की शादी . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

14 मार्च, 2011

बुरा ना मानो होली हे बुरा मानो तो मान जाओ फिर भी होली हे

बुरा ना मानो होली हे बुरा मानो तो मान जाओ फिर भी होली हे जी हाँ दोस्तों होली का रंगों का खुशिया और अपनापन बिखेरने वाला यह त्यौहार आपकी हमारी सभी की जिंदगी में खुशियों के रंग भर दे और सभी ब्लोगर भाइयों बहनों को होली मुबारक हो  , इस अवसर पर में थोड़ी गुस्ताखी कर रहा हूँ और कान भी पकड़ कर माफ़ी मांग रहा हूँ लेकिन मुझे माफ़ मत करना . 
सलीम खान ........... खतरनाक लेखन 
श्रीमती वन्दना गुप्ता ..लिखते रहो गृहणियों का नाम रोशन करो 
दिलबाग विर्क ... सबका दिल बाग़ बाग़ करते रहो 
डोक्टर निरुपमा वर्मा .. साहित्य का इलाज तो आपही को करना हे 
जीशान जेडी ...... ब्लोगर की दुनिया की शान बनना हे 
दीपा ..........दीपक की तरह रोशन होना हे 
अफसाना तनवीर ..... एक खुबसूरत सीख देने वाला अफसाना हूँ 
एस एम मासूम ...... हर दिल अज़ीज़ अमन का पैगाम मासूम बन गये हें आप 
मार्कंड दवे .......... लिख रहा हूँ कुछ जूनून में 
नील प्रदीप .............. कुछ तो लिख ही रहा हूँ 
सदा ............एक आवाज़ जो सदा बनी रहेगी 
डोक्टर श्याम गुप्ता .......ब्लोगर्स पर रिसर्च करना होगी 
डोक्टर अनवर जमाल ...प्यार दो प्यार लो चरों तरफ अनवर भाई का जमाल हे
हरीश सिंह ...........कुछ मुझे भी तो बताओ यार 
साधना वेद ........ लेखन में वेदों की ही साधना हे 
सुरेश गुप्ता ..........में भी कुछ हूँ यार 
महफूज़ अली ..... अच्छे लेखन को महफूज़ करो यारों 
डी पी मिश्र ............. खुशबु बना हूँ में ब्लॉग की 
मनोज ........... मेरी चाहत कोन हे 
अनुराग अंत ....... मेरा राग अनंत हे 
जसवंत धरु ....... किस किस को धरना हे 
अनवारुल हसन .... मेरी पहचान मेरा लेखन 
अन्ताक्षरी ........सभी का मनोरंजन हूँ में 
प्रतिभा .......मेरी प्रतिभा का कोई मुकाबिल नहीं 
इरफ़ान ....में भी इक फुल हूँ यारों 
के एस कन्हय्या ...... ना बाबा ना में कृष्ण कन्हय्या नहीं 
इंजीनियर सत्यम शिवम ...सत्य का पुल बनाउंगा 
मिथलेश दुबे .......... ब्लोगिंग की सेवा कर रहा हूँ 
कवि सुधीर गुप्ता .......मेरी भी सुनो यारों 
डोक्टर डंडा लखनवी .......... मेरा भी डंडा चलता हे लेकिन आवाज़ नहीं होती यारों 
डोक्टर अजमल खान .... मेरा भी अपना जमाल हे 
अरविन्द्र शुक्ल ......... में भी सभी को पढ़ता हूँ 
गजेन्द्र सिंह ........हाथी और बरसात का संगम हूँ 
स्वराज करूँ ......... स्वराज ही मेरा जन्म सिद्ध अधिकार हे 
शिखा कोशिक .वकील साहिबा सभी का मुकदमा लड़ रही हें 
दिनेश द्विवेदी जी ...तीसरा खम्बा अदालत की दुनिया में अनवरत चल रहा हे 
ललित शर्मा ..........घुमक्कड़ ब्लोगर भाई साहब 
अतुल श्रीवास्तव .......... कुछ लिखता रहा हूँ प्यार में 
मुकेश सिन्हा ............. मेरी भी तो सूना यार 
रश्मि प्रभा ............... आज कल गाइड कर रही हूँ 
के पी सक्सेना ........मेरी सेंसर की छुरी बहुत तेज़ हे 
तीसरी आँख ..........मुझे सब दिख रहा हे 
मदन गोपाल गर्ग .... मेरा ब्लॉग सब का प्यारा ब्लॉग 
हरीश भट ............ सुधर जाओ यारों 
आशुतोष ............मिलजुल कर रहना हे 
अनामिकाएं सदायें ....... हमेशा याद रहेगी यह सदा 
हाकिम युनुस खान .... थोड़ा हिकमत भी चलाना हे दोस्तों 
डोक्टर अशोक पामिस्ट ..... सभी का हाथ देखना हे 
डोक्टर राजेन्द्र तेला निरंतर ........निरंतर लिखता रहा हूँ 
अली सोहराब ............ इंसाफ लेकर रहूंगा 
अफसर पठान ...........में वोह वाला पठान नहीं हूँ भाई 
हसन जावेद ........ सोचना का अधिकार दिलवा कर रहूंगा 
पूजा ...............ब्लोगिंग की पुजारन हूँ 
फिरदोस ..........विवादित लेखन 
खुश दीप ..............खुशियों के ही दीप जला रहा हूँ 
शाहनवाज़ .......... इंटीरियर ब्लॉग डेकोरेटर 
तारकेश्वर गिरी ..... सभी को जोड़ कर चलना हे यारों 
संजय सेन ............. लिखते रहो मुन्ना भाई 
हिंदुस्तान का दर्द ......... सभी का दर्द खुद समो रखा हे 
अतुल कनक ...........राजस्थान का लेखक कवि शेर हूँ 
जाकिर अली रजनीश ....आचार्य रजनीश नहीं जाकिर हूँ भाई 
डोक्टर रूपचन्द्र सशत्र मन्यंक ...... मेरे लेखन का रूप चाँद की तरह चमक रहा हे 
उपदेश सक्सेना .... में लिखता हूँ उपदेश नहीं देता हूँ 
अरविन्द सिसोदिया .....सोनिया को हटा कर रहूँगा 
हरीश ..................... में जो लिखता हूँ सभी के लियें हें  
रमेश सिरफिरा .........दिमाग फिरता हे सर नहीं पत्रकारिता से समाज बदल दूंगा
दोस्तों भाइयों बहनों होली के पूर्व सप्ताह के इस माहोल को में रंगीन बनाने की कोशिश कर रहा हूँ में नोसिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता हूँ बहुत ब्लोगर्स इसमें छुट गये हें में जानता हूँ में गलतियों का पुलंदा हूँ लेकिन थोड़ी थोड़ी धुल छांट कर अगर कोई बात कोई गलती हो तो जरुर सुधारने के निर्देश देना . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

13 मार्च, 2011

इन हवाओं के साथ

 इन हवाओं के साथ 
 फिर तुम 
 कभी यूँ न जाना 
 ज़िन्दगी रहे अगर हमारी 
 तो मिलने जरुर आना 
वरना कबर पर 
फातिहा पढ़ क्र जाना . 
अख्तर खान अकेला jकोटा राजस्थान 

12 मार्च, 2011

यह नफरत यह झगड़े यह फसादात आखिर कब तक चलेगे

यह नफरत यह झगड़े यह फसादात आखिर कब तक चलेगे इसका जवाब ना आपके पास हे ना मेरे पास , इसके पीछे क्या कारण हे और झगड़े फसादात नफरत क्यूँ फेल रही हे ना आप जानते हें ना में जानता हूँ लेकिन सक यही हे चाहे आप हो चाहे में हूँ कमोबेश कहीं ना कहीं इन सब के लियें ज़िम्मेदार हें और इस पर हमें आपको चिन्तन करना होगा गलती स्वीकार करना होगी नहीं तो बस यह सिलसिला यहं ही चलता रहेगा और मेरे भारत महान को महान बनाने का सपना यूँ ही चकनाचूर होता रहेगा . 
दोस्तों एक सप्ताह पूर्ण एक घटना मेरे सामने एक ऐसा सच बन कर सामने आया जिसकी चिंगारी से देश जल रहा हे ऐसा मेरा अनुमान हे चाहे आप हो चाहे में हूँ सभी इस चिंगारी के शिकार हें और इस चिंगारी से बनी आग में हाथ तापने के सपने लगाये बेठे हें भाइयों में एक सप्ताह से असमंजस में था के इस सच का आपके सामने खोलूं या नहीं क्योंकि सच तो सच होता हे और सच जब भी बोला जाता हे लिखा जाता हे एक बढ़ा तबका उसके खिलाफ हो जाता हे लोग बुरा मान जाते हें नाराज़ हो जाते हें और में जानता हूँ मेरे इस सच बोलने को  को कई लोग साहसिक कदम नहीं मानेगे इसे बेवकूफी या फिर साम्प्र्तदयिकता करार देंगे लेकिन मेरे दिल ने कहा के इस सच को दबाया तो थोड़ा एहसास भी लोगों को नहीं हो पायेगा और अगर में थोड़ा असास करवाने में भी लोगों को कामयाब हुआ नफरत के इस माहोल से एक परिवार को भी में बचा सका तो में समझूंगा के मेरा भारतीय होने का फर्ज़ मेने पूरा कर दिया हे . 
दोस्तों इस लफ्फाजी के बाद अब में आपको इस सच से अवगत कराने जा रहा हूँ में पहले भी कह चुका हूँ भोर समाज के लोगों के साथ हम पिछले दिनों गुजरात के सुरत गये थे वहां एक नजारा ऐसा देखा जिसने मेरी सोच ही बदल दी  सभी साथियों को  पता था के शहर काजी अनवर अहमद भी जा रहे हें और यह जानकारी एक मोलाना अलाउद्दीन साहब को भी थी वोह भी हमारे साथ जाने वाले थे पिछले दिनों कुछ  लोगों ने खुद को सो कोल्ड काजी घोषित किया फिर जनता ने जब उन लोगों को सबक सिखाया तो फिर चंदे बाज़ी ,तन्त्र मन्त्र विद्या , कुरान की आयतों की सोदेबाज़ी  मजहब को रोज़गार बनाने का सिलसिला कुछ लोगों ने बना लिया यहाँ तक के कुछ मोलाना अपनी मोलाना गिरी छोड़ कर सरकारी मदद और पद लोलुपता में सरकार और सरकार के मंत्रियों के तलवे चाटने लगे कोटा के शहर काजी एक मात्र दुनिवावी शिक्षा के साथ साथ इस्लाम के ज्ञाता हे उनका कोटा में ही नहीं राजस्थान में ही नही पुरे देश में एक  अपना मुकाम हे बस इसीलियें कुछ मोलानाओं ने सुन्नी जमती और ना जाने क्या क्या के सो कोल्ड जमातें बना ली और काजी साहब के खिलाफ साजिशें शुरू की जो लगातार नाकाम हो रही हे तो जनाब इन काजी साहब के साथ कथित खिलाफ गुट के मोलाना अलाउद्दीन जाने के लियें घर से स्टेशन प्लेटफोर्म तक आ गये ट्रेन के आने का वक्त था के किसी ने इन जनाब मोलाना अलाउद्दीन साहब को फोन किया डांट पिलाई और शहर काजी के साथ जाने से इंकार किया बस फिर क्या था मोलाना अलाउद्दीन साहब रेलवे प्लेटफोर्म से बेग उठा कर सरपट भागे और ओटो में बेठ कर रवाना हो गये उनका आने जाने का टिकिट बेकार गया तो जान एक नफरत एक ही समाज एक ही धर्म के लोगों को कितना जुदा कितना अलग कर देती हे और यह हर जाती हर समाज हर धर्म में लगातार हो रहा हे उंच नीच का पाठ हो, धर्म का विवाद हो  य्हना तक तो ठीक हे लेकिन पीडियों में इस जहर को घोलने के लियें हम सब बराबर के हिस्सेदार हे आपके माता पिता हों चाहे  मेरे माता पिता हो बुज़ुर्ग हों सभी ने कभी हिन्दू मुसलमानों को साथ रहने का पाठ अपने बच्चों को नहीं पढाया सामने दिखावे के तोर पर यह चाहे कितने ही धर्म निरपेक्ष बनते हो लेकिन अन्दर कहीं ना कहीं अपने बच्चों को अपने धर्म की सिख के साथ साथ दुसरे के धर्म के खिलाफ नेगेटिव सिख देते रहे हें और यही नफरत का कारण रहा हे इतिहास के किस्सों को तोड़ मरोड़ कर सुनाना भविष्य में बदला लेने का अभाव एक दुसरे के दिल में पैदा करना इस बढती हुई पीडी के दिमाग में भरा जाता हे वोह तो शुक्र हे आज के माहोल की जो बहुत कुछ इस शिक्षा का असर समाज पर नहीं पढ़ रहा हे . 
अभी हम सुरत यात्रा पर गये बोहरे समाज का प्यार स्वागत के तोर तरीके देख कर मुझे बचपन के हमारे बुजुर्गों द्वारा सुनाया गया एक किस्सा याद आ गया जिसे मेने तो कमसेकम अपने बच्चों को नहीं सुनाया और कुछ ने सुनाने का प्रयास भी किया तो मेने टोक दिया हमें बचपन में बोहरा समाज के लियें कहा गया के इनके घर की तरफ भूले से भी मत जाता इनकी किसी भी मीठी बैटन में ना आना हम से कहा गया के यह लोग बच्चों को उठा कर ले जाते हें चांवल बनाते हें और फिर उन चावलों पर बच्चे को लटका क्र चाकुओं से गोद गोद कर खून के फव्वारे निकालते हें और जब चांवल खून से लाल हो जाते हें और बच्चे की मोट हो जाती हे तो उसका मॉस यह बोहरे लोग खा जाते हें यह किस्से बुजुर्गों ने सुनाये थे लेकिन सब जानते हें इसमें कोई सच्चाई नहीं थी बस पीडी ने सुनाया इस लियें इस पीडी को भी सूना दिया और इसके खिलाफ व्यवहारिक तोर पर जब हमने बोरे समाज के अखलाक जीवनशेली तोर तरीकों को देखा तो हमें उस झूंठ और हंसी आ गयी जिससे हमें अनावश्यक ही बोहरो से दूर रखा गया . 
ऐसा ही सच यह भी हे के दुसरे समाजों के खिलाफ भी बुज़ुर्ग लोग काल्पनिक कहानिया सुनते हें और फिर उनका खाली दिमाग उसे ही सच समझने लगता हे और नफरत की इस बुनियाद पर जिसका आधार झूंठ और सिर्फ झूंठ हम भारत को महान बनाना चाहते हें कई किस्से हे जहां एक भाई से भी ज़्यादा हिन्दू की मदद मुसलमान ने और एक मुसलमान की मदद हिन्दू भाई ने की हे बुजुर्गों द्वारा बहकाया जाता रहा हे के इस धर्म के लोग खतरनाक हे उस धर्म के लोग खतरनाक हे इतना तक चल रहा था लेकिन अब इस आग को राजनेतिक संगठनों ने हवा दी हे इस आग को कथित सो कोल्ड धार्मिक संगठनों ने हवा दी हे देश के अपनेपन को देश के प्यार को देश के अमन चेन को इस विचारधारा ने नफरत ,दर और खोफ में बदल दिया एक दुसरे के प्रति शंकाएं पैदा कर दी हें इतिहास चाहे कुछ भी रहा हो लेकिन आज सच यही हे के मजहब की विचारधारा की दीवारें गिरा कर लोगों को अपने अपने घरों से एक दुसरे से गले मिलने बाहर निकलाना होगा और सभी भाइयों को देश का राष्ट्र का भारत का नवनिर्माण करना होगा आज चोर ,लुटेरे , बेईमान . हत्यारे सब ने अपना अलग धर्म बना लिया हे वोह अपना व्यापार या अपराध करते वक्त कभी यह  नहीं सोचते के यह हमारे धर्म का आदमी हे और हिन्दू हिन्दू को लुटता हे मरता हे और मुसलमान मुसलमान को लुटता हे मारता हे लेकिन फिर भी देश नहीं सुधरता हे तो दोस्तों इस सोच बदलने के लियें मेरा यह निवेदन हे के कमसे कम अब अपनी पीडी को तो वोह नफरत की पुरानी कहानिया सुनना बंद करें और नई कहानिया जो प्यार की हे भाईचारे की हें सद्भावना की हे अपनेपन की हे मदद की हे एक भारतीय की हे वोह सूना सुना कर बच्चों को बढ़ा किया जाए धर्म जिया जाता हे और इसके अपने नियम हे सभी धर्मों में एक बात कोमन हे इमादार रहो , मदद करो , भाईचारा भाव , भ्रस्ताचार मत फेलाओं ,गरीबों की मदद करो , समाज सेवा करों शांति स्थापित करों लेकिन यह सब क्या हम कर रहे हें अगर नहीं तो फिर हम कोनसे धर्म को मानने वाले हे खुद ही समझ लेना चाहिए तो आओ दोस्तों हम भी अपना काम करें जिसे मेरे इन सुझावों को दरकिनार करना हे इनसे नफरत कर देश को बांटने और देश में अराजकता फेलाने के लियें धर्म के नाम पर नफरत फेलाना हे वोह वेसा ही करे और जो लोग प्यार बाटना चाहते हें दिलों में प्यार और हिन्दुस्तान रखते हें वोह तो कमसेकम अपनी इस गलती को सुधारे और दुरे परिवारों में जहां अपनी चलती हो वहां भी इसकी हिदायत करें क्योंकि बच्चे मन के सच्चे होते हे और वोह उनसे कहा जाता हे उसे ही दिल दिमाग में सच मानकर जीते हें तो जनाब पक्का हे ना ,वायदा करो के आज से ही नहीं अभी से नफरत की,अफवाहों की ,झूंठ  फरेब की बेईमानी औरभ्रष्टाचार को छोड़ कर अपनेपन का पाठ शुरू करेंगे ताकि मेरे इस देश का मेरे इस भारत का नव निर्माण हो सके और मेरा भारत महान हो सके ............................................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आधुनिक पाठशाला जहां इंसान तय्यार होते हें

गुजरात में सुरत एक व्यापारिक शहर जहां पुराने सूरत  में बोहरा समाज के आदरणीय गुरु डोक्टर सय्यदना बुरहानुद्दीन साहब ने एक ऐसा मदरसा महाद अल ज़ाहरा तय्यार करवाया हे जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ मानवता का पाठ अनुशासीत तरीके से पढाया जाता हे . 
सूरत में पिछले एपिसोड में मेने लिखा था के कोटा के बोहरा समाज के प्रमुख जनाब अब्बास भाई, सफदर भाई , मंसूर भाई, अकबर भाई अब्बास अली के साथ में अख्तर खान अकेला , लियाकत अली ,शहर काजी अनवार अहमद , नायब काजी जुबेर भाई , खलील इंजिनीयर , शेख वकील मोहम्मद और समाज सेवक प्रमुख रक्त दाता जनाब जाकिर अहमद रिज़वी गुजरात में सूरत स्थित एक आधुनिक मदरसे के तोर तरीकों का अध्ययन करने गये और इस दोरान हम बस  इसी मदरसे के होकर रह गये , पहेल एपिसोड में मेने कुरान हिफ्ज़ की आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पाठशाला का विवरण दिया था हम इस जन्नत के नजारे से बाहर निकल कर दुनियावी शिक्षा केंद्र में गये जहां घुसते ही आधुनिक साज सज्जा और सुख सुविधाओं युक्त इस मदरसे को देख कर खुद बा खुद मुंह से निकल पढ़ा के अगर मदरसा ऐसा होता हे तो फिर विश्व यूनिवर्सिटी केसी होगी , हमें सबसे पहले दुनियावी शिक्षा के इस मकतब के गेस्ट रूम में बताया गया इस गेस्ट रूम की सजावट रख रखाव देखते बनता था फिर वहां मदरसे के प्रभारी प्रोफ़ेसर ने सभी आगंतुकों का शुक्रिया अदा किया थोड़ा सुस्ताने के बाद हम सभी को जन सम्पर्क अधिकारी के साथ मदरसे की इस आधुनिकता का नजारा देखने के लियें भेजा गया बढ़ी बढ़ी आलिशान किलासें , बच्चों को पढाने के लियें आधुनिक हाईटेक तकनीक कम्प्यूटर ,लेबटोब, कमरे , बढ़े स्क्रीन , सुविधायुक्त प्रयोगशालाएं , बच्चों के कार्यों की नुमाइश के लियें प्रदर्शन केंद्र , चार मंजिला लाइब्रेरी किताबों पर सेंसर क्गाये गये हें ताके कम्प्यूटर पर लगते ही किताब का नाम चढ़ जाएगा खुबसुरत लाइब्रेरी होल में इंग्लिश और अरबी की सभी महत्वपूर्ण पुस्तकें आर्ट,कोमर्स .विज्ञानं सहित सभी विषयों का यहाँ प्रमुख अध्ययन केंद्र बनाया गया हे तकनीकी शिक्षा सहित नेतिक और फिजिकल शिक्षा भी यहाँ देने का प्रावधान रखा गया मदरसे में मस्जिद हे जहां सभी एक साथ नमाज़ अदा करते हें जबकि पास में ही डाइनिंग होल हे जहां एक वक्त पर सभी छात्र बैठकर एक साथ बढ़े ख्वान लगा कर मनचाहा बहतरीन खाना खाते हें खाने की रसोई में सभी आधुनिक उपकरण लगे हें खाना सर्व करने के लियें ट्रोलियाँ और दूसरी व्यवस्थाएं हें , मदरसे में एक परीक्षा होल हे जहां परीक्षार्थी की परीक्षा कभी खुद सय्यादना साहब लेते हें उन्हें हिम्मत दिलाते हें इस होल में खाना इ काबा का गिलाफ का एक चोकोर टुकडा फ्रेम कर अदब से लगाया गया हे जो सय्यादना साहब को भेंट में दिया गया था पास ही एक खुबसुरत पत्थर सजाकर क्ल्गाया गया हे यह पत्थर हुसेन अलेह अस्सलाम के मजार का पाक पत्थर बताया गया हे जिसका लोग बोसा लेकर इज्जत बख्शते हें इसी होल में फोटो प्रदर्शनी हे और बहुमंजिली इस इमारत में ८५० बच्चों में ३५० के लगभग छात्राए और बाक़ी छात्र हें जिनमे १५० से भी अधिक विदेशी हे मदरसे में पढने वालों को १२ वर्ष के इस सफर में केसे पढ़ें पढाई का उपयोग केसे करें क्या अच्छा हे क्या बुरा हे बढ़े छोटे का अदब किया होता हे खेल कूद , खाना प्रबन्धन ,जनरल नोलेज क्या होती हे कुल मिलाकर एक अच्छे इंसान की सभी खुबिया इन बाराह साल में हर बच्चे में कूट कूट कर भर दी जाती हे इन १२ साल में  हर बच्चे को दुनिया की हकीकत समझ में आ जाती हे और वोह नोकरी नहीं करने के संकल्प के साथ या तो समाज के इदारों में लग जाता हे या फिर व्यवसाय में लग जाता हे . इस मदरसे में छात्राओं के लियें बेठने पढने रहने की अलग व्यवस्था हें यहाँ उन्हें पर्देदारी और शर्मसारी के सारे आदाब सिखाये जाते हें इन छात्राओं को होम साइंस के नाम पर खाने के सभी व्यंजन बनाना सिखाये जाते हें , इंसानियत की इस पाठशाला में सभी काम बच्चों से करवाया जाता हे उन्हें होस्टल में रहने के लियें नाम नहीं नम्बर दिया आजाता हे और इसी नम्बर से उन्हें पुकारा जाता हे यहाँ स्वीमिंग पुल, कसरत के लियें जिम, खेलकूद के लियें इनडोर आउट डोर खेल के मैदान हें बच्चों को फ़िज़ूल खर्ची से रोकने के लियें एक माह में २०० रूपये से अतिरिक्त खर्च करने की अनुमति नहीं हे इन बच्चों को मदरसे में एक वर्ष पलंग पर एक वर्ष फर्श पर सुलाया जाता हे प्रेस खुद को करना सिखाते हें नाश्ता लडके खुद बनाते हें ताके वोह थोडा बहुत ओपचारिक नाश्ता बनाना सिख लें होस्टल में लाइब्रेरी , स्टडी रूम , डिस्पेंसरी बनी हे जहां अपने सुविधानुसार बच्चे अपना काम करते हें . 
मदरसे में हमें जब इस आलिशान बहुमंजिली इमारत में घुमाया जा रहा था तो हमारे दिमाग में इस सात सितारा व्यवस्था के आगे सब फीके नजर आ रहे थे हमें वहीं बोहरा समाज के अंदाज़ में विभिन्न व्यंजन खिलाये गये मस्जिद में सबने अपनी अपनी नमाज़ अदा की , मदरसे में एक ऑडिटोरियम जो अति आधुनिक स्टाइल में बना हे इस ऑडिटोरियम में पार्टिशन लगे हें जो इसे क्लासों में तब्दील कर देते हें और जब आवश्यकता होती हे तो रिमोट और चकरी चाबी से पार्टीशन पल भर में गायब  कर इस क्लास रूम को एक विशाल ऑडिटोरियम का रूप दे दिया जाता हे , इस मदरसे में ८५० बच्चों को पढ़ने और रख रखाव के लियें १७० लोगों का स्टाफ हे और एक वर्ष में यहाँ ८ से १० करोड़ का बजट स्वीक्रत किया जाता हे .
बीएस जनाब इस मदरसे इस मकतब इस आधुनिक पाठशाला को देख कर यही कहा जा सकता हे के आओ एक ऐसा मदरसा बनाये हें जहां कमाई की मशीन नहीं केवल और केवल इंसान बनाये इस मदरसे को देख कर हमारी स्थिति यह थी के सबक ऐसा पढ़ा दिया तुने जिसे पढकर सब कुछ भुला दिया तूने,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कादम्बिनी ने तारकेश्वरी को ब्लोगर बना दिया
जी हाँ दोस्तों एक बहतरीन ब्लोगर तारकेश्वरी गिरी को बादाम की गिरी की तरह मजबूत और ताकतवर ब्लोगर केवल एक पत्रिका कादम्बिनी की प्रेरणा ने बनाया हे और जल वायु प्रदूषण क्षेत्र में बचाव कार्यों के लियें आप आन्दोलन की तरह जूनून के साथ लगे हें .
आजम गढ़ के एक छोटे से गाँव में जन्मे तारकेश्वरी गिरी ने ग्रामीण परिप्रेक्ष से बाहर निकल कर शिबली नेशनल कोलेज से बी ऐ किया और फिर रोज़गार के लियें दिल्ली आ गये वोह इन दिनों बेंकिंग इन्वेस्टमेंट के काम में लगे हें कहते हें जिसका मन बचपन से कवि हो जिसके विचार किसी से बंधे ना हो जिसका मन सागर हो और जहां सेकड़ों नदियाँ एक साथ आकर मिलती हें इस समुन्द्र में कई विचार विचरण करते हें जो उबल की तरह से बाहर आने के लियें आतुर रहते हें . हमारे तारकेश्वर गिरी ने ११ अक्तूबर को एक पत्रिका कादम्बिनी पत्रिका उठाई और तब जल और वायु प्रदूषण मामले में लोगों को इस प्रदूषण से बचाने के लियें तारकेश्वर जी ने एक लेखन आदोलन की ठानी और पहली पोस्ट ११ अक्तूबर को अंग्रेजी में लिखी जिस पोस्ट में उन्होंने जल एवं वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सभी को आमंत्रित किया हे और कादम्बिनी पत्रिका को इस प्रेरणा के लियें धन्यवाद दिया हे .
तारकेश्वर जी का नारा हे बहुत कुछ सोचा बहुत कुछ समझा अब करने का समय आ ही गया हे लेट ही सही वोह कहना चाहते हें के अब सोचना नहीं समझना नहीं सिर्फ करके दिखाना हे और अपनी रोज़गार की व्यस्तता और दिल्ली की दुनिया की भागमभाग के बाद भी तारकेश्वर जी ने अब तक १९२ ब्लॉग लिख डाले हें अपने १९२ ब्लॉग पर तारकेश्वर जी ने जापान के सुनामी से हुई तबाही पर अपनी संवेदनाएं जारी की हे ब्लोगर की दुनिया में तारकेश्वर जी सभी से लगभग जुड़े हें और इस दुनिया में प्यार अपनापन बाँट रहे हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आधुनिक पाठशाला जहां इंसान तय्यार होते हें

गुजरात में सुरत एक व्यापारिक शहर जहां पुराने सूरत  में बोहरा समाज के आदरणीय गुरु डोक्टर सय्यदना बुरहानुद्दीन साहब ने एक ऐसा मदरसा महाद अल ज़ाहरा तय्यार करवाया हे जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ साथ मानवता का पाठ अनुशासीत तरीके से पढाया जाता हे . 
सूरत में पिछले एपिसोड में मेने लिखा था के कोटा के बोहरा समाज के प्रमुख जनाब अब्बास भाई, सफदर भाई , मंसूर भाई, अकबर भाई अब्बास अली के साथ में अख्तर खान अकेला , लियाकत अली ,शहर काजी अनवार अहमद , नायब काजी जुबेर भाई , खलील इंजिनीयर , शेख वकील मोहम्मद और समाज सेवक प्रमुख रक्त दाता जनाब जाकिर अहमद रिज़वी गुजरात में सूरत स्थित एक आधुनिक मदरसे के तोर तरीकों का अध्ययन करने गये और इस दोरान हम बस  इसी मदरसे के होकर रह गये , पहेल एपिसोड में मेने कुरान हिफ्ज़ की आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पाठशाला का विवरण दिया था हम इस जन्नत के नजारे से बाहर निकल कर दुनियावी शिक्षा केंद्र में गये जहां घुसते ही आधुनिक साज सज्जा और सुख सुविधाओं युक्त इस मदरसे को देख कर खुद बा खुद मुंह से निकल पढ़ा के अगर मदरसा ऐसा होता हे तो फिर विश्व यूनिवर्सिटी केसी होगी , हमें सबसे पहले दुनियावी शिक्षा के इस मकतब के गेस्ट रूम में बताया गया इस गेस्ट रूम की सजावट रख रखाव देखते बनता था फिर वहां मदरसे के प्रभारी प्रोफ़ेसर ने सभी आगंतुकों का शुक्रिया अदा किया थोड़ा सुस्ताने के बाद हम सभी को जन सम्पर्क अधिकारी के साथ मदरसे की इस आधुनिकता का नजारा देखने के लियें भेजा गया बढ़ी बढ़ी आलिशान किलासें , बच्चों को पढाने के लियें आधुनिक हाईटेक तकनीक कम्प्यूटर ,लेबटोब, कमरे , बढ़े स्क्रीन , सुविधायुक्त प्रयोगशालाएं , बच्चों के कार्यों की नुमाइश के लियें प्रदर्शन केंद्र , चार मंजिला लाइब्रेरी किताबों पर सेंसर क्गाये गये हें ताके कम्प्यूटर पर लगते ही किताब का नाम चढ़ जाएगा खुबसुरत लाइब्रेरी होल में इंग्लिश और अरबी की सभी महत्वपूर्ण पुस्तकें आर्ट,कोमर्स .विज्ञानं सहित सभी विषयों का यहाँ प्रमुख अध्ययन केंद्र बनाया गया हे तकनीकी शिक्षा सहित नेतिक और फिजिकल शिक्षा भी यहाँ देने का प्रावधान रखा गया मदरसे में मस्जिद हे जहां सभी एक साथ नमाज़ अदा करते हें जबकि पास में ही डाइनिंग होल हे जहां एक वक्त पर सभी छात्र बैठकर एक साथ बढ़े ख्वान लगा कर मनचाहा बहतरीन खाना खाते हें खाने की रसोई में सभी आधुनिक उपकरण लगे हें खाना सर्व करने के लियें ट्रोलियाँ और दूसरी व्यवस्थाएं हें , मदरसे में एक परीक्षा होल हे जहां परीक्षार्थी की परीक्षा कभी खुद सय्यादना साहब लेते हें उन्हें हिम्मत दिलाते हें इस होल में खाना इ काबा का गिलाफ का एक चोकोर टुकडा फ्रेम कर अदब से लगाया गया हे जो सय्यादना साहब को भेंट में दिया गया था पास ही एक खुबसुरत पत्थर सजाकर क्ल्गाया गया हे यह पत्थर हुसेन अलेह अस्सलाम के मजार का पाक पत्थर बताया गया हे जिसका लोग बोसा लेकर इज्जत बख्शते हें इसी होल में फोटो प्रदर्शनी हे और बहुमंजिली इस इमारत में ८५० बच्चों में ३५० के लगभग छात्राए और बाक़ी छात्र हें जिनमे १५० से भी अधिक विदेशी हे मदरसे में पढने वालों को १२ वर्ष के इस सफर में केसे पढ़ें पढाई का उपयोग केसे करें क्या अच्छा हे क्या बुरा हे बढ़े छोटे का अदब किया होता हे खेल कूद , खाना प्रबन्धन ,जनरल नोलेज क्या होती हे कुल मिलाकर एक अच्छे इंसान की सभी खुबिया इन बाराह साल में हर बच्चे में कूट कूट कर भर दी जाती हे इन १२ साल में  हर बच्चे को दुनिया की हकीकत समझ में आ जाती हे और वोह नोकरी नहीं करने के संकल्प के साथ या तो समाज के इदारों में लग जाता हे या फिर व्यवसाय में लग जाता हे . इस मदरसे में छात्राओं के लियें बेठने पढने रहने की अलग व्यवस्था हें यहाँ उन्हें पर्देदारी और शर्मसारी के सारे आदाब सिखाये जाते हें इन छात्राओं को होम साइंस के नाम पर खाने के सभी व्यंजन बनाना सिखाये जाते हें , इंसानियत की इस पाठशाला में सभी काम बच्चों से करवाया जाता हे उन्हें होस्टल में रहने के लियें नाम नहीं नम्बर दिया आजाता हे और इसी नम्बर से उन्हें पुकारा जाता हे यहाँ स्वीमिंग पुल, कसरत के लियें जिम, खेलकूद के लियें इनडोर आउट डोर खेल के मैदान हें बच्चों को फ़िज़ूल खर्ची से रोकने के लियें एक माह में २०० रूपये से अतिरिक्त खर्च करने की अनुमति नहीं हे इन बच्चों को मदरसे में एक वर्ष पलंग पर एक वर्ष फर्श पर सुलाया जाता हे प्रेस खुद को करना सिखाते हें नाश्ता लडके खुद बनाते हें ताके वोह थोडा बहुत ओपचारिक नाश्ता बनाना सिख लें होस्टल में लाइब्रेरी , स्टडी रूम , डिस्पेंसरी बनी हे जहां अपने सुविधानुसार बच्चे अपना काम करते हें . 
मदरसे में हमें जब इस आलिशान बहुमंजिली इमारत में घुमाया जा रहा था तो हमारे दिमाग में इस सात सितारा व्यवस्था के आगे सब फीके नजर आ रहे थे हमें वहीं बोहरा समाज के अंदाज़ में विभिन्न व्यंजन खिलाये गये मस्जिद में सबने अपनी अपनी नमाज़ अदा की , मदरसे में एक ऑडिटोरियम जो अति आधुनिक स्टाइल में बना हे इस ऑडिटोरियम में पार्टिशन लगे हें जो इसे क्लासों में तब्दील कर देते हें और जब आवश्यकता होती हे तो रिमोट और चकरी चाबी से पार्टीशन पल भर में गायब  कर इस क्लास रूम को एक विशाल ऑडिटोरियम का रूप दे दिया जाता हे , इस मदरसे में ८५० बच्चों को पढ़ने और रख रखाव के लियें १७० लोगों का स्टाफ हे और एक वर्ष में यहाँ ८ से १० करोड़ का बजट स्वीक्रत किया जाता हे .
बीएस जनाब इस मदरसे इस मकतब इस आधुनिक पाठशाला को देख कर यही कहा जा सकता हे के आओ एक ऐसा मदरसा बनाये हें जहां कमाई की मशीन नहीं केवल और केवल इंसान बनाये इस मदरसे को देख कर हमारी स्थिति यह थी के सबक ऐसा पढ़ा दिया तुने जिसे पढकर सब कुछ भुला दिया तूने,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

11 मार्च, 2011

कुदरत का कहर

कल जापान
जहां खुशियाँ बस्ती थी
विश्व में
जहां के लोगों को
लोग इज्जत से देखा करते थे
वोह जापान जहां की तकनीक
विश्व में सबसे बहतर होने से
लोग इस देश को तकते थे
वाही जापान
जहां हिरोशिमा नागासाकी का दर्द था
फिर भी यह जापान
विश्व के सभी हिस्सों से अलग था
यहाँ प्यार था , मानवता थी
लेकिन यह क्या पल भर में
जहां बस्ती थी खुशियाँ
मातम हे आज वहा
यह सच
आप और में जी हाँ सभी
यानी
हम सब ब्लोगर भाई जानते हें
यह सच हम जानते हें
आज हम हे कल नहीं रहेंगे
कल क्या हो सकता हे अभी ही नहीं रहेंगे
तो फिर भाइयों क्यूँ एक दुसरे को नफरत बांटते हो
क्यूँ एक दुसरे के लियें दिल दिमागों में
जहर रखते हो
ना जाने कब किस ब्लोगर की
किस गली में शाम हो जाए
उसके किस्से ना जाने कब आम हो जाएँ
तो फिर इस बुद्धिजीवी ब्लोगिंग की दुनिया में
कसी नफरत , केसी कडवाहट ,केसा उतार चढाव
सब बेकार बेमाने हें
आओ सभी संकल्प लें
इससे पहले के कुदरत का कहर हमें घेरे
हमारी खुशनुमा सुबह की शाम हो
हम सब मिल जुलकर एक ऐसी
ब्लोगिंग की दुनिया बनाएं
जहां प्यार हो अपनापन हो खुशियाँ हो
स्वर्ग सा खुशनुमा माहोल हे
खुदा करे
मेरी यह दुआ आज से
अरे नहीं आज से नहीं
अभी से ही पूरी हो जाए
क्या आप भी मेरी
इस दुआ को पूरा करने की
तमन्ना रखोगे
अगर हाँ तो उठो
और बना डालों प्यार की एक ऐसी नई दुनिया ,,,,,,.. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

10 मार्च, 2011

अदालत के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नही करने पर आई पी एस विशाल बंसल के खिलाफ कार्यवाही के आदेश

 कोटा की अदालत पांच उत्तर ने  अदालत के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नही करने पर आई पी एस विशाल बंसल के खिलाफ कार्यवाही के आदेश देते हुए इस मामले में कार्यवाही करने के लियें राजस्थान के पुलिस महानिदेशक और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोटा को तहरीर जारी की हे .  
कोटा में वर्ष २००८ नोव्म्बर में भीमगंज मंडी  पुलिस ने एक वारंटी खालिक उर्फ़ पपू को गिरफ्तार किया था और उसे जेल भेजते ही तबियत बिगड़ने के बाद उसकी म्रत्यु हो गयी थी बस खालिक के परिजनों ने मारपीट कर हत्या कर देने का मामला थाने में दर्ज कराना चाहा लेकिन दर्ज नहीं किया गया यह लोग मेरे पास आये मेने मरने वाले के भिया शोकत की तरफ से न्यायालय पांच उत्तर कोटा में भीम गंज मंडी थाना धिकारी और दुसरे सम्बन्धित लोगों के खिलाफ परिवाद पेश किया अदालत ने मामले की गंभीरता देखते हुए प्रथम द्रष्टया माना और २३ नवम्बर २००८ को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए लेकिन पुईस ने अदालत के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया और इस्तिगासा वापस अदालत भेज दिया कहा गया के इस मामले में मर्ग दर्ज कर लिया गया हे बस फिर क्या था मेने एक दरख्वास्त अदालत में पुलिस कर्मियों के खिलाफ न्यायालय के आदेश की अवमानना मामले में लगाई अदालत ने मामले की गम्भीरता को माना और ६ जनवरी २००९ को एक आदेश जारी कर कोटा में तेनात पुलिस अधीक्षक को एक आदेश जारी कर परिवाद साथ भेजा और मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश दिए लेकिन पुलिस अधीक्षक विशाल बंसल ने मुकदमा तो दर्ज नहीं किया ओर न्यायाल्स से भेजा परिवाद बिना न्यायालय की अनुमति के आदेशों को अवेध बताते हें पुलिस अधीक्षक कोटा की तरफ से एक निगरानी याचिका जिला न्यायाधीश के समक्ष पेश कर दी गयी हमें पुलिस की शरारत का जब पता चला तो हमने एक दरख्वास्त अदालत में फिर से दोषी पुलिस अधिकारी को दंडित करने की लगाई .
अदालत ने हमारी बहस और कानूनी दलीलें सुनने के बाद पुलिस अधीक्षक की निगरानी खारिज कर निचली अदालत के आदेश को यथावत रखा बस हमें एक दरख्वास्त फिर कार्यवाही करने के लियें लगाई इस बीच में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामला ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में न्यायालय के आदेश के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ उसे निलम्बित कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लियें प्राधिक्र्ट अधिकारी को लिखने के निर्देश दिए साथ ही यह एक अपराध मानते हुए ऐसे अधिकारी को सजा दिलवाने और जेल भेजने के लियें मुख्य्न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखने के निर्देश हें हमने व्ही कानून अदालत में पेश किया अदालत ने खुद जांच की सभी पक्षों को पुलिस अधीक्षकों को नोटिस देकर जवाब तलब किया तात्कालिक पुलिस अधीक्षक जनाब विशाल बंसल आई पी  एस ने जवाब में ६ जनवरी के आदेश की पालना में ७ जनवरी को ही परिवाद पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश देने बाबत कथन किया लेकिन थानाधिकारी चन्दन सिंह ने इसे अस्विकारी किया और फिर जब खुद पुलिस अधीक्षक की तरफ से न्यायालय के आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका पेश की गयी थी तो फिर ७ जनवरी को आदेश देने वाली बात झूंठी हो जाती हे बस रिकोर्ड के आधार पर न्यायालय ने तात्कालिक कोटा पुलिस अधीक्षक विशाल बंसल को दोषी माना और उनके खिलाफ महानिदेशक राजस्थान सरकार को निलम्बित क्र अनुशासनात्मक कार्यवाही के लियें कथन किया गया साथ ही दंडात्मक कार्यवाही करवाने के लियें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को पत्र भी लिखा हे . 
दोस्तों मेरी यह कार्यवाही कहने को तो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हे लेकिन मेरी इस कार्यवाही से हजारों उन पुलिस कर्मियों को सबक मिलेगा जो फरियादियों को थानों पर चक्कर लगवाती हें और अदालत से भी अगर आदेश आ जाएँ तो भी परिवाद महीनों थानों पर पढ़े रहते हें और मुकदमे दर्ज नहीं होते ऐसे लोगों को अबइस आदेश से सबक मिलेगा . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

09 मार्च, 2011

बजट राजस्थान का कोटा के वकीलों से वायदा खिलाफी

बजट राजस्थान का हे  कोटा के वकीलों से वायदा खिलाफी इस मामले में सभी वकील नाराज़ हें पिछले दिनों कोटा के वकील कई माह तक हडताल पर थे और इस हडताल के दोरान मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय मंत्रियों और सांसदों से कई दोर की वार्ताएं चली वार्ता के दोरान कई वायदे हुए . 
कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष और महासचिव ने साधारण सभा बुलाकर पिछले दिनों घोषणा की थी के मुख्यमंत्री जी और स्थानीय मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने वायदा क्या हे के कोटा में राजस्व मंडल की डबल बेंच खोले जाने के मामले में बजट में प्रावधान रख दिया जाएगा और इस बजट में हर हाल में कोटा में राजस्व मंडल की डबल बेंच खोलने की घोषणा हो जायेगी उनका कहना था के अगर सरकार ने इस बार ऐसा नहीं किया तो फिर देखेंगे और यह कहकर कोटा के वकीलों की एकतरफा निर्देश के साथ बिना किसी को बोलने का अवसर दिए हडताल खत्म करने की घोषणा कर दी गयी थी अब कोटा में बजट में जब राजस्व मंडल की डबल बेंच की वायदे के मुताबिक घोषणा नहीं की गयी तो फिर से व्ही हडताल और आन्दोलन की स्थिति आन पढ़ी हे इससे कोटा के वकीलों में रोष व्याप्त हो चला हे . 
राजस्थान सरकार ने बजट में कोटा को केवल ऐ आई ट्रिपल इ दी हे जबकि यहाँ से आई आई टी छीनीं गयी थी पाने की योजना पहले से ही चल रही हे कुल मिलाकर बजट ने कोटा को तो निराश ही कर दिया हे केवल वायदे वाला बजट हे और फायदे वाला बजट नहीं हे देखते हें अब सरकार की इस धोखाधडी के मामले में वकील अब क्या एक्शन लेते हें वरना जनहित के लियें हडताल करने का नारा देने वाले वकील अब तक तो ठंडे ही हें . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एडवोकेट जमील अहमद ने हाजियों का स्वागत किया

कोटा में मेरे उस्ताद रहे जनाब जमील अहमद एडवोकेट जिनका वकालत और नफासत की दुनिया में सर्वोच्च नाम हे उन्होंने ने कल उनके निवास पर कोटा के नये पुराने सभी हाजियों को दावत पर बुलाया और इसी प्यार भरे अंदाज़ में लोगो का स्वागत कर सभी हाजियों की यादें ताज़ा कर दी . 
जमील अहमद एडवोकेट वेसे तो हर साल ही हाजियों को बुलाकर दावत करते रहे हें लेकिन इस बार उनके पुत्र राजा एडवोकेट ने अलग ही इन्तिज़ाम किये थे हर हाजी और उनके परिवार वालों के लियें मालाओं का इन्तिज़ाम था उन्हें गले लगा कर मुबारकबाद दी जा रही थी खाने में बहतरीन खाना उन्हें खिलाया जा रहा था इस दोरान जमील अहमद एडवोकेट और उनके परिवार का प्यार और खुलूस देखने लायक था एक प्यार भरा अंदाज़ एक अपनापन हज का मिला जुला वातावरण इन सब ने मिलकर हाजियों की पुरानी यादें ताज़ा क्र दिन जो नये हाजी थे उनके दिलों में फिर से हज पर जाने की आस जगी थी और जो पुराने थे जो कई बार हज और उमरा कर आ गये थे उनकी भी फिर से हज पर जाने की ख्वाहिशें जगी थीं . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आज मेरी जिंदगी का बीसवां काला दिवस हे

दोस्तों आज मेरी जिंदगी का बीसवां  काला दिवस हे आज के  दिन ही में एक खतरनाक महिला के साथ बेड़ियों में जकड़ा गया था हंसी हंसी में में खुद उम्र केद की सजा मंज़ूर कर रहा हूँ यह में सपने में भी नहीं सोच पा रहा था मीठा लड्डू खाने के चक्कर में में धोखे में आ गया . 
१० मार्च १९९१ का वोह काला दिन मुझे मोत के मुंह में धकेलने , मेरी जिंदगी  उम्र भर के लियें केद करने के लियें लोग एकत्रित हुए नाचे गाये मुझे घोड़ी पर बिठाया गया और फिर हमें राजस्थान के ही नवाबों की नगरी टोंक ले जाया गया वहां एक रिजवाना नाम की खतरनाक एब्दार लडकी को मेरा इन्तिज़ार था जी हाँ इस महिला का नाम रिजवाना स्कुल का हे लेकिन अकिकी नाम रईसुन्निसा  रखा गया था निकाह इसी नाम  से हुआ मेरा भी निकाह अकिकी नाम अजहर से हुआ अब मेरा नाम तो अख्तर खान अकेला और जो मेरे साथ जेलर बना कर उम्र केद की सजा भुगताने के लियें भेजी गयी उसका नाम रिजवाना हमारे पास निकाहनामा अजहर और रईसुन्निसा का अब बताओ हम क्या करें खेर रस्मों के नाम पर मुझे उल्लू बनाया गया सालियों और सलेजों ने बेवकूफ बनाकर बीवी मुट्ठी खोल में तेरा गुलाम कहलवाया और बस तबसे आज तक में भुगत रहा हूँ . 
मेरी यह जो जेलर हे कहने को तो टोंक नवाब साहब की भतीजी हे माशा अल्लाह तीन भाई और चार  बहनें और हें सभी खतरनाक हे मेरी इस बर्बादी के बाद मेरे दो छोटे साले कमर और फर्रुख थे सो मेने भी उन्हें बर्बाद करने की ठानी जयपुर के हमारे साडू इकबाल खान साहब और सलेज रुखसाना ,टोंक के साडू बड़े दादा और रिसर्च ऑफिसर सलेज नादिरा ने मिल कर षड्यंत्र किया और साले कमर को एक खतरनाक स्लेज  वफरा  से फंसा दिया बेचारे एक हंसते खेलते साले की बोलती बंद हे सलेज जादूगरनी हे हजारा पढती  हें सो उन्होंने हमारे साले पर पढ़ कर फूंका अब वोह हुक्म के गुलाम हे मुझे लगा मेरे आंसू पोंछने वालों में अब एक और शामिल हो गये हें फिर दुसरा छोटा साला फर्रुख थे बस उनके खिलाफ भी षड्यंत्र रचा और उन्हें मिस यूनिवर्स तबस्सुम से उलझा दिया अब इस बेचारे की तो क्या कहूँ बस आप खुद ही समझ जाओ मेरे पास कहने के लियें अलफ़ाज़ नहीं हे बढ़े साले हें जिन्हें भय्या कहते हें बाहर पुरे टोंक में शेर समझे जाते हें लेकिन घर में हमारी सबसे बढ़ी सलेज अफशां के सामने उनकी घिग्घी बन जाती हे कुल मिला कर हम सभी साडू और साले बहनोई एक ही दर्द के मारे हें हमारे सास ससुर बाल ठाकरे और मुल्लानी जी हमारे इस हाल पर हमारा मजाक उडहाते रहते हें हम खामोश गर्दन झुकाए बेठे रहते हें . 

इस खतरनाक जेलर के बारे में में आपको बताऊं यह कोटा में उर्दू की लेक्चरार हें और बच्चों को पढाती हे इसलियें वही  लहजा वही  डांटने का अंदाज़ घर में चलता हे आप अंदाजा लगायें में किन हालातों में सांस ले रहा होउंगा मेरी बोलती बंद हे इसी उठा पटक में मेरे इस जेलर ने मूल के साथ तीन ब्याज दिए पहला लडका शाहरुख खान जो ट्वेल्थ का एक्जाम दे रहा हे आई आई टी की तय्यारी कर रहा हे अगर आपकी दुआ लग गयी तो उसका सेलेक्शन हो जाएगा , एक बच्ची जवेरिया नाइंथ में हे जबकि एक प्यारी  बिटिया सदफ अख्तर जो अभी फर्स्ट में पढ़ रही हे . 
जेलर जिसके हंटर से मेरी बोलती बंद हे उसकी जुबां कभी अगर चलती हे तो केंची से भी खतरनाक होती हे मोहल्ले और परिवारों में उसने जादू करके खुद को अच्छा साबित कर रखा हे मेरे पापा हाजी असगर अली खान को भी उसने वक्त पर खाना चाय नाश्ता दे कर पता रखा हे हमारी मम्मी रशीदा खानम हे बस इस जेलर की केंची के आगे उनकी तो बोलती बंद हे एक भाई परवेज़ खान जो सुधा अस्पताल में मेनेजर हे उसकी बीवी रूबी  भी टोंक की हे इसलियें इनकी यूनियन जिंदाबाद हो रही हे और दोस्तों में अकेला पढ़ जाने से अख्तर खान अकेला हो गया हूँ और यह जेलर मुझ पर हावी हे अब मेरे लियें तो खुदा खेर करे हे ना मेरी दर्द भरी कहानी जो आज काला दिवस के दिन नई हो गयी हे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान