ऐ धरती माँ ..................
ऐ धरती माँ
में भी तेरा लाल हूँ
माँ की कोख से
तो जन्मा हूँ
बस
बचपन से
तेरे आँचल से लिपट कर
तुझ में मिलकर खेला हूँ
तेरी हिफाजत के लियें
बंदूक मेने उठाई हे
कई बार मेने
तेरी हिफाजत करते
चोट भी खाई हे
मेरे बुजुर्गों ने
तेरी आन बान शान के लियें
अपनी जान गंवाई हे
ऐ धरती माँ
तू ही बता
क्या यह सच हे
कुछ लोग हें
जो खुद को
तेरा अपना खास बेटा कहते हें
यह वोह लोग हें
जो तेरी सुख शांति एकता अखंडता का
सोदा करते हें
यह कहते हें
के तेरी वोह दोगले इंसान ही
असली सन्तान हे
और हमें कहते हें
के तुम माँ के बेटे नहीं
तुम तो सोतेली सन्तान हो
ऐ धरती माँ
तू ही बता
एक धरती एक देश एक योजना एक कानून
फिर हमारे साथ दोहरा सुलूक
तो क्या
हम मानलें
के हम
तेरी सोतेली सन्तान हें
देख माँ
में तुझे बता दूँ
जब हम बीमार होते हें
जब हमारे पास पानी नहीं होता हे
तब हम
तेरी इस मिटटी को
अपने चेहरे और हाथ पर
तेहम्मुम यानी वुजू कर लेते हें
इसी मिटटी को रगड़ कर
खुद को पाक कर लेते हें
और तेरी ही आँचल पर
बेठ कर
अपनी नमाज़ पढ़ लेते हें
ऐ धरती माँ
मरते हें जब हम
तब भी तेरी ही गोद में
हम खुद को छुपा कर सुला देते हें
तुझ से इतना प्यार
तुझ पर इतना अटूट विशवास
तो फिर यह
दुसरे लोग जो
तुझे लुटते हें तेरी धरती पर माँ बहनों की अस्मत लुटते हें
निर्दोषों का कत्ल करते हें
विश्वास घात ,भ्रष्टाचार करते हें
ना तुझ में मिलते हें ना तेरी गोद में सोते हें
फिर तू ही बता
यह लोग
केसे और केसे
तेरी सन्तान हो सकते हे ..तेरी सन्तान हो सकते हें ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Bahut sundar prastuti . saarthak prashn .
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