क्या रुपया ही भगवान हे इन दिनों इंसान के लियें
क्या रुपया ही भगवान हे इन दिनों इंसान के लियें .................क्या यह गाँधी की तस्वीर एक बेबस गरीब मजलूम के लियें रिश्वत की मजबूरी बन कर; मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी ;कहावत बन गयी हे , क्या इसीलियें कवि शायर कहते हें के ना बाप बढ़ा ना भय्या सबसे बढ़ा रुपय्या ............... यह पैसा बोलता हे ...... एक सवाल जिसका जवाब मेरे पास तो नहीं हे अगर आपके पास हो तो प्लीज़ जवाब बताएं . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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